| |||||||||||||||||||
|
पृष्ठ
एक सन्देश-
pradip_kumar110@yahoo.com
इस ब्लॉग से जुड़े
गुरुवार, 12 दिसंबर 2019
【SEAnews:India Front Line Report】December 10, 2019 (Tues) No. 3938
मंगलवार, 10 दिसंबर 2019
जब बूढ़े होते भाई बहन ,मिल बैठ किया करते बातें
आँखों आगे जीवित होती ,बचपन की कितनी हीयादें
हम सात बहन और भाई थे दिन भर करते रहते मस्ती
तबकितनी रौनक़ रहती थी घरमें थी चहलपहलबसती
इक दूजे संग लड़ना झगड़ा करना शिकायतें मारपीट
वो ग्रूपबाज़ी ,क़ट्टीबट्टी,वो प्रेमभाव वो हारजीत
पर करे लड़ाई कोई अन्य तो सब मिलकरकरते प्रहार
दिवाली की आतिशबाज़ी वो रक्षाबंधन त्योहार
वो ताश खेलना छुपछुप कर छतपर सोनेवाली रातें
जब बूढ़े होते भाई बहन मिल बैठ कभी करते बातें
गर्मी की छुट्टी होते ही वो नानी के घर पर जाना
वो आम चूसना जी भर कर जामुन खाना खिरनीखाना
नानी डब्बे से चुपके से लड्डू मठरी चोरी करना
वो देर रात स्टोव जला छतपर चुपके हलवा बनना
मामा को मक्खनमार मार वो उनके संग पिक्चर जाना
और चाटपकोड़ी ठेले पर दस दस पानीपूरी खाना
वो स्वाद यादकर कभीकभी हम अब भीहँसतेमुसकाते
जब बूढ़े होते भाई बहन मिल बैठ कभी करते बातें
बड़े भाई और दीदी में हरदम ही रहती थी खटपट
मझली चमची थी भैया के सबकाम किया करती झटपट
छोटी भोली बन मँझले की चुग़ली लगवाया करती थी
और आँसू बहा पिताजी से उसको पिटवाया करतीथी
वो रोज़ सवेरे भैया का लाना जलेबियाँ गरम गरम
वो स्वाद रसीला प्यारासा क्या कभी भूल पायेंगे हम
बस यूँ ही शिकायत शिकवे में बीता बचपन हँसते गाते
जब बूढ़े होते भाई बहन मिल बैठ कभी करते बातें
जब बड़ी बड़ी हो जाती थी पड़ जाते थे छोटे कपड़े
उनके सुंदर कपड़े लेने , होते थे छोटों में झगड़े
स्कूल की किताबें भाई की छोटे सब काम में लाते थे
पढ़ने की दिक्कत होमवर्क चोटों का बड़े कराते थे
ना था मोटा स्कूल बेग नस मँहगीमँहगी ट्यूशन थी
कक्षा में प्रथम कौन आये आपस में कंपीटिशन थी
खाने को कलाकंद मिलता जब थे अच्छे नम्बरआते
जब बूढ़े होते भाई बहन मिल बैठ कभी करते बातें
जैसे जैसे हम बड़े हुये परिवार हो गया तितर बितर
पढ़ने को भाई गये बाहर शादी की गये नौकरी पर
धीरे धीरे सब बहने भी शादी करवा हो गयी बिदा
वीरान हो गया वो आँगन रहती थी रौनक़ जहाँ सदा
रह गये अकेले माँ बापू सूनाहो गया चहकता घर
आजाते लेने ख़ैर ख़बर भाई मिलने त्योहारों पर
ये क़िस्सा नहीं हमारा है ये तो है घर घर की बातें
जब बूढ़े होते भाई बहन मिल बैठ किया करते बातें
चस्का चुनाव का
एक नवधनाढ्य से ,जब सम्भल नहीं पायी उसकी माया
तो उसे चुनाव लड़ कर नेता बनने का शौक चर्राया
वो मेरे पास आया
और बोला ,मैं अपनी जयजयकार सदा देखना चाहता हूँ
खुद को फूलों की मालाओं से लदा देखना चाहता हूँ
इसलिए मन कर रहा है नेता बनू और चुनाव लड़ूँ
आप बताइये कौनसी पार्टी ज्वाइन करूँ
मैंने कहा कई पार्टियों के प्रमुख होते है बड़े विकट
करोड़ों में बेचते है चुनाव का टिकिट
तुम उनके चक्कर में मत पड़ो
इससे बेहतर है कि इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ो
कई बार चुनाव के बाद नतीजों की ऐसी स्तिथि आती है
जब किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता,
तब इंडिपेंडेंट केंडिडेट की वेल्यू बहुत बढ़ जाती है
ऐसे में उसके भाग्य का कमल ऐसा खिलता है
कि धन के साथ साथ ,उसे मंत्री पद भी मिलता है
वो ललचाया और बोलै ठीक है मैं इंडिपेंडेंट चुनाव लडूंगा
पर इस राह पर आगे कैसे बढूंगा
हमने कहा इसके लिए आपको ,सबको सर झुका कर ,
प्रणाम करने की आदत डालनी होगी
और अपना गुणगान करनेवाले चमचों की
एक फ़ौज पालनी होगी
गरीब जनता के वोट पाने के लिए उन्हें लुभाना पड़ता है
पैसा और दारू ,पानी की तरह बहाना पड़ता है
पर ये काम आसान नहीं है ,
अन्य पार्टियों की नज़र से बचना पड़ता है
