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रविवार, 30 अगस्त 2020

एक लड़की को देखा तो --

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
दिल मेरा ,हाथ से मेरे ,जाने लगा

थी मेरी कल्पनाओं में जो सुंदरी
खूबसूरत परी, हो  जो जादूभरी
जिसके चेहरे पे छिटकी रहे चांदनी
जिसके अधरों पे गूंजे मधुर रागिनी
जिसकी आँखों में शर्मोहया हो बसी
फूल खुशियों के बरसा दे जिसकी हंसी
मुस्करा कर लुभाले सभी का जो मन
खुशमिज़ाज हो ,महकती हुई गुलबदन
थोड़ी गंभीर हो ,थोड़ी चंचल ,चपल
साथ हर हाल में ,बन रहे हम सफर
रूप जिसका ,जिया में दे जादू जगा  
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

गाँव की गौरी सी जिसमे हो ताजगी
जिसमे हो भोलापन और भरी सादगी  
जसके मेरे विचारों में हो साम्यता
भारतीय संस्कृति के लिए मान्यता
आधुनिक हो मगर ,घर चला जो सके
साथ परिवार का ,भी निभा जो सके
दिल के उपवन में ऐसी कली खिल गयी
मेरी चाहत थी जो ,वो मुझे मिल गयी
मैंने देखा उसे ,मेरा दिल खो गया
प्यार पहली नज़र में मुझे हो गया
रह गया देखता ,मैं ठगा सा ठगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

कमियां

कोरोना के डर के मारे
फुर्सत में रहते हम सारे
बोअर हो गए बैठे ठाले
आओ सबकी कमी निकालें

वो ऐसा है ,वो है वैसा
उसके पास बहुत है पैसा
रहता है कंजूसों जैसा
चिकचिक करता रहे हमेशा

एक वो टकला बड़ा बोर है
झूंठा है और चुगलखोर  है
बेईमान खुद ,बड़ा चोर है
मगर मचाता बहुत शोर है

वो बूढा है सबसे हटके
पेर कब्र में जिसके लटके  
चाहे प्राण गले में अटके
लेकिन नयना अब भी भटके

वो छोटू ,दिखता है मुन्ना
लेकिन वो है काफी घुन्ना
फैल रहा है दिन दिन दूना
लगा दिया कितनो को चूना

वो लम्बू है बड़ा निराला
चालू चीज बड़ा है साला
लाइन सब पर करता मारा
पर अब तक बैठा है कंवारा

वो लड़का दिखता सीधा है
बातचीत में संजीदा है
हुआ पड़ोसन पर फ़िदा है
करता सबको शर्मिन्दा है

वो है घर का करता धरता
मेहनत कर दिन रात विचरता
पर अपनी पत्नी से डरता
उसको मख्खन मारा करता

उस प्रोढ़ा सी पंजाबन के
नखरे बड़े निराले मन के
रहती है कितनी बनठन के
अब भी तार हिलाती मन के

उस बुढ़िया की देखो सूरत
अब भी मनमोहिनी मूरत
लगता देख आज की हालत
होगी कभी बुलन्द  इमारत

हम बोले क्यों होते बेकल
फुरसत में हो इतने पागल
कमी ढूंढना बहुत है सरल
झांको कभी हृदय के अंदर

पाओगे तुम बहुत गड़बड़ी
अंदर कमियां भरी है पड़ी
वो सुधरे तो किस्मत सुधरी
फिर से बात बनेगी ,बिगड़ी

मत ढूंढो औरों की बुराई
खुद की कमियां देखो भाई
उन्हें सुधारो तब ही बढ़ाई
देखो लोगों की अच्छाई

कोई कितना बने सिकंदर
कमिया होती सबके अंदर
बड़ा ,किन्तु खारा है समन्दर
शुद्ध रखो निज मन का मंदिर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

बुधवार, 26 अगस्त 2020

संकट में भगवान

मंदिर में सन्नाटा पसरा ,देव सभी मिल बात करे
इस कोरोना वाइरस ने ,  बहुत  बुरे हालत करे
रोज भक्त जो मंदिर आते ,हमको शीश झुकाते थे
भजन कीर्तन मंत्र पाठ कर ,प्रभु की महिमा गाते थे
पर जब से है इस कोरोना ,संकट ने आ घेर लिया
कोई हमको नहीं पूछता ,सब ने है मुंह फेर लिया
ना परशाद चढ़ाता कोई ,ना अभिषेक कराता है
बाहर से ही शीश नमाता ,और सटक फिर जाता है
हम भ्रम में थे ,संकट में सब ,आ गुहार लगाएंगे
ज्यादा भक्तिभाव से आकर ,पूजा हमे चढ़ाएंगे
किन्तु संक्रमण के भय कारण ,सारे मंदिर बंद हुए
भीड़भाड़ ना हो बचने को ,उत्सव पर प्रतिबंध हुए
कुछ महीनो में ,भक्तिभाव का ,ऐसा हुआ सफाया है
मानव से ज्यादा  देवों  पर ,लगता संकट आया है
शिवजी बोले ,सच अबके तो ,टूट गया है मेरा मन
ना कोई भीड़ लगी भक्तों की ,बीत गया पूरा सावन
ना कावड़ ,गंगाजल आया ,ऐसा बंटाधार  हुआ
शिवरात्रि को शादी थी पर मेरा ना श्रृंगार हुआ
अभिषेक ना शहद शर्करा ,नहीं भांग का भोग चढ़ा
इस कोरोना के कीड़े ने ,किया मेरा नुक्सान बड़ा
बड़े रुआंसा ,कान्हा बोले ,मेरा बर्थडे नहीं मना
ना तो सजी झांकियां कोई ,ना ज्यादा परशाद बना
ना तो हुई रासलीलाएं ,ना भक्तों का रेला था
ना थे भजन कीर्तन बस मैं ,बैठा रहा अकेला था
माता रानी बड़ी दुखी थी ,नवरात्रे सूखे  बीते
ना थी कोई भीड़ भक्तों की ,मंदिर थे रीते रीते
ना श्रृंगार ,चढ़ावा कोई ,ना ही चूनरें चढ़ी नयी
ना थी चौकी ,ना भंडारे ,ना ही रतजगा हुआ कहीं
थे ग़मगीन गणपति बप्पा ,मना न उनका जन्मोत्सव
दस दिन की वो भव्य झांकियां ,भीड़भाड़ वाला वैभव
ना दर्शन की लम्बी लाइन ,नहीं चढ़ावा ,ना मोदक
ऐसा फीका जन्मोत्सव तो ,मेरा नहीं हुआ अब तक
सबने मीटिंग करी ,एक स्वर में मिल करके यही कहा
धर्मव्यवस्था बैठ जायेगी ,यदि ये ही माहौल रहा
इसीलिये आवश्यक है अब ,कृपा विष्णु भगवंत करे
 होय अवतरित वेक्सीन में ,कोरोना का अंत करें  
प्रभु तुम्हारे आगे कोरोना ,बौना है ,संहार करो
अपने दुखी त्रसित भक्तों पर जल्दी यह उपकार करो
जिससे भक्तिभाव फिर जागे ,मंदिर में रौनक आये
चढ़े चढ़ावा ,भजन कीर्तन ,लौट पुराने दिन आये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

सोमवार, 24 अगस्त 2020

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