ज़िंदगी अधूरी तेरे बिन - भाग चार (04)
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ज़िंदगी अधूरी तेरे बिन - भाग चार (04)अंशुमनमैं घर पहुंचा तो घर में अंधेरा
था। मैंने सोचा कि प्रियंका सो रही होगी। लेकिन वह तो हमेशा मेरे लिए कुछ
लाइटें जलाक...
10 घंटे पहले

सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआँखों का भी अदभुत फसाना है.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
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