
चाह जब जागे मिलन की
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चाह जब जागे मिलन की निज आत्म में जागना है न कि जगत से भागना है, मिला बाहर,
वही भीतर नहीं अब कुछ माँगना है !भाव अपना शुद्ध हो जब प्रेम रस भीतर
रिसेगा, मधुर ...
7 घंटे पहले

बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से