और जब आचार संहिता लग जाती है ,
तो बहुत संभल कर चलना पड़ता है
आप अपने चमचों से अलग अलग संस्थाएं
जैसे ' महिला उत्थान समिति 'बनवाये
और उनसे 'मातृशक्ति महिमा मंडन 'जैसे ,
समारोहों का आयोजन करवाए
अपने आपको ऐसे समारोहों का मुख्य अतिथि बनवाएं
और वो आपके हाथों हर महिला को ,
साडी ,सिलाई मशीन या अन्य गृह उपयोगी
उपकरण भेंट करवाये
इसीतरह युवा विकास केंद्र 'स्थापित करवा ,
युवाओं को टेबलेट लेपटॉप का आपके हाथों वितरण होगा
और आपका प्रभावशाली भाषण होगा
वरिष्ठ नागरिक सेवा केंद्र '
सीनियर सिटिज़न सन्मान समारोह का आयोजन करवा
आपके हाथों बुजुर्गों को शाल अर्पित करवाएंगे
और आपके वोट सुनिश्चित हो जाएंगे
इसमें पैसा तो आपका लगेगा पर कोई और दिखायेगा खर्चा
मुख्य अतिथि के रूप में आपका होगा चर्चा
लोग आपको पहचानने लग जाएंगे
और जब ये इन्वेस्टमेंट वोट में परिवर्तित होगा ,
आपके भाग्य जग जाएंगे
ये चुनाव का खेल बड़ा कॉम्प्लिकेटेड है ,आसान नहीं है
कई हथकंडे अपनाने पड़ते है ,आपको ज्ञान नहीं है
पर जब एक बार आप पूरे उत्साह और लगन के साथ
खेल के मैदान में उतरेंगे
तो अपनी बुद्धि और धन के बल पर ,
नैया पार लगा ही लेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ये भूलने की बिमारी
कल पत्नीजी ने फ़रमाया
कि बढ़ती हुई उमर के साथ
कमजोर होती जारही है उनकी याददाश्त
आजकल वो कई बार ,
कई लोगों के नाम भूल जाती है
किसी काम के लिये निकलती है
पर वो काम भूल जाती है
कोई चीज कहीं पर रख कर ,
ऐसी दिमाग से उतरती है
कि उसकी तलाश ,
उसे दिन भर परेशान करती है
कई बार दूध गैस पर चढ़ा देती है
पर ध्यान नहीं रहता है
पता तब लगता है जब दूध ,
उफन कर गैस स्टोव पर बहता है
ये बुढ़ापे के आने की निशानी है
ये याददाश्त का इस तरह होना कम
लगता है अब धीरे धीरे ,
बूढ़े होते जा रहे है हम
मैंने कहा सच कहती हो उस दिन ,
जब पार्टी में मैंने तुम्हे 'हनी 'कह कर पुकारा था
आश्चर्य और शर्म से चेहरा लाल हो गया तुम्हारा था
तुम शर्माती हुई मेरे पास आयी थी
बड़ी अदा से मुस्कराई थी
और बोली थी की जवानी में ,
जब आप मुझ पर मरते थे
तब मुझे 'हनी 'पुकारा करते थे
आज अचानक मुझ पर ,
इतना प्यार कैसे उमड़ आया है
मुझे हनी कह कर बुलाया है
मैंने उसे तो बहला दिया यह कहकर
तुम्हारा रूप लग रहा था जवानी से भी बेहतर
पर हक़ीक़त को मै कैसे करता उसके आगे कबूल
दरअसल मै नाम ही उसका गया था भूल
जब बहुत सोचने पर भी नाम याद नहीं आया
मैंने 'उनको हनी 'कह कर था बुलाया
पर ये सच है कि जैसे जैसे ,
उमर आगे की और दौड़ती है
आदमी की याददाश्त घट जाती है ,
पर पुरानी यादें पीछा नहीं छोड़ती है
एक तरफ ताज़ी बाते भूलने लगती है
दूसरी तरफ पुरानी यादों की फाइल खुलने लगती है
ये भूलने की बिमारी
पड़ती है सब पर भारी
पर ये भूलने का रोग बड़ा अलबेला है
इसे हमने बुढ़ापे में ही नहीं ,जवानी में भी झेला है
मुझे याद है जब हमें प्यार हुआ था
जिंदगी में पहली पहली बार हुआ था
हम तुम्हारे प्यार में इतना मशगूल हुए थे
यादो में खोये रहते,,खानापीना भूल गए थे
तुम्हे प्रेमपत्र लिख कर पोस्टबॉक्स में डाल आते थे
पर उस पर टिकिट लगाना भूल जाते थे
तुमने पहली नज़र में ,मेरा दिल चुरा लिया था
बदले में मैंने अपना दिल तुमको दिया था
और फिर हम दोनों प्यार में इस कदर खोगये थे
कि ताउम्र एक दुसरे के हो गए थे
और हमारे इश्क़ की भूल की ,
ये दास्ताँ इसलिए ख़ास है
कि आज भी मेरा दिल तुम्हारे पास और
तुम्हारा दिल मेरे पास है
एक दुसरे के दिल में धड़कता है
बिना मिले चैन नहीं पड़ता है
आजकल जवानी में भूलने का,
एक और अंदाज नज़र आने लगा है
जो बुजुर्गों को सताने लगा है
जब माँ बाप बूढ़े और लाचार हो जाते है
जवान बच्चे उन्हें तिरस्कृत कर भुलाते है
वो ये भूल जाते है कि जवानी की इस भूल के
