केरल की त्रासदी पर
देख तड़फता निज बच्चों को ,रोया तू भगवान तो होगा
तूने इतना दर्द दिया है ,इसका कोई निदान तो होगा
तेरा अपना देश कहाता ,सुंदरता थी,हरियाली थी
गाँव गाँव में समृद्धि थी ,गली गली में खुशहाली थी
जिसकी एक बाजू सागर की ,लहरें उछल उछल धोती थी
नारियल,केले और मसाले ,की घर घर खेती होती थी
वहां भला क्यों इतना ज्यादा ,अतिवृष्टि कर ,जल बरसाया
वहां जलप्रलय सा लाकर के ,तूने सितम इस तरह ढाया
क्या वो तेरे बंदे ना थे , क्यों थी उनसे यूं नाराजी
नदियां उमड़ी ,बाढ़ आ गयी ,सभी तरफ छायी बर्बादी
कीचड़ कीचड़ गाँव हो गए ,सड़क हो गयी टुकड़े टुकड़े
कितने घर बरबाद हो गए ,कितने घर में छाये दुखड़े
कोई की माँ ,कोई बेटा ,कोई डूबा ,कोई बह गया
कितनो का अरमान संजो कर, बनवाया आशियां ढह गया
इनकी पीड़ा देख प्रभु तू ,खुद भी परेशान तो होगा
तूने इतना दर्द दिया है ,इसका कोई निदान तो होगा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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