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शनिवार, 16 मई 2020

जिंदगी -एक समझौता

आदमी सपन संजोता है ,
नहीं यदि पूरा होता है
परेशान होकर आंसू से ,
नयन भिजोता  है
दोष नहीं ,पर भले बुरे का ,
बोझा  ढोता है
लिखा विधाता ने है जैसा ,
वो ही होता है
जिंदगी एक समझौता है

फसल काटता वैसी जैसे
बीज वो बोता है
मिलता नहीं अगर मनचाहा ,
धीरज खोता है
होनी होकर रहती जब  ,
होना होता है
होती ज्यादा ख़ुशी बावरा ,
फिर भी रोता है
जिंदगी एक समझौता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोरोना पर दोहे

कोरोना के कोप से ,घर में रह कर बंद
घोटू कवि  ने लिख दिए ,कोरोना पर छंद

पत्नी जी ने खिलाये , नित्य  नए पकवान
तन फूला ,पड़ने लगे ,छोटे सब परिधान

बंद दुकाने नाई की ,बहुत बढे सर बाल
दाढ़ी भी छितरा गयी ,बहुत बुरा है हाल

कोविद डर सब कर रहे ,हैं गोविन्द का ध्यान
घर में कसरत नित्य करें  , करते प्राणायाम

पहले थक सुख मिले था ,कर आराम कुछ देर
अब आराम से थक गए ,देखो कितना फेर

त्रेता ,द्वापर युगों की ,टी वी सैर कराय
नित रामायण की कथा ,महाभारत दिखलाय

डरें संक्रमण से सभी ,लोग हुए मजबूर
अपने ही रहने लगे ,अब अपनों से दूर

सब उत्पादन ठप्प है ,बंद है कारोबार
अर्थव्यवस्था देश की ,बिगड़ी और उजाड़

नहीं दिहाड़ी मिल रही ,भूखे है मजदूर
पैदल अपने गाँव को ,जाने को मजबूर
१०
दीन  दुखी को बांटती ,राशन ,धन सरकार
ताकि भूखा ना रहे ,कोई भी परिवार
११
लाइन से उतरा सभी ,काम और व्यापार
अब 'ऑन लाइन 'हो रहा ,कितना कारोबार
१२
करते पूरी कामना ,दुःख हरने मशहूर
बंद धर्मस्थान सब ,निज भक्तो से दूर
१३
कोरोना ने हर लिए ,कितनो के ही प्राण
परेशान सब लोग है ,मुश्किल में है जान
१४
मोदी जी ने कह दिया ,है सबको समझाय
डरो नहीं हर आपदा ,के संग अवसर आय
१५
जीवन फिर से चलेगा ,लोग रहें भयभीत
ये मानव की जीत या कोरोना की जीत

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कोरोना की उत्पत्ति -एक नया दृष्टिकोण

युग बीत गए,एक राक्षस ने ,शंकर जी का आराधन कर
था उनसे यह वर मांग लिया ,वह हाथ रखेगा जिसके सर
वह व्यक्ति भस्म हो जाएगा , ऐसा विचित्र सा वर  पाके
उस 'भस्मासुर 'से परेशान ,सब लोग हो गए  दुनिया के

वैसे दूजे एक राक्षस ने ,कर तप कुछ वर पाया ऐसा
एक रक्त बूँद उसकी जो गिरे ,राक्षस पैदा हो उस जैसा
जहाँ उसकी रक्त बूंदे गिरती ,कितने राक्षस पैदा करती
उस 'रक्त बीज 'राक्षस से डर ,आतंकित हुई ,हिली धरती

इन भस्मासुर और रक्तबीज ,राक्षस ने मिल ,एक रूप धरा
 वह इतना ज्यादा फ़ैल गया  ,सारी दुनिया में जा पसरा
इससे आतंकित और दुखी ,जग का हर कोना कोना है
जो फैला रहा मौत तांडव ,वह राक्षस यही कोरोना है

भस्मासुर सा छूने भर से  ,ये तन में आ जाता बस है
रक्तबीज की रक्त बूँद सा ,फ़ैल रहा ये वाइरस  है
इन दोनों का यह मिश्र रूप ,बन गया बहुत ही उत्पाती
लाखों के प्राण हरे इसने ,है बहुत त्रसित मानव जाति

हे भगवन करें प्रार्थना सब ,हम बहुत दुखी ,उपकार करो
धर कर के रूप मोहिनी का ,भस्मासुर का संहार  करो
तुम देवी काली रूप बनो और रक्तबीज का अंत  करो
है बहुत त्रसित ,निज भक्तों की ,रक्षा आकर भगवंत करो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

शुक्रवार, 15 मई 2020

इतना ख्याल रखो -एक सवैया

हाथ धोवो बार बार ,हाथ धो के पर यार ,
किसी के पीछे न पड़ो ,ये ही मेरी राय है
दूरियाँ बना के रखो ,तन रहे दूर दूर ,
दिलों में न दूरियां हो  ,बड़ा तड़फाय है
हाथ न मिलाओ भले दूर से नमस्ते करो ,
प्यार है पनपता जब दिल मिल जाय है
कोरोना के काल में तुम इतना ख़याल रखो ,
'घोटू 'कवि बात ये ,कहत समझाय  है

घोटू  
बिन सेलून सभी कुछ सूना

मर्दों के बढे बाल ,दाढ़ी का भी बुरा हाल ,
नाइ की दुकाने सारी  बंद पड़ी है
ब्यूटी के सेलून बंद ,रंगे न सँवारे केश ,
महिलाओं की कितनी ,मुश्किल बड़ी है
पतली धनुष जैसी ,भोंहे जो सुहानी सी थी ,
घास जैसी इत उत ,फैली बिगड़ी है
चिकनी सी टाँगे, बढे बाल हुई खुरदरी ,
और मूंछ रेख ,होंठ ऊपर उभरी है

घोटू  

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