एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

एक पाती -पोते के नाम

तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है
सफलताएं चूमे तुम्हारे चरण ,
हमे तुमसे कितनी ही उम्मीद है

तुम्हारे पिताजी ने मेहनत करी ,
और पायी कितनी ही ऊंचाइयां
लहू में तुम्हारे  समाई  हुई ,
है व्यापार करने की गहराइयाँ
बढे काम इतना कि सब ये कहे ,
कि बेटा पिता से भी इक्कीस है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

विदेशों में तुमने पढाई करी ,
बहुत कुछ करूं मन में सपना पला
बहुत ही लगन  और उत्साह है ,
और है बुलंदी लिए हौंसला
भरपूर उपयोग हो ज्ञान का ,
हमारी तुम्हे ये ही ताकीद है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

आगे भले कितने बढ़ जाओ तुम ,
कभी गर्व से पर नहीं फूलना
सहकर्मियों से रहो मित्र बन
बुजुर्गों को अपने नहीं भूलना
सबसे मिलो ,प्यार करते रहो ,
परिवार की अपने तहजीब है
तरक्की करो खूब पोते मेरे ,
तुम्हे अपने दादा की आशीष है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

बुधवार, 29 जुलाई 2020

fw: put ranks down for any website

negative seo that works
http://www.liftmyrank.co/negative-seo-services/index.html

Oximeter and Oxygen Generator  with good price!



Hi,Dear Friend,

Good day.
Our Oximeter and Oxygen Generator  are very hot selling now, and with very good price.
if you have any needs, welcome to inquire. My wechat and whatsapp is: +8613844860162










And those protective products are available to order: 







Thanks & Best regards
Jasmine

If you prefer not to receive emails from us, you may unsubscribed .

पति -परमेश्वर ?

पति है पति ,देवता मत कहो
सर पर चढ़ाते उसे मत रहो
वो अर्धांग है ,तुम हो अर्धांगिनी
जीवन में उसकी हो तुम संगिनी
वो माटी का पुतला ,तुम्हारी तरह
महत्ता नहीं दो ,उसे बे वजह
तुम्हारी तरह उसमे कमियां कई
कभी कोई सम्पूर्ण होता नहीं
करता है वो भी कई गलतियां
नहीं तुमसे बढ़ कर तुम्हारा पिया
फरक ये तुम औरत ,वो मर्द है
तुम्हारा सखा और हमदर्द है
मजबूत काठी है  ताकत अधिक
तुम्हारी बनिस्बत है हिम्मत अधिक
ईश्वर ने कोमल बनाया तुम्हे
नहीं किन्तु निर्बल ,बनाया तुम्हे
किसी क्षेत्र में उससे कम तुम नहीं
अक्सर ही उससे तुम आगे रही
जगतजननी तुम ,बात ये खास है
ममता की पूँजी है ,विश्वास है
तुम्ही लक्ष्मी ,लाती सुख ,सम्पदा
विद्या की देवी हो, तुम शारदा  
शक्ति स्वरूपा हो  दुर्गा हो तुम  
माता हो तुम ,अन्नपूर्णा हो तुम
लिये नम्रता का मगर आचरण
तुम्ही पूजती हो पति के चरण
दुआ मांगती वो सलामत रहे
जन्मो तलक उसकी संगत रहे
उसी के लिए ,मांग सिन्दूर है
माता पिता  सब  हुये  दूर है
व्रत भूखी रह करती उसके लिए
तपस्या ,समर्पण ,उसीके  लिए
बना कर रखा है उसे देवता
तुम्हे जबकि मतलब पे वो पूछता  
तुम्हारे मुताबिक जिया क्या कभी
तुम्हारे लिए व्रत ,किया  क्या कभी
तुम्हे उसकी जरूरत है जितनी रही
तुम्हारी जरूरत ,उसे कम नहीं
घरबार उसका चलाती हो तुम
पकाकर के खाना,खिलाती हो तुम
तुम्हारे ही कारण ,बना स्वर्ग घर
श्रेय हर ख़ुशी का ,तुम्हारे ही सर
तुम्ही श्रेष्ठ हो और सर्वोपरी
दिखने में सुन्दर ,लगती परी
वो ईश्वर नहीं बल्कि ईश्वर हो तुम
बराबर नहीं उससे बढ़ कर हो तुम
जिससे तुम्हारा ,जन्मभर का रिश्ता
वो इंसान ही है ,न कोई  फरिश्ता
परमेश्वर उसे तुम  बनाओ नहीं
उसे पूज कर ,सर चढ़ाओ नहीं
सुख दुःख का साथी बराबर का वो
नहीं रूप कोई है ईश्वर का वो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

फटाफट

धीरज  हमारा ,बहुत  ही गया  घट
हमें चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

इस जेट युग ने ,सोच ही बदल दी
सभी काम हम ,चाहते जल्दी जल्दी
जल्दी मिले ,नौकरी और प्रमोशन
जल्दी से लें हम ,कमा ढेर सा धन
जरा सी भी देरी ,करे कुलबुलाहट
हमें चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

किसी का किसी पर,अगरआया मन है
तो फिर ' ऑन  लाइन 'होता मिलन है  
चलती है हफ़्तों , तलक उनकी 'चेटिंग '
अगर सोच मिलती  ,तो होती है 'सेटिंग '
नहीं होती बरदाश्त ,कोई रुकावट  
हमें चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

करे नौकरी वो ,कमाती हो पैसा
नहीं देखते हम ,है परिवार कैसा
करी  बात पक्की ,नहीं बेंड बाजा
न घोड़ी ,बाराती ,न दावत ,तमाशा
चटपट हो मंगनी ,शादी हो झटपट
हमें चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

मियांऔर बीबी,जो 'वर्किंग कपल 'हो
रहे व्यस्त दोनों , तो ऐसे  गुजर  हो
थके घर पे लौटो ,तो मैग्गी बनालो
करो फोन स्विग्गी से खाना मँगालो
नहीं कोई चाहे ,पकाने का झंझट
हमे चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

समय के मुताबिक ,जो होता सही है
कुदरत के नियम ,बदलते नहीं है
समय बीज को वृक्ष ,बनने में लगता
नियम के मुताबिक ,है मौसम बदलता
बदल तुम न सकते ,करो कितनी खटपट
हमें चाहिए सब ,फटाफट फटाफट

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-