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मंगलवार, 2 जून 2015

ये ग़ालिब हो नहीं सकता

           ये ग़ालिब हो  नहीं सकता

तुम्हारे गाल अच्छे है और लब भी खूबसूरत है ,
      मगर ग़ालिब तुम्हे कह दूँ ,ये मुझ से हो नहीं सकता
मियां ग़ालिब का अंदाजे बयां सब से निराला था,
     मगर अंदाज तुम सा भी ,किसी का हो नहीं सकता
बड़ा बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकला हूँ ,
      मैं  कितनी बार ही लेकिन ,तुझे मैं  खो नहीं सकता
दिले नादाँ के दर्दों की ,दवाई पूछता सबसे,
       इश्क़ पर जोर ग़ालिब का भी देखो  हो नहीं सकता
गालिबन रोज तुम गाली ,मुझे देती हो शेरों सी,
        मैं कुत्ते सा हिलाता दुम ,शरम  से रो नहीं सकता 
हमारी फांकामस्ती ने,रंग क्या क्या दिखाये  है ,
       पकाता ,माँजता बर्तन पर कपडे  धो नहीं  सकता

घोटू

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