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गुरुवार, 25 मार्च 2021

बुढ़ापे  की ग़जल

तंग मुझको लगा करने ,है  बुढ़ापा  आजकल
रह गया हूँ बन के मैं ,खाली लिफाफा आजकल  
बाल उजले ,गाल पिचके और बदन पर झुर्रियां ,
बदला बदला ,लगा लगने ,तन का ख़ाका आजकल
रोज़मर्रा जिंदगी में  ,नित नयी  तकलीफ  है ,
मुश्किलों में हो रहा हर दिन इजाफ़ा  आजकल
चिड़चिड़ापन इस तरह से मुझपे हावी हो गया ,
छोटी छोटी बातों में ,मैं खोता आपा आजकल
अपने अपने काम में ,मशग़ूल बच्चे हो गए ,
ख्याल कोई भी नहीं ,रखता जरासा  आजकल
यूं तो मुझको भूलने  की  बिमारी  है  होगयी ,
बहुत पर बीता जमाना ,याद आता आजकल
क्या पता किस रोज पक कर डाल से गिर जाऊँगा ,
डर ये मन में बना रहता,अच्छा ख़ासा ,आजकल
स्वर्ग में जा अप्सराओं  संग करेंगे ऐश हम ,
देता रहता,अपने दिल को ,यह दिलासा आजकल

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

मंगलवार, 23 मार्च 2021

हेमोग्लोबिन

ये सच है कि उमर सारी ,रहा बीबी से मैं डर कर
कहा उसने वो सच माना, उठाया ना कभी भी सर
दबा मैं रौब में इतना ,करी बस उसकी हाँ में हाँ
नहीं मुझमे थी ये हिम्मत ,कभी उससे मैं लूँ लोहा
हुआ कमजोर इतना कि ,परीक्षण खूं का करवाया
रपट आयी तो ये पाया ,लोह का तत्व ,कम आया
इसलिए दोस्तों मेरे ,मुझे तुमसे ये कहना  है
रहो मत डर के बीबी से ,अगर जो स्वस्थ रहना है
जो लोहा लेने बीबी से ,की तुममे आ गयी हिम्मत
बढ़ेगा खून में लोहा ,रहेगी ठीक फिर  सेहत

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

सोमवार, 22 मार्च 2021

स्वाद का असर

एम डी एच के महाशयजी ,जबसे पहुंचे स्वर्ग है ,
बुरी हालत स्वर्ग की ,सुनते निगोड़ी हो गयी
स्वाद उनके मसालों का ,सबको भाया इस कदर ,
स्वर्ग में भी कद्र उनकी ,लम्बी चौड़ी हो गयी
चाट का चंकी मसाला ,यूं जुबान पर चढ़ गया ,
स्वर्ग की सब अप्सराएं ,अब चटोरी हो गयी
बहुत कम अब हुई उनकी ,कमर की कमनीयता ,
आजकल वो सबकी सब है मोटी  थोड़ी हो गयी
नृत्य में उनके नहीं अब वो रह गयी पहली लचक ,
इसलिए आता नहीं अब पहले सा आल्हाद है
देवता भी बिचारे अब शंशोपज में है फंसे ,
एक तरफ है मनोरंजन ,दूजा मुंह का स्वाद है

घोटू


स्वाद का असर

एम डी एच के महाशयजी ,जबसे पहुंचे स्वर्ग है ,
बुरी हालत स्वर्ग की ,सुनते निगोड़ी हो गयी
स्वाद उनके मसालों का ,सबको भाया इस कदर ,
स्वर्ग में भी कद्र उनकी ,लम्बी चौड़ी हो गयी
चाट का चंकी मसाला ,चढ़ा यूं जुबान पर
स्वर्ग की सब अप्सराएं ,अब चटोरी हो गयी
बहुत कम अब हुई उनकी ,कमर की कमनीयता ,
आजकल वो सबकी सब है मोटी  थोड़ी हो गयी

घोटू 
रिटायर्ड जिंदगी

जब आप केरियर की पीक पर होते है
ऑफिस की पॉवरफुल सीट पर होते है
सारी व्यवस्थायें आपके पीछे डोलती है  
हर तरफ आपकी ही तूती  बोलती है
आपका एक रुदबा और शान होती है
जिंदगी हर तरफ से मेहरबान होती है
आप पर तारीफों के ,पुष्प बरसतें है
लोग आपका फेवर पाने को तरसते है
और फिर आप जब ,हो जाते है रिटायर
अर्श से फर्श पर ,जैसे है जाते गिर
लोगबाग आपसे नज़रे चुराते है
चापलूस चमचे ,नज़र नहीं आते है
कोई भी आपको ,घास नहीं डालता
और यह व्यवहार ,आपको है सालता
भाई साहब जिंदगी के साथ भी यही होता है
जवानी में बॉस रहा जिस्म ,बुढ़ापे में रोता है
जवानी में शरीर का ,हर अंग होता फुर्तीला
पर बुढ़ापा आते ही ,पड़ने लगता ढीला
हाथ काम कम करते ,पैर चल न पाते है
ज़रा सी मेहनत पर ,फूलती साँसें है
खाने को मन करता पर भूख नहीं लगती है
शरीर साथ नहीं देता ,इच्छाएं तो जगती है
मस्तिष्क की तीक्ष्णता ,थोड़ी घट जाती है
भूल जाते चीजे है ,याद डगमगाती है
नज़र से उदर तक,कमजोरी ही कमजोरी
कोई भी नहीं सुनता ,बात आपकी थोड़ी
शरीर का हाल ,रिटायर्ड बॉस सा हो जाता है
दम खो जाता तो रौब भी खो जाता है
हर कोई आपसे ,नज़र बचा निकलता है
ये हमें खलता है और दिल जलता है
जब तक आप पावर में है आपकी इज्जत है
जिंदगी की ये ही ,सबसे बड़ी हक़ीक़त है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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