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गुरुवार, 15 जून 2023

कैसे अपना वक्त गुजारूं

हंसी खुशी से मौज मनाते, अभी तलक जीवन जिया है 
यही सोचता रहता मैंने ,क्या अच्छा ,क्या बुरा किया है 
बीती यादों के बस्ते पर, धूल चढ़ी ,कब तलक बुहारूं
कैसे अपना वक्त गुजारूं

करने को ना काम-धाम कुछ, दिन भर बैठा रहूं निठल्ला 
कब तक टीवी रहूं देखता ,मन बहलाता रहूं इकल्ला 
इधर-उधर अब ताक झांक कुछ ,करने वाली नजर ना रही 
मौज और मस्ती सैर सपाटा ,करने वाली उमर ना रही 
लोग क्या कहेंगे, करने के पहले , सोचूं और विचारूं
कैसे अपना वक्त गुजारूं

पहले वक्त गुजर जाता था ,पत्नी से तू तू मैं मैं कर 
अब पोते पोती सेवा में ,वह रहती है व्यस्त अधिकतर 
झगड़े की तो बात ही छोड़ो ,उसे प्यार का वक्त नहीं है 
बाकी समय भजन कीर्तन में, वह मुझसे अनुरक्त नहीं है 
भक्ति भाव का भूत चढ़ा है ,उस पर ,कैसे उसे उतारूं 
कैसे अपना वक्त गुजारूं

अब तो बीती,खट्टी मीठी ,यादें ही है एक सहारा 
बार-बार जिनको खंगाल कर,करता हूं मैं वक्त गुजारा 
मित्रों के संग गपशप करके, थोड़ा वक्त काट लेता हूं 
दबी हुई भड़ास ह्रदय की, सबके साथ बांट लेता हूं 
एकाकीपन में जो बहती ,कैसे अश्रु धार संभालू 
कैसे अपना वक्त गुजारूं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 11 जून 2023

मामूली आदमी 

मैं एक मामूली आदमी हूं
पहले मैं खुद को आम आदमी कहता था 
संतोषी और सुखी रहता था 
पर जब से केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई है 
आम आदमी बनने का नाटक कर ,
आम आदमी की खिल्ली उड़ाई है 
कहीं आम आदमी की,अपने घर को 
सुधारने के लिए छियांलिस करोड़ रुपए
खर्च करने की औकात होती है 
पर इन नेताओं की अलग ही जात होती है 
गले में मफलर डालने भर से 
कोई आम आदमी नहीं बन जाता 
पर जनता को बरगलाने के लिए ,
यह नाटक है किया जाता 
यूं भी आजकल आम के दाम 
छू रहे हैं आसमान 
आम खाना, आम आदमी की पहुंच से 
बाहर हो रहा है 
इसलिए आम आदमी ,आम आदमी नहीं रहा है 
आजकल आम आदमी की पहुंच में है मूली इसलिए आम आदमी ,बन गया है मामूली 
मेरी औकात भी मूली पर आकर है थमी 
और मैं बन गया हूं मामूली आदमी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 10 जून 2023

विचार गंगा

 हम शब्दों को छू ना पाते, शब्द हमें छू जाते हैं दृष्टिकोण अलग होता है, पास सभी के आंखें हैं
 
करनी तो सब ही करते हैं,लेकिन करनी करनी में, 
फर्क बहुत होता,जीवन में जिससे सुख दुख आते हैं 
आती हमें नजर है झट से, क्या कमियां है औरों में
 लेकिन अपनी कमियों को हम, कभी देख ना पाते हैं 
सब हमें पता है ,तुम्हें पता है ,सबको जाना है एक दिन ,
लंबे जीवन की आशा में ,हम खुद को बहलाते हैं

हमें जिंदगी बस गुजारनी नहीं ,जिंदगी जीनी है,
नहीं गटागट, घूंट घूंट जो पीते ,मजा उठाते हैं

अपनीअपनी पड़ी सभी को, दुख में साथ नहीं देते 
रिश्ते ,नाते ,प्यार वफ़ा सब ,यह तो कोरी बातें हैं

 सबको है मालूम ,साथ में कुछ भी ना जाने वाला
 लेकिन मोह माया बंधन में हम बंधते ही जाते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 5 जून 2023

मोदी ही मोदी 
1
न रुदबा बचा है , न कुर्सी ,कमीशन,
 परेशान है सारे नेता विरोधी 
 सत्ता में आया है जब से ये मोदी, 
 उसने तो उनकी है लुटिया डुबो दी 
 पड़े लाले, घोटाले वालों के सारे ,
 आये हाशिए पर ,है पहचान खो दी 
 इधर देखो मोदी, उधर देखो मोदी 
 देश और विदेशों में मोदी ही मोदी  
 2
गरीबों को छत दीऔर भूखों को राशन
 घर घर में बिजली, किये काम अनगिन 
 बिछा जाल सुंदर सुहानी सड़क का ,
 पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण 
 हरे क्षेत्र में बढ़ रहे हम हैं आगे ,
 तरक्की मेरा देश करता दिनों दिन 
 विदेशों में भारत का डंका बजा है ,
 अगर जो है मोदी, सभी कुछ मुमकिन

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 4 जून 2023

जीने की चाहत 

मुझे जिंदगी से मोहब्बत हुई है 
अधिक लंबा जीने की चाहत हुई है 

बिमारी ने लंबी ,किया मुझको बेकल 
घिरने लगे थे निराशा के बादल 
मगर खेरख्वाओं ने हिम्मत बढ़ाई 
किरण रोशनी की मुझे दी दिखाई 
सुधर फिर से अच्छी सी सेहत हुई है 
मुझे जिंदगी से मोहब्बत हुई है 

मेरा ख्याल रखती मेरी हमसफर है 
आसां हुई जिंदगी की डगर है 
कदम मेरे अब ना रहे डगमगा है 
नया आत्मविश्वास मुझ में जगा है 
बड़े अच्छे मित्रों की संगत हुई है 
मुझे जिंदगी से मोहब्बत हुई है 

दुआओं ने सबकी असर यह दिखाया 
बुझा था जो चेहरा ,वह फिर मुस्कुराया 
फिर से नया जोश ,जज्बा मिला है 
पुराना शुरू हो गया सिलसिला है 
बुलंद हौसला और हिम्मत हुई है 
मुझे जिंदगी से मोहब्बत हुई है 

सोये थे अरमान ,सब जग गए हैं 
उड़ूं आसमां में अब पर लग गए हैं 
तमन्ना है सारे मजे मैं उठा लूं 
सभी खुशियां जीवन की ख़ुद में समालू  
ललक मौज मस्ती की जागृत हुई है 
मुझे जिंदगी से मोहब्बत हुई है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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