परिणाम उन्हें भी भुगतने पड़ेंगे
जब वो बूढ़े होंगे तो उनके बच्चे भी ,
उनकी और ध्यान नहीं देंगे
इसलिए भूल कर भी अपने बूढ़े माबाप को मत भूलना ,
वर्ना ये होगी आपके जीवन की सबसे बड़ी भूल
उनके आशीर्वाद आपके लिए वरदान है ,
और चन्दन होती है उनके पांवों की धूल
उस धूल को अपने सर पर चढ़ाओ
और सदा सुखी रहने का आशीर्वाद पाओ
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मेरे प्यार का दुश्मन
ये कान लगा कर सुनती है जब वो इनसे कुछ कहता है
ये उससे चिपकी रहती है ,वो इनसे चिपका रहता है
ये मेरी ओर देखती ना ,बस उससे नज़र मिलाती है
और एक हाथ से पकड़ उसे ,फिर दूजे से सहलाती है
वो थोड़ी सी हरकत करता तो उसके पास दौड़ती है
हद तो तब होती बिस्तर पर भी ,उसको नहीं छोड़ती है
वो नाजुक नाजुक हाथ कभी ,सहलाया करते थे हमको
बालों में फंसा नरम ऊँगली,बहलाया करते थे हमको
वो ऊँगली हाथ सलाई ले ,सर्दी में बुनती थी स्वेटर
सर दुखता था तो बाम लगा ,जो सहलाती थी मेरा सर
वो ऊँगली जिसमे चमक रहा अब भी सगाई का है छल्ला
हो गयी आज बेगानी सी ,है छुड़ा लिया मुझसे पल्ला
ऐसी फंस गयी मोहब्बत में ,उस स्लिम बॉडी के चिकने की
करती रहती है चार्ज उसे ,और मेरे पास न टिकने की
वो इन्हे संदेशे देता है ,घंटों तक इनको तकता है
अपने सीने में खुले आम ,इनकी तस्वीरें रखता है
उससे इनने दिल लगा लिया ,और तोड़ दिया है मेरा दिल
मेरी जान का दुश्मन मोबाईल ,मेरे प्यार का दुश्मन मोबाईल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हलचल अन्य ब्लोगों से 1-
-
African wooden head statues for sale - Rare African wooden head statues for sale [image: IMG_20240213_115052_809~2.jpg] Exploring the Fascinating World of Rare African Wooden Head Statues: H...2 घंटे पहले
-
भारतीय न्याय संहिता 2023 - धारा 2 (4)-भाग 5 - भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 (3) के बाद हम आते हैं धारा 2 (4) पर, जिसमें भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 28 समाहित की गई है. भारतीय दंड संहित...3 घंटे पहले
-
1413-अंजू निगम की कविताएँ - *अंजू निगम **की कविताएँ * *1-बरखा* बरखा की बूँदों ने जब भी फैलाया था अपना आँचल और जब बिखर रहे थे रंग मेहँदी के, मेरे मन के आँगन में तब लगा...2 दिन पहले
-
पंछी इक दिन उड़ जाएगा - पंछी इक दिन उड़ जाएगा जरा, रोग की छाया डसती मृत्यु, मुक्ति की आस बँधाये, पंच इंद्रियाँ शिथिल हुई जब जीवन में रस, स्वाद न आये !कुछ करने की चाह न जागे फिर ...2 दिन पहले
-
राजनीति नारी का अपमान न करे - भाजपा और अंधभक्त आज सत्ता के नशे में चूर नजर आ रहे हैं और इसका जीता जागता प्रमाण वे स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं. विपक्ष के नेताओं को लेकर भाजपा के बड़े ब...3 दिन पहले
-
हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं - हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही समुद्र लाँघने में सक्षम थे, फिर पहले हनुमान जी लंका क्यों गए? "अंगद कहइ जाउँ मैं पार...5 दिन पहले
-
श्रीमद्भगवद्गीता के 36 तत्त्व - श्रीमद्भगवद्गीता के मूल तत्त्व ⤵️ 1️⃣ 2️⃣ 3️⃣ 4️⃣ ब्रह्म महाभूत कर्म कर्मयोग ईश्वर तन्मात्र ज्ञान ज्ञानयोग परमात्मा बुद्धि भाव समत्वयोग ...6 दिन पहले
-
774. नैनों से नीर बहा (19 माहिया) - नैनों से नीर बहा (19 माहिया) *** 1. नैनों से नीर बहा किसने कब जाना कितना है दर्द सहा। 2. मन है रूखा-रूखा यों लगता मानो सागर हो ज्यों सूखा। 3. दुनिया खे...2 हफ़्ते पहले
-
एक अनूठी फ़िल्म- 'नज़र अंदाज़'. - 37° C, तापमान से बचने के लिये,, कमरे के परदे खींचे, A.C. चलाया और ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई फ़िल्म खोजने लगे. इत्तेफ़ाक़ से एक फ़िल्म का ट्रेलर चलने लगा, और...3 हफ़्ते पहले
