अम्मा गयी विदेश
निमंत्रण उसको मिला विशेष
हमारी अम्मा गयी विदेश
देख वहां की मेहरारू को ,अम्मा है शरमाती
ऊंचा सा स्कर्ट पहन कर ,मेम चले इतराती
ना सर चुन्नी,नहीं दुपट्टा ,खुली खुली सी छाती
मरद से काटे छोटे केश
हमारी अम्मा गयी विदेश
खान पान भाषा से उसकी नहीं बैठती पटरी
जाय घूमने,भूख लगे तो ,अम्मा खोले गठरी
ना पीज़ा बर्गर वो खाये अपने लड्डू ,मठरी
यही है उसका भोज विशेष
हमारी अम्मा गयी विदेश
पोती और जमाई घूमे ,दिन भर पहने नेकर
चकला बेलन नहीं ,बनाता रोटी,'रोटी मेकर '
एक दिन सब्जीदाल बनाकर खाते है हफ्तेभर
रसोई का ना निश दिन क्लेश
हमारी अम्मा गयी विदेश
जगह जगह पर छोरा छोरी और विदेशी जोड़े
लाज शरम तज,चूमाचाटी करते दिखे निगोड़े
होय लाज से पानी अम्मा, मुंह पर घूँघट ओढ़े
मुओं को शरम बची ना शेष
हमारी अम्मा गयी विदेशी
यूं तो सुथरा साफ़ बहुत ये देश है अंग्रेजों का
महरी नहीं,मशीने करती ,बर्तन ,झाड़ू ,पोंछा
टॉयलेट में नल ना ,कागज से पोंछो,ये लोचा
लगे है दिल पर कितनी ठेस
हमारी अम्मा गयी विदेश
नहीं समोसे,नही जलेबी ,नहीं चाट के ठेले
सब इंग्लिश में गिटपिट करते,घूम न सके अकेले
डॉलर की कीमत रूपये में बदलो,रोज झमेले
यहाँ का बड़ा अलग परिवेश
हमारी अम्मा गयी विदेश
पोती ने जिद कर अम्मा को नयी जींस पहना दी
एक सुन्दर सा टॉप साथ में एक जर्सी भी ला दी
मेम बनी अम्मा ,शीशे में देख स्वयं शरमाती
पहन कर अंग्रेजों का भेष
हमारी अम्मा गयी विदेश
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '