एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 30 जून 2020

cheap viagra to grow your penis

order today, cheap viagra
https://www.u-canbadge.com/





unsubscribe
https://forms.icann.org/en/resources/compliance/registries/abuse-contact/fo
rm
बुढ़ापे में आशिक़ी

एक दिन अचानक ,
मेरे मन में कुछ ऐसा ख्याल आया
 मैंने अपने कुछ बुजुर्ग दोस्तों को ,
अपने घर चाय पर बुलाया
नाश्ता कराया और थोड़ी देर गप्पें मारी
बातें की ,दुनिया भर की ,सारी
याद दिलाये जवानी के जलवे ,
और बुढ़ापे की पीड़ा
फिर उनकी दुखती रग टटोलते हुए पूछा ,
क्या अभी भी कभी कभी ,
काटता है  मोहब्बत का कीड़ा
जरा बतलाओ अपने मन की बात
अगर कोई जवान सुंदरी ,
आपके आगे रखे प्रेम प्रस्ताव ,
तो क्या होंगे आपके हालात
मेरा यह प्रश्न सुन मेरे कुछ मित्र तो ,
एक दम भौंचक्के से रह गए
कुछ घबराये ,कुछ शरमाये ,
कुछ भावना में बह गए
कुछ की हालत हो गयी ठगी की ठगी
और किसी की तो लार ही टपकने लगी
बोले क्यों फालतू में ललचाते हो
यूं ही मीठे मीठे सपने दिखाते हो
लड़की अगर सुन्दर है और जवान है यार
तो उसके पीछे तो नौजवानो की लगेगी कतार
वो क्यों हम जैसे किसी बूढ़े से करेगी प्यार
जो है साठ  के पार
हम बोले आपकी शंका वाजिब है ,
आप सही फरमाते है
पर कुछ औरतों को ,
नए सिख्खाड़ों की बनिस्बत ,
अनुभवी लोग ही सुहाते है
पका हुआ  पान
न खांसी ,न जुकाम
अब हेमामालिनी को ही देखलो ,
उसके लिए क्या लड़को की थी कमी
पर वो शादीशुदा धर्मेंद्र की दुल्हन बनी
श्रीदेवी जैसी सुंदरी और हूर
उसको भी भाये विवाहित बोंनी  कपूर
फ़िल्मी दुनिया में तो है ये ट्रेंड
सबको चाहिए  अनुभवी फ्रेंड
ये सब तो दुनिया में होता ही रहता है
अगर आपके साथ हो ,तो आप क्या करेंगे ,
आपका मन क्या कहता है
अच्छा आप ही बतलाओ गुप्ता जी ,
आप तो गुप्त ज्ञान में माहिर है
आपकी आशिकमिजाजी जगजाहिर है
बताएं ,ऐसे में आप क्या बोलेंगे
गुप्ताजी हिचकिचाये फिर,
 गहरी सांस लेकर बोले ,बोलेंगे क्या ,
हम तो बहती गंगा में हाथ धोलेंगे
उनकी बात सुन ,बाकी मित्रों में ,
कुछ का आत्मविश्वास जगा
उन्होंने हिचकिचाहट को दिया भगा
एक ने टोका
इस उम्र में किस्मतवालों को ही,
 मिलता है ऐसा मौका    
अगर लड़की जेन्युइन है और नहीं करेगी धोखा
तो फिर हम भी उसे क्यों तरसायेंगे
बादल बन के बरस जाएंगे
दूसरे ने कहा सच है यार
ऐसे मौके कहाँ मिलते है बार बार
यूंही  मन इधर उधर ताकता दौड़ता है
और जब चिड़िया खुद ही फंस रही है ,
तो ये सुनहरा मौका कौन छोड़ता है
तीसरे ने भी हाँ में हाँ मिलाई
बोले जब किस्मत ने ही है अप्सरा भिजवाई
तो हम क्यों करेंगे रुसवाई
झट से चट कर लेंगे दूध और मलाई
चौथे ने कहा यार बात तो है भली
मचा रही है मेरे दिल में खलबली
सूखती बगिया में जब खिली है कोई कली
और अपनी खुशबू फैला रही है
खुद भवरे को बुला रही है
तो हम क्या साले बेवकूफ है ,
जो यूं ही चुप बैठ जाएंगे
निश्चित ही उसके रसपान का आनंद उठायेंगे
पांचवां जो चुप था ,सहमा  सहमा बोला
यार ऐसे ऑफर मिलने पर ,
सबका मन करता है डोला
पर क्या आपने सोचा है ,
आप बूढ़े है और वो जवान है
वो आपके पास आयी है
तो उसके भी कुछ अरमान  है
वो दहकती हुई आग है ,
आप है बुझती हुई चिंगारी
निश्चित ही वो पड़ेगी आप पर भारी
वो जवानी वाला जोश कहाँ से लाएंगे
वो दहकती रहेगी और आप बुझ जाएंगे
एक अतृप्त औरत ,
क्या क्या गुल खिला सकती है
उर्वशी की तरह आपको ,
अर्जुन सा  निकम्मा बना सकती है
इसलिए जिसको जो भी करना है ,
सोच समझ कर करना चाहिये
और मुद्दे की बात ये है कि
हमें अपनी बीबी से डरना चाहिए
किसी ने दाना डाला ,
और आपने पका लिए पुलाव ख़याली
और भूल गए बड़ी तेज ,
नाक वाली होती है घरवाली
जो आप जैसे भी हो ,
आपके साथ निभा रही है
आपकी गृहस्थी चला रही है
अगर उसे खबर लग गयी तो
घर में आजायेगा भूचाल
कल्पना करलो ,कैसा होगा हाल
ये सब तो ललचानेवाली बातें है
जिन्हे सोच कर हम मन बहलाते है
वरना इस उम्र में भूल जाओ गर्म बिरयानी
हमें तो घर की दाल रोटी ही है खानी
पांचवे की बात सुन सबके उड़ गए होश
ख़त्म हो गया सारा जोश
सभी पर गम के बादल छागये
अभी तलक  जो उछल रहे थे ,
सब अपनी औकात पर आगये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

