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शनिवार, 24 जुलाई 2021

 बचपन का क्या मजा लिया है 
 
माटी में यदि हुए मैले,बेफिक्री खाया न पिया है 
बचपन के अनमोल क्षणों का फिर तुमने क्या मजा लिया है 

बचपन में मां के हाथों से, रोटी चूरी, दूध में खाई 
उंगली डाल दूध में तुमने ,जमी मलाई, नहीं चुराई 
बासी रोटी के टुकड़ों को, डूबो छाछ मे ना जो खाया पापड़ सी सूखी रोटी पर ,लगा मसाला स्वाद न पाया 
यूं ही बिस्किट कुतर कुतर कर,तुमने बचपन बिता दिया है
बचपन के अनमोल क्षणों का ,फिर तुमने क्या मजा लिया है 
बारिश की बहती नाली में यदि ना दौड़े छपक छपक कर
ना कागज की नाव बहाई,पीछे भागे लपक लपक कर
 यार दोस्तों के संग मिलकर ,अगर नहीं जो कंचे खेलें 
सारा बचपन यूं ही गुजारा, बैठे, सिमटे हुए,अकेले  इधर उधर जाने कि तुम पर लगी अगर पाबंदियां हैं 
 बचपन के अनमोल क्षणों का, फिर तुमने क्या मजा लिया है 

 ना घुमाए सड़कों पर लट्टू ,और ना खेले गिल्ली डंडे
 ना ही गेंद की हूल गदागद,बैठे रहे यूं ही तुम ठंडे 
 ना पेड़ों चढ़ जामुन तोड़े ,ना बगिया से आम चुराए 
 ढूंढ रसोई में  डब्बे से ,चुपके चुपके लड्डू खाए 
अपने भाई बहन से तुमने ,कभी कोई झगड़ा न किया है 
बचपन के अनमोल क्षणों का फिर तुमने क्या मजा लिया है 

 मां पल्लू से चुरा के पैसे, चुपके-चुपके कुल्फी खाई
 अपने घर की छत पर चढ़कर, पेंच लड़ाए, पतंग उड़ाई 
बना बहाना पेट दर्द का, स्कूल से छुट्टी ले ली पर 
 अपने यार दोस्तों के संग,चोरी चोरी देखा पिक्चर
 अपनी जिद मनवाने खातिर ,घर भर में उत्पाद किया है 
बचपन के अनमोल क्षणों का फिर तुमने क्या मजा लिया है 

मदन मोहन बाहेती घोटू

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