-
'रामदरश मिश्र : सेलेक्टेड पोएटरी, फिक्शन एंड नॉन-फिक्शन' का हुआ लोकार्पण - ------------------------------ 16 मार्च, 2024, नई दिल्ली | हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र के शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनके द्वारा रचित सभी विधाओं...5 हफ़्ते पहले
-
जगह दे दो मुझे अपने आंगन में- संध्या शर्मा - ओ गौरैया! नन्ही सी तुम कितनी खुश थी अपनी मर्जी से चहचहाती थी जब जी चाहे सामर्थ्य भर भरती थी उड़ान छू लेती थी आसमान चहचहाती थी जहां जी ...5 हफ़्ते पहले
-
नर्मदे हर - बेटियों की शादी के बाद से देव धोक लगातार चल रहा है। आते-जाते रास्ते में किसी मंदिर जाते न जाने कब किस किस के सामने बेटियों के सुंदर सुखद जीवन की प्रार्थ...1 माह पहले
-
हम सब सो रहे हैं.... - लगता हैजैसे इस मतलबी दुनिया मेंअपने भूतऔर भविष्य को भूल करसिर्फ वर्तमान को ढो रहे हैंगहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।नहीं मतलब इससे कि क्या हो रहा है...1 माह पहले
-
-
हाथी तो हाथी होता है - हाथी तो हाथी होता है । जंगल का साथी होता है । हरदम उसकी मटरगशतियां, कभी खेत में, कभी बस्तियां; कभी नदी के बैठ किनारे, देखा करता है वो कश्तियां । कभी हि...1 माह पहले
-
महिला दिवस विशेष १- भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की भूमिकाएँ - *भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की पार्श्व भूमिकाएँ – ऋता शेखर ‘मधु’* सिनेमा को सबसे लोकप्रिय कला माध्यम के रूप में देखा जाता है। एक वक्त था जब भा...1 माह पहले
-
'साहित्य' अलग है, 'भाषा' अलग है - भाषा में होता है ज्ञानऔर...अपना ज्ञान भी होता है भाषा काछोटे शब्दों में कहिए तोभाषा यानिज्ञान भीन मौन हैभाषाऔर न हीज्ञान मौन हैएक पहचान हैभाषा...जो अपने आ...2 माह पहले
-
-
बसंत के आने उम्मीद... - हर उस जगह से तुम लापता हो गए जहां मैं पहुंच सकती थी न सिर्फ पहुंचती बल्कि आवाज भी लगाती कि ठहरो, जरा एक नजर देख लो शायद मन का कोई छोटा सा ही हिस्सा अभी...2 माह पहले
-
जो मेरे अन्दर से गुजरता है - जाने कौन है वो जो मेरे अन्दर से गुजरता है थरथरायी नब्ज़ सा खामोश रहता है मैं उसे पकड़ नहीं सकती छू नहीं सकती एक आखेटक सा शिकार मेरा करता है जाने क...2 माह पहले
-
ओ साथी मेरे - मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ... वादा किया था उससे -कहा मानूंगी राह तक रही हूँ ,अब तक खड़ी वहीं... वो अब हमेशा के लिए म...2 माह पहले
-
लोहे का घर 75 (संस्मरण) - लोहे का घर का घर मेरा पीछा नहीं छोड़ता या मैने लोहे के घर को अपना आवास बना लिया है, नहीं पता। अभी मुंबई, गोवा, पुणे घूमकर 10 दिनों में घर आया ही था कि आज ...3 माह पहले
-
रामलला का करते वंदन - कौशल्या दशरथ के नंदन आये अपने घर आँगन, हर्षित है मन पुलकित है तन रामलला का करते वंदन. सौगंध राम की खाई थी उसको पूरा होना था, बच्चा बच्चा थ...3 माह पहले
-
जीने का जज़्बा - *अरमाँ की तरह जो संग चले * *बाहों में वो कुछ यूँ भर ले * *जैसे कोई अपना होता है * *जैसे कोई सपना होता है * *कानों में वो कुछ यूँ कहता * *धरती अपनी ,दु...3 माह पहले
-
गुलामी गीत - अति उन्माद अराजकता को जन्म देता है समय रख रहा है आधारशिला कल की, परसों की बरसों की इस दौर में सत्य का घूँट हलक से उतरा नहीं करता तुम बोलोगे मारे ...3 माह पहले
-
कल्पना - आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रही हूँ वह एक ऐसी घटना है जिसे यदि आप जीना चाहते हैं तो अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाईये. जितना ज्यादा आप अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाए...3 माह पहले
