ये दूरियां
मै बिस्तर के इस कोने में ,
तुम सोई उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
ना तो कुछ श्रृंगार किया है ,
ना ही तन पर आभूषण
ना ही स्वर्ण खचित कपडे है ,
ना ही है हीरक कंगन
सीधे सादे शयन वसन में ,
रूप तुम्हारा अलसाया
कभी चूड़ियाँ,कभी पायलें,
बस खनका करती खन खन
तेरी साँसों की सरगम में,
जीवन का संगीत भरा,
तेरे तन की गंध बहुत है ,
मेरे पागल होने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोई उस कोने में
तुम उस करवट,मै इस करवट,
दूर दूर हम सोये है
देखें कौन पहल करता है ,
इस विचार में खोये है
दोनों का मन आकुल,व्याकुल,
गुजर न जाए रात यूं ही ,
टूट न जाए ,मधुर मिलन के,
सपने ह्रदय संजोये है
हठधर्मी को छोड़ें,आओ,
एक करवट तुम,एक मै लूं,
मज़ा आएगा,एक दूजे की ,
बाहुपाश बंध ,सोने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोयी उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अपना सा दर्द
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अपना सा दर्द फिर वही झूला, वही ढलती हुई शाम हैकई दिनों बाद मिली दिल को
फुर्सत, आया आराम हैआसमां चुप है सलेटी सी चादर ओढ़ेपेड़ खामोश है, हवा भी बंद,
नहीं कोई ...
4 घंटे पहले