जब जब दिल में दर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
जब भी कोई आपके अपने,
जिनको आप प्यार करते है
मुंह पर मीठी मीठी बातें,
पीछे पीठ वार करते है
जब जब भी बेगानों जैसा,
अपना ही हमदर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
रिश्तों के इस नीलाम्बर में,
कई बार छातें है बादल
होती है कुछ बूंदा बांदी,
पर फिर प्यार बरसता निश्छल
शिकवे गिले सभी धुल जाते,
मौसम खुल बेगर्द हुआ है
जब जब दिल में दर्द हुआ है
गलतफहमियों का कोहरा जब,
आसमान में छा जाता है
देता कुछ भी नहीं दिखाई ,
रास्ता नज़र नहीं आता है
दूर क्षितिज में अपनेपन का,
सूरज जब भी जर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
शीत ग्रीष्म के ऋतू चक्र के,
बीच बसंत ऋतू आती है
नफरत के पत्ते झड़ते है ,
प्रीत कोपलें मुस्काती है
कलियों और भ्रमरों का रिश्ता,
जब खुल कर बेपर्द हुआ है
तब तब दिल में दर्द हुआ है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तब तब मौसम सर्द हुआ है
जब भी कोई आपके अपने,
जिनको आप प्यार करते है
मुंह पर मीठी मीठी बातें,
पीछे पीठ वार करते है
जब जब भी बेगानों जैसा,
अपना ही हमदर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
रिश्तों के इस नीलाम्बर में,
कई बार छातें है बादल
होती है कुछ बूंदा बांदी,
पर फिर प्यार बरसता निश्छल
शिकवे गिले सभी धुल जाते,
मौसम खुल बेगर्द हुआ है
जब जब दिल में दर्द हुआ है
गलतफहमियों का कोहरा जब,
आसमान में छा जाता है
देता कुछ भी नहीं दिखाई ,
रास्ता नज़र नहीं आता है
दूर क्षितिज में अपनेपन का,
सूरज जब भी जर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
शीत ग्रीष्म के ऋतू चक्र के,
बीच बसंत ऋतू आती है
नफरत के पत्ते झड़ते है ,
प्रीत कोपलें मुस्काती है
कलियों और भ्रमरों का रिश्ता,
जब खुल कर बेपर्द हुआ है
तब तब दिल में दर्द हुआ है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बहुत बढ़िया रचना | बहुत सुन्दर भाव |
जवाब देंहटाएंdard ke maksad ko bayan krati hui rachana behad achhi lagi ....badhai ke sath hi abhar.
जवाब देंहटाएंdard ke maksad ko bayan krati hui rachana behad achhi lagi ....badhai ke sath hi abhar.
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