अपनो से
तुम मुझसे मिलने ना आते,
तो मुझे बुरा नहीं लगता है ,
पर कभी-कभी जब आ जाते,
तो यह मन खुश हो जाता है
मैं यही सोच कुछ ना कहता,
तुम बहुत व्यस्त रहते होंगे ,
क्या मुझसे मिलने कभी-कभी,
मन तुम्हारा अकुलाता है
कोशिश करोगे यदि मन से
तो समय निकल ही जाएगा,
मिलने जुलने से प्रेम भाव
आपस वाला बढ़ जाता है
है दूरी भले घरों में पर ,
तुम दिल में दूरी मत रखना ,
यह कभी टूट ना पायेगा,
मेरा तुम्हारा नाता है
इतनी तो अपेक्षा है तुमसे,
तुम कभी उपेक्षा मत करना
वरना तुम्हारी यह करनी ,
हर दम मुझको तड़पाएगी
मैं हूं उसे मोड़ पर जीवन के,
क्या पता छोड़ दूं कब सबको ,
तुम कभी-कभी मिल लिया करो,
तो उम्र मेरी बढ़ जाएगी
मदन मोहन बाहेती घोटू