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शनिवार, 26 जून 2021


दिति और अविनाश के रोके पर

आज हृदय है प्रफुल्लित ,मन में है आनंद
अदिति और अविनाश का ,बंधता है संबंध
बंधता है संबंध  ख़ुशी  है सबके मन में
बधने ये जा रहे ,परिणय के बंधन में
 कह घोटू कविराय प्रार्थना  यह इश्वर  से
सावन की रिमझिम सा प्यार हमेशा बरसे

आनंदित अरविन्द जी ,और आलोक मुस्काय
अति हुलसित है वंदना ,बहू अदिति सी पाय
बहू अदिति सी पाय ,बहुत ही खुश है श्वेता
पाकर के अविनाश ,प्रिय दामाद चहेता
कह घोटू कविराय ,बहुत खुश नाना नानी
टावर टू को छोड़ अदिति टावर वन आनी

नाजुक सी है आदिति ,कोमल सा अविनाश
इसीलिये है जुड़ गयी ,इनकी जोड़ी ख़ास
इनकी जोड़ी खास ,बना कर भेजी रब ने
जुग जुग  जियें  साथ ,दुआ ये दी है सबने
कह घोटू खुश रहें सदा ,दोनों जीवन भर
इन दोनों में बना रहे   अति  प्रेम परस्पर

मदन मोहन बाहेती  'घोटू '

अदिति अविनाश विवाह

 कोमल कमल सा अविनाश दूल्हा
  दुल्हन अदिति है नाजुक सी प्यारी
  बड़े भोले भाले हैं समधी हमारे ,
  बड़ी प्यारी प्यारी है समधन हमारी 
  खुशकिस्मती से ही मिलती है ऐसी, 
   मुबारक हो सबको नई रिश्तेदारी 
   बन्ना और बन्नी में बनी दोस्ती ये,
    रहे बन हमेशा, दुआ यह हमारी

घोटू

बुधवार, 23 जून 2021

शुक्रिया जिंदगी 

मुझे जिंदगी से अपनी है, ना शिकवा ना कोई गिला संतुष्टि है मुझको उससे ,जो कुछ भी है मुझे मिला 

एक प्यारी सुंदर पत्नी है, प्यार लुटाने वाली जो 
मेरे जीवन में लाई है, खुशहाली, हरियाली जो 
मेरे हर एक ,सुख और दुख में, साथ निभाती आई है 
बढ़ती  हुई उमर में उसका साथ बड़ा सुखदाई है
एक प्यारी सी बिटिया है जो हर दम रखती ख्याल मेरा सदा पूछती रहती है जो ,मेरे सुख-दुख ,हाल मेरा समझदार एक बेटा ,जिसमें भरा हुआ है अपनापन
चढा प्रगति की सीढ़ी पर वह ,मेरा नाम करे रोशन 
भाई बहन सब के सब ही तो प्यार लुटाते हैं जी भर 
जब भी मिलते अपनेपन से, दिल से मेरी इज्जत कर 
यार दोस्त जितने भी मेरे, वे सब के सब अच्छे हैं 
मददगार हैं साथ निभाते और ह्रदय के सच्चे हैं 
और सभी रिश्तेदारों संग , बना प्रेम का भाव वहीं
 ना कोई से झगड़ा टंटा, मन में कोई मुटाव नहीं 
 बढ़ती उमर ,क्षरण काया का कुछ ना कुछ तो होना है 
फिर भी तन मन से दुरुस्त मैं,ना दुख है ना रोना है 
यही तमन्ना है कि कायम रहे उम्र भर यही सिला   
मुझे जिंदगी से अपनी है ,ना शिकवा ना कोई गिला 
संतुष्टि है मुझको उससे ,जो कुछ भी है मुझे मिला

मदन मोहन बाहेती घोटू

मंगलवार, 22 जून 2021

आओ मेरे संग टहलो

आओ तुम मेरे संग  टहलो 
तुम्हारे मन में दिन भर का ,जो भी गुस्से का गुबार है, 
उसकी,इसकी जाने किसकी,शिकायतों का जो अंबार है 
मन हल्का होगा तुम्हारा,सब तुम मुझसे कह लो 
आओ तुम मेरे संग टहलो
यूं ही रहती परेशान तुम ,मन की सारी घुटन हटा दो 
लगा उदासी का चंदा से, मुख पर है जो ग्रहण हटादो 
थोड़ा हंस गा लो मुस्कुरा लो और प्रसन्न खुश रह लो आओ तुम मेरे संग टहलो
 इतनी उम्र हुई तुम्हारी ,परिपक्वता लाना सीखो 
 नई उमर की नई फसल से ,सामंजस्य बनाना सीखो 
 बात किसी की बुरी लगे तो, तुम थोड़ा सा सह लो 
 आओ तुम मेरे संग  टहलो
अपने सभी गिले-शिकवे तुम जो भी है मुझसे कह डालो 
थोड़ा शरमा कर मतवाली,अपनी चितवन मुझ पर डालो 
पेशानी से परेशानियां ,परे करो ,खुश रह लो
आओ तुम मेरे संग टहलो

मदन मोहन बाहेती घोटू
छोड़ो चिंता प्यार लुटाओ

 यूं ही दिन भर तुम , गृहस्थी के चक्कर में 
 उलझी रह करती हो ,घर का सब काम धंधा 
 और रात जब मुझसे, तन्हाई के क्षणों में ,
 मिलती तो पेश करती, शिकायतों का पुलिंदा 
 अरे परेशानियां तो ,हमेशा ही जिंदगी के ,
 संग लगी रहती है और आनी जानी है 
 गृहस्थी की ओखली में ,अगर सर जो डाला है,
  मार फिर मूसल की ,खानी ही खानी है 
  एक दूसरे के लिए ,मिलते कुछ पल सुख के, 
  गिले और शिकवों पर ध्यान ना दिया करें 
  छोड़े चिंतायें और प्यार बस लुटाएँ हम,
  मिलजुल कर भरपूर जिंदगी जिया करें

मदन मोहन बाहेती घोटू

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