-
12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत? - *12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?* विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के...3 माह पहले
-
वर्तमान की वह पगडंडी जो इस देहरी तक आती थी..... - *युद्ध : बच्चे और माँ (कविता)* साहित्य अकादमी के वार्षिक राष्ट्रीय बहुभाषीकवि सम्मेलन की चर्चा मैंने अभी पिछली बार की थी। वहाँ काव्यपाठ में प्रस्तुत अपनी र...6 माह पहले
-
अवतरो धरा पर, हे नव शिशु ! - * अवतरो धरा पर, हे नव शिशु अँधियारे के कठिन प्रहरों में, तमस् की कारा में जहाँ युग तुम्हारी प्रतीक्षा में लोचन बिछाये है.सद्भावों के पक्ष मे दैवी शक्...7 माह पहले
-
इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! - Bhukamp kab aayega इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! 21वीं सदी के शुरू होते ही इंटरनेट पर हिंदी ...7 माह पहले
-
चंदा मामा पास के ........ - भारतीय समयानुसार छः बज कर चार मिनट का कर रहे थे इन्तज़ार , दिल धड़क रहे थे ज़ार ज़ार अभी भी नहीं गयी है आदत बचपन की जब भी आना होता था किसी का भी परिण...8 माह पहले
-
डॉल्बी विजन देखा क्या? - इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या? यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें. अब इससे आगे की बात – डॉल्बी विजन देखा क...8 माह पहले
-
चन्द्रशेखर आज़ाद - चंद्रशेखर "आज़ाद" ************** उदयाचल से अस्तातल तक इसकी जय जयकार रही, शिक्षा और ज्ञान की इस पर बहती सतत बयार रही, वैभव में दुनियाँ का कोई देश न इसका सानी...10 माह पहले
-
-
अनायास - - * नयन अनायास भर आते हैं कभी, यों ही बैठे बैठे! नहीं , कोई दुख नहीं , कोई हताशा नहीं , शिकायत भी किसी से नहीं कोई. क्रोध ? उसका सवाल ही नहीं उठता ...11 माह पहले
-
क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ - ग़ज़ल मंज़िल से अब दूर नहीं हूँ थोड़ा भी मग़रूर नहीं हूँ गिर जाऊँ समझौते कर लूँ इतना भी मजबूर नहीं हूँ दूर हुआ तू मुझसे फिर भी तेरे ग़म से चू...1 वर्ष पहले
-
Measuring Astronomical distances in Space - क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी, एक ...1 वर्ष पहले
-
भकूट - कूट-कूट कर भरा हुआ प्रेम.. - सबको भकूट दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब भी हैरान हो रहे होंगे कि आज तो वैलेंटाइन डे है, हैप्पी वैलेंटाइन डे बोलना होता है, यह भकूट दिवस क्या और कैसा। त...1 वर्ष पहले
-
इल्लियाँ और तितलियाँ - बेचैन हैं कुछ इल्लियाँ तितलियाँ बन जाने को कर रही हैं पुरज़ोर कोशिश निकलने की कैद से अपने कोकून की। वे काट कर चोटियाँ, लहरा रही हैं , आज़ादी का परचम। गोलियाँ ...1 वर्ष पहले
-
संवाद - एकांत में संवाद ************* उदास काले फूलों वाली रात उतरी पहाड़ो की देह पर जैसी सरकती हैं जमी पर असंख्य लाल चीटियां झूठी हँसी लिए स्नोड्राप बह रहे हैं एक ब...1 वर्ष पहले
-
कुछ तो - *कुछ तो * सोचती हूं खोल दूं बचपन की कॉपियां और निकाल दूं सब कुछ जो छुपाती रही समय और समय की नजाकत के डर से निकालूँ वह इंद्रधनुष और निहारूं उसे ज...1 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी पुरशबाब होती है - क्या कहूँ क्या जनाब होती है जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो वो मगर लाजवाब होती है उम्र की बात करने वालों सुनो ज़िन्दगी पुरशबाब ह...1 वर्ष पहले
-
Boond - Samay ki dhara bahati hai Nirantar abadhit. Main to usability ek choosing boond Jo ho jayegi jalashay men samarpit. Ya dhara me awashoshit. N...1 वर्ष पहले
-
जाले: घोड़ा उड़ सकता है - जाले: घोड़ा उड़ सकता है: घोड़ा उड़ सकता है. पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व सवाई...1 वर्ष पहले
