मॉडर्न कवि मिलन
वो आये ,उनका स्वागत कर ,हमने पूछा भाई
घर का पता ढूढ़ने में कुछ मुश्किल तो ना आई
उनने झट से मुस्कराकर निज मोबाईल दिखलाया
बोले 'जी पी एस 'लगा है,'गूगल 'ने पहुँचाया
हमने पूछा थके हुए हो ,चाय वाय मँगवाये
बोले अपने 'वाई फाई 'का ,पहले कोड बताएं
फिर पास आये ,फोन उठाकर ,खींची सेल्फी झट से
'पहुंच गए 'लिख 'व्हाट्स एप'पत्नी को भेजा फट से
हम बोलै साहित्य जगत की ,क्या खबरें है नूतन
वो बोले मॉडर्न तखल्लुस रखने का अब फैशन
चंद्रमुखी ने नाम बदल कर ,'फेस बुकी 'कर डाला
सर्वेश्वर ने नया तखल्लुस 'गूगली 'है रख डाला
डायरी में कविता लिख कर रखना सबने छोड़ा
मोबाईल लख ,कविता पढ़ते ,ऐसा नाता जोड़ा
अपना ब्लॉग बना निज रचना लोग पोस्ट है करते
पढ़ने वाले दिखा अंगूठा ,लाइक उसको करते
साहित्यिक पत्रिका बंद सब ,पेपर भी ना छापे
टी वी वाले ,कविसम्मेलन करते कभी बुलाके
हास्य कवि ,चुटकुले सुना कर ,है ताली बजवाते
अब ना बच्चन की मधुशाला ,अब ना नीरज गाते
कविसम्मेलन में भी देखी है गुटबाजी छाई
एक दूजे की कविता सुन कर ,करते वाही वाही
फिर बोले,छोडो ये किस्से ,तुम कैसे बतलाओ
ये तो चलता सदा रहेगा ,अब तुम चाय मँगाओ
मदन मोहन बाहेती ' घोटू '
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