सोमवार, 29 जून 2020

お支払い方法の情報を更新

お支払い方法の情報を更新してください。Update default card for your membership.
 
マイストア? | タイムセール? | ギフト券
 

Amazonプライムをご利用頂きありがとうございます。お客様のAmazonプライム会員資格は、2020/06/09に更新を迎えます。お調べしたところ、会費のお支払いに使用できる有効なクレジットカードがアカウントに登録されていません。クレジットカード情報の更新、新しいクレジットカードの追加については以下の手順をご確認ください。

1. アカウントサービスからAmazonプライム会員情報を管理するにアクセスします。

2. Amazonプライムに登録したAmazon.co.jpのアカウントを使用してサインインします。

3. 左側に表示されている「現在の支払方法」の下にある「支払方法を変更する」のリンクをクリックします。

4. 有効期限の更新または新しいクレジットカード情報を入力してください。

Amazonプライムを継続してご利用いただくために、会費のお支払いにご指定いただいたクレジットカードが使用できない場合は、アカウントに登録されている別 のクレジットカードに会費を請求させて頂きます。会費の請求が出来ない場合は、お客様のAmazonプライム会員資格は失効し、特典をご利用できなくなります。


Amazon.co.jpカスタマーサービス


 
支払方法の情報を更新する
 
हाथ की बात

अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है

पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा  ,खतम  पैसे  तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन

तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा  करते हुए देखा

हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते

हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है  

फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले  जाता ,बस खाली हाथ होते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
  
हम विपक्ष है

सत्तारूढ़ कोई भी दल हो
यही चाहते ,सदा विफल हो
तोड़फोड़ कर कोशिश करते ,
जैसे  तैसे  वो  निर्बल हो

हरदम रहते इस तलाश में
कोई मुद्दा  लगे हाथ में
नहीं चैन से बैठ सकें हम ,
उलझे रहते खुराफात में

जब भी थोड़ा मौका पाते
सत्ता सर सवार हो जाते
बुला प्रेस टीवी वालों को ,
हाय  तोबा बहुत मचाते

मौसम का रुख देखा करते
तब ही पासे  फेंका करते
कैसे भी माहौल गरम कर ,
अपनी रोटी  सेंका  करते  

आरोपों  प्रत्यारोपों में ,
हम प्रवीण है ,बड़े दक्ष है
              हम विपक्ष है  
हमने भी भोगी है सत्ता
किन्तु कट गया जबसे पत्ता
नहीं पूछता अब कोई भी ,
हालत खस्ता है, अलबत्ता

इसीलिये है हम चिल्लाते
टी वी ,पेपर में दिखलाते
ताकि बने रहे चर्चा में ,
लोग यूं ही ना हमें भुलादे

सत्तादल से लेते पंगा
बात बात में अड़ा अड़ंगा
खोल हमारी करतूतों को ,
वो  जब हमको करते नंगा

ऐसे दिन आये है ग़म के
सूखे श्रोत सभी इनकम के
चलती जब सत्ता की खुजली ,
हम रहते है दमके दमके

कैसे फिर हथियायें सत्ता ,
अपना तो बस यही लक्ष है
                 हम विपक्ष है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-