-
नाच नचावे मुरली - क्या-क्या नाच नचावे मुरली, जहां कहीं बज जावे मुरली। मीठी तान सुनावे मुरली, हर मन को हर्षावे मुरली , जिसने भी सुनली ये तान, नहीं रहे उसमें अभिमान। मुरली तेर...1 वर्ष पहले
-
"संविदा कर्मियों का दर्द" @गरिमा लखनवी - *संविदा कर्मियों का दर्द* *@**गरिमा लखनवी* *--* *कोई क्यों नहीं समझता* *दर्द हमारा* *हम भी इंसान हैं* *योगदान भी है हमारा* *--* *सरकारी हो या निजी* * कैसा भ...1 वर्ष पहले
-
शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२५) - * ये जीवन कढ़ाई में उबलती घनी मलाई की तरह है जिसमें हमारे सदगुण व अवगुण ( विकार, विचार, अच्छाई, बुराई, मोह, तृष्णा, वि...1 वर्ष पहले
-
किताबों की दुनिया - 257 - तू वही नींद जो पूरी न हुई हो शब-भर मैं वही ख़्वाब कि जो ठीक से टूटा भी न हो * मेरी आंखे न देखो तुमको नींद आए तो सो जाओ ये हंगामा तो इन आँखों में शब भर होने...1 वर्ष पहले
-
-
Tara Tarini Maha Shaktipeeth. - *Tara Tarini Maha Shaktipeeth* *गंजम जिले में पुरुषोत्तमपुर के पास रुशिकुल्या नदी के तट पर कुमारी पहाड़ियों पर तारा-तारिणी ओडिशा के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों...2 वर्ष पहले
-
मशहूर कथाएं : काव्यानुवाद - *दो बैलों की कथा :मुंशी प्रेमचंद)* (1) बछिया के ताऊ कहो, कहो गधा या बैल। हीरा मोती मे मगर, नहीं जरा भी मैल। नही जरा भी मैल, दोस्ती बैहद पक्की। मालिक झूरी म...2 वर्ष पहले
-
अनूठा रहस्य प्रकृति का... - रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष उसकी सख्त डालियों से लगे नरम नाजुक पुष्पों की करता रखवाली कि नरम नाजुक से पुष्प सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर सुकोमल...2 वर्ष पहले
-
उद्विग्नता - जीवन की उष्णता अभी ठहरी है , उद्विग्न है मन लेकिन आशा भी नहीं कर पा रही इस मौन के वृत्त में प्रवेश बस एक उच्छवास ले ताकते हैं बीता कल , निर्निमे...2 वर्ष पहले
-
क्षणिका - हां सच है देहरी पार की मैंने वर्जनाओं की रुढ़िवाद की पाखंड की कुंठा की .... ओह सभ्य समाज ....! तुम्हारी ओर से सिर्फ घृणा .? कहो इतने नाजुक कब से हो लि...2 वर्ष पहले
-
महिला दिवस - विशेष - मैंने माँ से पहचाना एक स्त्री होना कितना दुसाध्य है कोई देवता हो जाने से पहचाना अपनी बहिनों से कैसे वो जोड़े रखती हैं एक घर को दूसरे से सीख पाया अपनी बेटियो...3 वर्ष पहले
-
चुप गली और घुप खिडकी - एक गली थी चुप-चुप सी इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी इक रोज़ गली को रोक ज़रा घुप खिड़की से आवाज़ उठी चलती-चलती थम सी गयी वो दूर तलक वो देर तलक पग-पग घायल डग भर प...3 वर्ष पहले
-
गलती से डिलीट हो गए मेरे पुराने पोस्टों की पुनर्प्राप्ति : इंटरनेट आर्काइव के सौजन्य से - दो वर्ष पहले ब्लॉग का टेम्पलेट बदलने की की कोशिश रहा था। सहसा पाया कि कुछ पोस्ट गए। क्या हुआ था, पूरा समझ में नहीं आया। बाद में ब्लॉगर वालों को भ...3 वर्ष पहले
-
Pooja (laghukatha) - पूजा " सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा " जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है...3 वर्ष पहले
-
अलसाई शाम तले - यूँ ही एल अलसाई शाम तले बैठें थे कभी दो चार जब पल मिले मदहोश शाम ढल गयी यूँ ही आलस में तकदीर में जाने कब हों फिर ये सिलसिले ..3 वर्ष पहले
-
-
लाॅकडाउन 2 - मोदी जी....सुनो:- धीरे धीरे ही सही बीते इक्किस वार सोम गया मंगल गया कब बीता बुधवार कब बीता बुधवार हो गया अजब अचंभा लगता है इतवार हो गया ज्यादा लंबा दाढ़ी भी ...4 वर्ष पहले
-
-
