हाँ,
मुद्दा यही है,
पर क्या ये सही है,
वास्तविकता का कोई अंश है,
या सब ढपोरशंख है,
एक तरफ चीर हरण है,
फिर अनशन आमरण है,
क्या वाकई हृदय का जागरण है ?
हाँ, तावा वस्तुतः गरम है,
कई सेंक रहे रोटी नरम है,
चाह सबकी एक नई दिशा है,
पर दिखती दूर-दूर तक निशा है |
ओज है, साहस है,
पर मिलता सिर्फ ढाढ़स है |
चोर ही चौकीदार है,
कौन वफादार है ?
प्रदीप भाई वास्तविकता को बढ़िया ढंग से दर्शाया है आपने, सत्य कहा है आपने चोर ही चौकीदार है कौन वफादार है.
जवाब देंहटाएंसही बात कही आपने
जवाब देंहटाएंसादर
वाह . बहुत उम्दा,
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने चोर ही चौकीदार है :
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : "जागो कुम्भ कर्णों" , "गांधारी के राज में नारी "
'"क्या दामिनी को न्याय मिलेगी ?" ''http://kpk-vichar.blogspot.in, http://vicharanubhuti.blogspot.in
कुछ ज्वलंत बातें कहीं है आपने ... ओर बिलकुल सच है ...
जवाब देंहटाएंज्वलंत मुद्दा उठाया है प्रदीप जी... देखे इस प्रश्न का उत्तर किसके पास है?
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ... सटीक
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा ।
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