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मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

शिकवा शिकायत

      शिकवा शिकायत

खिलाड़ी कुछ मोहब्बत ये ,बड़े होशियार होते है ,
            पहुँच झट जाते है दिल में,पकड़ते बस कलाई है
वो तितली की तरह कितने ही फूलों पर है मंडराते ,
            चुभे काँटा तो कहते ये  ,हमारी   बेवफाई   है
  ये उल्फत भी अजब शै  है,नहीं कुछ बोल हम पाते ,
             लगा होठों पे ताला है ,कसम उनने  दिलाई है
छुपा के उनकी यादों को ,रखा दिल की तिजोरी में ,
           यही तो एक दौलत  जो ,उमर भर में  कमाई है
सही हाथों में जो आती,हजारों नगमें लिख देती ,
            बहुत बदनाम कर देती,मुंह पर पुत सियाही है
सहा करती है धरती माँ ,हमारे सब सितम बरसों ,
           जो उफ़ कर थोड़ा हिल जाती ,मचा देती तबाही है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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