Gatyatmak Jyotish app - विज्ञानियों को ज्योतिष नहीं चाहिए, ज्योतिषियों को विज्ञान नहीं चाहिए।दोनो गुटों के झगडें में फंसा है गत्यात्मक ज्योतिष, जिसे दोनो गुटों के मध्य सेतु ...4 वर्ष पहले
-
2019 का वार्षिक अवलोकन (अट्ठाईसवां) - खत्म होनेवाला है हमारा इस साल का सफ़र। 2020 अपनी गुनगुनी,कुनकुनी आहटों के साथ खड़ा है दो दिन के अंतराल पर। चलिए इस वर्ष को विदा देते हुए कुछ बातें कहती...4 वर्ष पहले
-
-
इंतज़ार और दूध -जलेबी... - वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि ब...4 वर्ष पहले
-
गुड्डू आओ ... गोलगप्पे खाएँ .... - गुड्डू आओ ... चलें .. गोलगप्पे खाएँ कुछ खट्टे-मीठे .. तो कुछ चटपटे-चटपटे खाएँ चलो .. चलें ... अपने उसी ठेले पे .. स्कूल के पास ... आज .. जी भर के ... मन भ...4 वर्ष पहले
-
cara mengobati herpes di kelamin - *cara mengobati herpes di kelamin* - Penyakit herpes genital baik pada pria maupun pada wanita kerap menjadi permasalahan tersendiri, karena resiko yang le...5 वर्ष पहले
-
-
आइने की फितरत से नफरत करके क्या होगा - आईने की फितरत से नफरत करके क्या होगा किरदार गर नहीं बदलोगे किस्सा कैसे नया होगा हर बार आईना देखोगे धब्बा वही लगा होगा आईने लाख बदलो सच बदल नहीं सकते ज...6 वर्ष पहले
-
शर्मसार होती इंसानियत.. - *इंसानियत का गिरता ग्राफ ...* आज का दिन वाकई एक काले दिन के रूप में याद किया जाना था. सबेरे जब समाचार पत्रों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस समाचा...6 वर्ष पहले
-
कूड़ाघर - गैया जातीं कूड़ाघर रोटी खातीं हैं घर-घर बीच रास्ते सुस्तातीं नहीं किसी की रहे खबर। यही हाल है नगर-नगर कुत्तों की भी यही डगर बोरा लादे कुछ बच्चे बू का जिनपर...6 वर्ष पहले
-
एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता - घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ नाम बचे है बाकी तीज त्योहार कहाँ ...6 वर्ष पहले
-
लिखते रहना ज़रूरी है ! - पिछले कई महीनों में जीवन के ना जाने कितने समीकरण बदल गए हैं - मेरा पता, पहचान, सम्बन्ध, समबन्धी, शौक, आदतें, पसंद-नापसंद और मैं खुद | बहुत कुछ नया है लेकिन...6 वर्ष पहले
-
इन आँखों में बारिश कौन भरता है .. - बेतरतीब मैं (३१.८.१७ ) ` कुछ पंक्तियाँ उधार है मौसम की मुझपर , इस बरस पहले तो बरखा बरसी नहीं ,अब बरसी है तो बरस रही ,शायद ये पहली बारिशों का मौसम...6 वर्ष पहले
-
सवाल : हम आपदाओं में फेल क्यों? जवाब में यह हकीकत पढि़ए - राजस्थान के एक हिस्से में बाढ़ का कहर है और लोग आपदा से घिरे हैं। प्रशासनिक अमला इतना असहाय नजर आ रहा है। आपदाएं हमेशा आती है और सरकारी तंत्र लाचार नजर आ...6 वर्ष पहले
-
ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3 - पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदा...6 वर्ष पहले
-
गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो - *गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो * लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भ...6 वर्ष पहले
-
जिन्द्गी - जिन्दगी कल खो दिया आज के लिए आज खो दिया कल के लिए कभी जी ना सके हम आज के लिए बीत रही है जिन्दगी कल आज और कल के लिए. दोस्तों आज मेरा जन्म दिन भ...6 वर्ष पहले
-
हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे - *हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगेहाँ ! चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे* जो रात होगी तो जमी से चाँदी बटोर लेंगे चाँदी की फिर पायल बना लम्हों ...7 वर्ष पहले
-
-
Demonetization and Mobile Banking - *स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...* प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...7 वर्ष पहले
-
