अब आने वाला चुनाव है
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मरे हुए सपनो को फिर से,
जीवन दिलवाने के खातिर
सपनो का संसार दिखा कर,
फिर से बहलाने के खातिर
पांच साल में,एक बार जो,
मिलकर यज्ञ किया जाता है
राजनीती के इस खेले को,
नाम चुनाव दिया जाता है
इक दूजे को 'स्वाह 'स्वाह' कर,
'इदं न मम' की बातें करते
बार बार इस आयोजन में,
मन्त्र न,झूंठे वादे पढ़ते
मन में भर कर भाव कलुषित,
फैलाते ये घना धुंवां है
मार पीट और खूनखराबा,
अक्सर कितनी बार हुआ है
समिधा बना खरचते पैसा,
आहुति होती धन और बल की
संचित धन हो जाए कई गुना,
इसी मधुर आशा में कल की
बाहुबली, दबंग सभी तो,
सत्ता सुख का सपना पाले
उजले वसन पहन कर दिखते,
बगुला भगत बने ये सारे
पदासीन फिर सत्ता पाने,
एडी चोंटी जोर लगाते
बढ़ा दाम,फिर सस्ता करते,
घटा रहे मंहगाई ,बताते
अच्छा ,भला,बुरा क्या छांटे,
जिसको देखो वो है नंगा
डुबकी सभी लगाना चाहें,
बहती है सत्ता की गंगा
कोशिश टिकिट जाय मिल सबको,
बीबी ,बेटा,साला,भाई
वंशवाद फैले और विकसे,
पांच साल तक करें कमाई
भ्रष्टाचार मिटा देंगे हम,
और विकास का वादा करते
सर्व प्रथम खुद का विकास कर,
अपनी अपनी झोली भरते
एक बार मिल जाए सत्ता,
जीवन में आ जाय उजाला
फेंट रहे सब अपने पत्ते,
अब चुनाव है आनेवाला
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
BAHUT SAAMYIK RACHNA. PATA NAHI AB TAK KISI NE KOI COMMENT KYON NAHI KIYA.LAGTA HAI BLOGGER BHEE GUTBAJEE KA SHIKAR HO GAYE HAIN.
जवाब देंहटाएंaapki rachna se poori tarah sahmat..bahut hi achchi kavita likhi aapne..aabhar
जवाब देंहटाएंwelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली