वीरानियों में है कहीं आबाद कोई
खामोशियों से दे रहा आवाज़ कोई
हाँ मर गया दिल और दिल की ख्वाइशें
मुझमे मगर जिंदा रहा अहसास कोई
टहलीं सड़क पर रात भर रानाइयां यूं
निकला बदन पर ओढ़ कर आकाश कोई
फिर ताजदारों से बगावत कर उठा दिल
दिल पर हुकुमत कर रहा बेताज कोई
फिर से दिल में ख्वाहिशें उगने लगी हैं
आँखों ने मेरी फिर से देखा ख्वाब कोई .......
रचनाकार :- कवि पंकज अंगार
खामोशियों से दे रहा आवाज़ कोई
हाँ मर गया दिल और दिल की ख्वाइशें
मुझमे मगर जिंदा रहा अहसास कोई
टहलीं सड़क पर रात भर रानाइयां यूं
निकला बदन पर ओढ़ कर आकाश कोई
फिर ताजदारों से बगावत कर उठा दिल
दिल पर हुकुमत कर रहा बेताज कोई
फिर से दिल में ख्वाहिशें उगने लगी हैं
आँखों ने मेरी फिर से देखा ख्वाब कोई .......
रचनाकार :- कवि पंकज अंगार
ललितपुर, ऊ.प्र.)
Bahut hi Sundar rachna...
जवाब देंहटाएंनए -नए ख्वाब तो आते ही रहते हैं ,उम्मीद जगाने के लिए ....
जवाब देंहटाएंBahut achha
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