गीत अंतरात्मा के: आशा - गीत अंतरात्मा के: आशा: मैं एक आशा हूँ मेरे टूट जाने का तो सवाल ही नहीं होता मैं बनी रहती हूँ हर एक मन में ताकि हर मन जीवित रह सके मुझे खुद को बचाए ही र...7 वर्ष पहले
-
'जंगल की सैर ' - मेरी पुरुस्कृत बाल कहानी 'जंगल की सैर ' मातृभारती पर। पढ़े और अपनी राय दें http:matrubharti.com/book/5492/7 वर्ष पहले
-
-
पानी की बूँदें - पानी की बूँदे भी, मशहूर हो गई । कल तक जो यूँही, बहती थी बेमतलब, महत्वहीन सी यहाँ वहाँ, फेंकी थी जाती, समझते थे सब जिसके, मामूली सी ही बूँदें, आज वो पहुँच स...8 वर्ष पहले
-
खोया बच्चा..... - आज एक हास्य कविता एक बच्चा रो रहा था , मेले में अनाउंसमेंट हो रहा था , जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ | तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है जल्दी से बच...8 वर्ष पहले
-
-
-
स्वागतम् - मित्रों, सभी को अभिवादन !! बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ | इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई ब्लॉग के लि...8 वर्ष पहले
-
बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...8 वर्ष पहले
-
विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग - *विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग* हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...8 वर्ष पहले
-
Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ” - *पिसते… घिसते… तराशे जाते…* *गिरते… छिलते… लताडे जाते…* *मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…* *गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…* *लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...8 वर्ष पहले
-
-
-
-
हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...9 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी का गणित - कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा न्यून तो किसी को अधिक वो लगा घात की घात क्या जान पाये नहीं हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...9 वर्ष पहले
-
-
कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...9 वर्ष पहले
-
जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...9 वर्ष पहले
-
झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...9 वर्ष पहले
-
-
आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...9 वर्ष पहले
-
झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...9 वर्ष पहले
-
हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...9 वर्ष पहले
-
-
गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
-
-
संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...10 वर्ष पहले
-
प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...10 वर्ष पहले
-
आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
-
OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...11 वर्ष पहले
-
इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...11 वर्ष पहले
-
यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...11 वर्ष पहले
-
आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...11 वर्ष पहले
-
-
क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
-
कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
-
HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
-
"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...12 वर्ष पहले
-
अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...12 वर्ष पहले
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-