(२००वीं पोस्ट)
किताबों के पन्ने यूँ पलटते हुए सोचते हैं,
यूँ आराम से पलट जाए जिन्दगी तो क्या बात हो ।
तमन्ना जो पूरी होती है सिर्फ ख्वाबों में,
एक दिन हकीकत बन जाए तो क्या बात हो ।
शरीफों की शराफत में भी जो न हो बात,
कोई मयकश ही वो कह जाए तो क्या बात हो ।
कुछ लोग अकसर मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझे,
कोई बस हाल पुछने ही आ जाए तो क्या बात हो ।
कत्ल करके तो सब ले लेंगे जान मेरी,
कोई बस लुभा के ही ले जाए तो क्या बात है ।
जिंदगी रहने भर तो खुशियाँ लुटाता ही रहुँगा,
कोई मेरी मौत से भी खुश हो जाए तो क्या बात हो ।
(यह रचना मूल रूप से मेरी नहीं है | अच्छी लगी तो हल्का फुल्का सुधार के साथ यहाँ प्रस्तुत कर दिया )
किताबों के पन्ने यूँ पलटते हुए सोचते हैं,
यूँ आराम से पलट जाए जिन्दगी तो क्या बात हो ।
तमन्ना जो पूरी होती है सिर्फ ख्वाबों में,
एक दिन हकीकत बन जाए तो क्या बात हो ।
शरीफों की शराफत में भी जो न हो बात,
कोई मयकश ही वो कह जाए तो क्या बात हो ।
कुछ लोग अकसर मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझे,
कोई बस हाल पुछने ही आ जाए तो क्या बात हो ।
कत्ल करके तो सब ले लेंगे जान मेरी,
कोई बस लुभा के ही ले जाए तो क्या बात है ।
जिंदगी रहने भर तो खुशियाँ लुटाता ही रहुँगा,
कोई मेरी मौत से भी खुश हो जाए तो क्या बात हो ।
(यह रचना मूल रूप से मेरी नहीं है | अच्छी लगी तो हल्का फुल्का सुधार के साथ यहाँ प्रस्तुत कर दिया )
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रवारीय चर्चा मंच पर
charchamanch.blogspot.com
आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह ...सुन्दर प्रस्तुति
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