एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिंदगी की हकीकत

ढूंढ रहे क्यों दोष पराये , झांको अपने मन अंदर 
दुनिया भर की सारी कमियां, साफ आएंगे तुम्हें नज़र 
जिंदगी की हकीकत यही है 

देख पराई चिकनी चुपड़ी, मत मलाल मन में लाना 
तुम्हें पता है, तुमको घर की, रोटी दाल ही है खाना 
जिंदगी की हकीकत यही है 

कितनी पीड़ा सह सह तुमने, ये जो बच्चे पाले हैं 
बड़े हुए ,जब पंख लगेंगे ,सब उड़ जाने वाले हैं 
जिंदगी की हकीकत यही है 

तुमने खटकर,जोड़ तोड़कर, यह जो दौलत जोड़ी है 
साथ नहीं कुछ भी जानी है, यहीं पर जानी छोड़ी है 
जिंदगी की हकीकत यही है 

आज आज्ञाकारी बनते , काम नहीं कल आएंगे 
उंगली पकड़ सिखाया जिनको ,उंगली तुम्हें दिखाएंगे 
जिंदगी की हकीकत यही है 

जिनको तुम अपना कहते हो ,भूल जाएंगे सभी जने 
उनकी दीवारों पर कुछ दिन ,लटकोगे तस्वीर बने 
जिंदगी की हकीकत यही है 

अपने और पराये का तुम, मन में पालो नहीं भरम 
इसीलिए सत्कर्म करो तुम, साथ जाएंगे सिर्फ करम 
जिंदगी की हकीकत यही है

मदन मोहन बाहेती घोटू
हम भी खुश और अगला भी खुश

कई बार ऐसा होता कुछ
हम भी खुश और अगला भी खुश 

मैं भगवन को शीश नमाता 
श्रद्धा से परशाद चढाता 
वो ना खाते , मैं ही खाता 
पत्नी को भी शीश नमाता 
सारी तनख्वाह उसे थमाता 
उससे ले घर कर चलाता 
वह समझे, वो ही है सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

प्रभु जी का गुणगान करूं मैं 
कीर्तन भजन तमाम करूं मैं 
श्रद्धा सहित प्रणाम करूं मैं 
मैं पत्नी के भी गुण गाता 
सास ससुर को शीश नमाता 
ढेर प्यार पत्नी का पाता
वह न्योछावर करती सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

बच्चे सारे आए जिद पर 
नई लगी ,देखे वह पिक्चर 
पैसे मिले, गए खुश होकर 
अब घर में मैं और पत्नी थी 
सजी धजी और बनी ठनी थी 
तन्हाई में मौज मनी थी 
बहुत ही मज़ा आया सचमुच 
हम भी खुश और बच्चे भी खुश

मदन मोहन बाहेती घोटू 
टेंशन तुम मत लेना 

एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना 
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना 

जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन 
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन 
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता 
बिजली जाती, टेंशन आता 
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर 
टेंशन, महंगे हुए टमाटर 
टेंशन है बढ़ती महंगाई 
कुछ ना कुछ होता दुखदाई 
खुश होकर के खाओ पियो, 
जो भी मिले चबैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना 

एक बात सुन लो मेरे भाई 
पत्नी की मत करो बुराई 
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती 
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर 
कभी झगड़ना मत पत्नी से 
उसे चाहना हरदम जी से 
उसकी सब की सब बातों पर 
सदा तबाज्जो देना
 कभी टेंशन तुम मत लेना 
 
 जो होना है सो होना है 
 तो फिर काहे का रोना है 
 कब क्या होगा किसने देखा 
 लिखा हुआ नियति का लेखा
 तो फिर क्यों चिंता ले मन में 
 रहते हो तुम सहमे सहमे
 बचा हुआ है जितना जीवन 
 क्यों न खुशी से फिर जिए हम 
 हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
 बन कर तोता मैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 20 अगस्त 2023

मेरा देश

अलगअलग भाषाएं सब की अलग सभीके भेष हैं 
लेकिन सब के सब मिल करके ,देते प्रेम संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब में भाईचारा है 
सर पर मुकुट हिमालय का है बहती गंगा धारा है 
तीन तरफ सागर की लहरें करती जलअभिषेक है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

रामेश्वर जगदीश द्वारका बद्री धाम हैं चार यहां 
महाकाल है विश्वनाथ है ज्योतिर्लिंग केदार यहां
धोने पाप सभी गंगा में ,हरिद्वार ऋषिकेश है 
यह मेरा देश है,यह भारत देश है 

यह धरती राणाप्रताप की,वीर शिवा की, गांधी की 
जिनने सबने बीन बजाई ,भारत की आजादी की 
बुद्ध और महावीर ने दिया ,शांति का संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

यहां अजंता एलोरा है ,ताजमहल, नालंदा है 
होली और दीवाली उत्सव बड़े प्रेम से मनता है 
तीन देव रक्षा करते हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

ज्ञान और विज्ञान यहां पर सदियों से ही उन्नत है 
सोने की चिड़िया कहलाता ,देश हमारा भारत है 
राम कृष्ण अवतरित हुए थे उनकी कृपा विशेष है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
एक नारी सब पर भारी 

महिलाएं सब पर पड़ती भारी है 
पुरुष सब कुछ सहता है ,लाचारी है 
सब चीज पर जताती है अपना अधिकार 
कब्जा किए हैं सब तिथि और त्योहार 
पहली तिथि गुड़ी पड़वा 
तो दूसरी तिथि भाई दूज है 
दोनों में ही इनकी होती पूछ है
तीसरी तिथि तीज पर इनका एकाधिकार है 
सजती संवरती है,करती सोलह सिंगार है 
चौथी चौथ, चारों चौथों पर व्रत रखती है 
और रात को चांद का दीदार करती है 
पांचवी तिथी बसंत पंचमी 
और छठी को छठ है मनाना 
सप्तमी को शीतला सप्तमी ,
खिलाती है ठंडा खाना 
अष्टमी को होईअष्टमी रखती है 
दुर्गा नवमी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है दशमी को विजयादशमी बनाती है 
एकादशी को तुलसी का विवाह कराती है 
द्वादशी को बछ बारस 
और धनतेरस को बरसता है धन 
चौदस को रूप की चौदस
और अमावस को होता है लक्ष्मी का पूजन महिलाओं का वर्चस्व होता है हर दिन पर 
मर्द विचारा काम में जुटा रहता है महीना भर 
इन को खुश करने के लिए कमाता है 
कभी जेवर दिलाता है 
कभी घेवर खिलाता है 
कभी उनको करवा पिलाता है 
यह रानी कहलाती है 
वह नौकर कहलाता है 
पत्नी हमेशा रहती है तनी
और पति पर सदा विपत्ति रहती है भारी
पुरुष सब कुछ सहता है क्योंकि है लाचारी
एक नारी ,सब पर भारी

मदन मोहन बाहेती घोटू

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-