गिरावट
मंहगाई गिरती है,लोग खुश होते है
संसेक्स गिरता है कई लोग रोते है
पारा जब गिरता है,हवा सर्द होती है
पाला जब गिरता है ,फसल नष्ट होती है
सरकार गिरती है तो एसा होता है
कोई तो हँसता है तो कोई रोता है
आंसू जब गिरते है,आँखों से औरत की
शुरुवात होती है ,किसी महाभारत की
लहराते वो आते ,पल्लू गिराते है
बिजली सी गिरती जब वो मुस्कराते है
शालीनता गिरती है,वस्त्र घटा करते है
आदर्श गिरते जब वस्त्र हटा करते है
लालच और लिप्सा से ,मानव जब घिरता है
पतन के गड्डे में,अँधा हो गिरता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1463- सन्नाटे के ख़तों की आवाज़
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*भीकम सिंह*
लम्हों का सफर, नवधा, झाँकती खिड़की के साथ प्रवासी मन (हाइकु संग्रह) और
मरजीना
*(क्षणिका संग्रह)* को जोड़कर डॉ. जेन्नी शबनम का यह छठा काव्य- ...
4 घंटे पहले
लिखा बढ़िया है आपने .लेकिन आपकी तरफ से टिपण्णी के रूप में प्रतिक्रिया शून्य है यह न्यूटन के गति विज्ञान के तीसरे नियम का उलंघन हैं आप माने न माने .
जवाब देंहटाएंलिखा बढ़िया है आपने .लेकिन आपकी तरफ से टिपण्णी के रूप में प्रतिक्रिया शून्य है यह न्यूटन के गति विज्ञान के तीसरे नियम का उलंघन हैं आप माने न माने .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया... महंगाई से तो सब परेशान हैं...
जवाब देंहटाएंshri virendra kumaar sharmaji,
जवाब देंहटाएंaapki pratikriya ke liye dhanywaad.rachna aapko achchhi lagi mujhe khushi hai.newton ke teesre siddhant ko kyaal rakhoonga