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मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

नमस्ते

मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि क्या आपको मेरा ईमेल मुझे भेजा गया है? अगर हाँ
इसका जवाब दें ताकि हम आगे बढ़ सकें। अगर मुझे पता है कि मुझे वापस मिल जाए तो मैं
इसे फिर से शुरू कर सकते हैं।

समझने के लिए धन्यवाद।

सादर

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

अहंकार के मारे लोग 

कुछ लोग बेचारे 
आत्म बोधित 'वी आई पी स्टेटस 'के मारे 
हर कार्यक्रम में देर से आते है 
उन्हें लगता है ऐसा करने से,
 वो सबकी अटेन्शन पाते है 
उन्होंने अपने मन में,
 एक 'सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स 'पाल रखा है 
खुद को अहंकार के सांचे में ढाल रखा है 
लोगो का ध्यान अपनी तरफ खींचने ,
कभी वो पैसा पानी की तरह बहाते है 
कभी अपना बाहुबलीपना दिखलाते है 
पर किसको किसकी परवाह है 
अपने घर में हर कोई शहंशाह है 

घोटू 
परिवर्तन 

पतझड़ की ऋतु में पत्ते भी ,अपना रंग बदल लेते है 
ज्यादा पक जाने पर फल भी ,अपनी गंध बदल लेते है 
प्रखर सूर्य ,पीला पड़ता जब दिन ढलता ,होता अँधियारा 
साथ सदा जो रहता साया ,छोड़ा करता  संग तुम्हारा 
मात पिता बूढ़े होते तब शिथिल बदन लाचार बदलता 
लेकिन अपने बच्चों के प्रति ,तनिक न उनका प्यार बदलता 

घोटू 

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

योगी सरकार मिल मालिकों की सरकार

अलीगढ़।योगी सरकार में श्रम कानूनों का पालन नहीं कराया जा रहा है इसके विपरीत मिल मालिकों की पक्ष धारी कि जा रही है
मिल मालिकों ने 14 7 मजदूरों को श्रम कानूनों को लागू करने की मांग करते ही बगैर नोटिस दिए निकाला गया है।
 योगी मोदी सरकार में मिल मजदूरों की दशा अत्यधिक खराब है
स्थानीय वेब शराब व बीयर फैक्ट्री के निष्काषित मजदूरों का अनिश्चित कालीन धरना आज आठवें दिन भी जारी रहा।
जिला प्रशासन के उदासीन व्यवहार के चलते आंदोलन रत मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है,इनका मानना है कि जिला प्रशासन फैक्ट्री मालिकों के हाथ में खिलौना बना हुआ है और फैक्ट्री प्रबन्धन के विरुद्ध कार्यवाही करने की उसमें हिम्मत नहीं है, जबकि मजदूरों की मांगें संवैधानिक एवं न्यायोचित हैं।मजदूरों का कहना है कि यदि शीघ्र ही फैक्ट्री प्रबन्धन पर दबाब बनाकर हमारी माँगे पूरी न करायी गई तो हम आंदोलन के अन्य विकल्पो पर विचार करने पर मजबूर होंगे,जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
इस अवसर पर आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुहेब शेरवानी, सचिव रामबाबू गुप्ता, रामवीर सिंह, जगदीश प्रसाद , धर्मवीर उपस्थित रहे।

कबूतरों की बस्ती की एक सुबह 

पौ फटी 
कबूतरों की बस्ती में हलचल मची 
एक बूढी कबूतरनी ने ,
अपने पंखों को फड़फड़ाया 
और पास में सोये अपने कबूतर को जगाया 
बोली जागो प्रीतम प्यारे 
मोर्निग उड़ान पर निकल चुके है दोस्त तुम्हारे 
तुम्हे भी व्यायाम के लिए जाना है 
विटामिन डी की कमी को दूर करने ,
थोड़ी देर धूप  भी खाना है 
आलस में डूबा कबूतर जब कुछ न बोला  
तो कबूतरनी  ने उसे झिंझोड़ा 
बोली उठो ,इस बुढ़ापे में हमें ही ,
अपनी सेहत का ध्यान खुद ही रखना पडेगा 
दूसरा कोई ख्याल नहीं रखेगा 
क्योंकि बच्चे तो अपना अपना नीड़ बसा  
हो गए है हमसे अलग 
मुश्किल से ही हमें पूछते है अब 
आप उधर व्यायाम  करके आओ,
इधर मैं कुछ दाना चुग कर आती हूँ 
आपके लिए ब्रेकफास्ट बनाती हूँ 
और सुनो तुम दो दिन से नहाये नहीं हो 
आते समय स्विंमिंगपूल में पंख फड़फड़ा कर आ जाना
और किसी अन्य कबूतरी से नैन मत लड़ाना 
एक बात और  याद रखना 
कुछ लोगो ने मंदिर के आसपास ,
बाजरे के दाने बिखरा रखे है ,उन्हें मत चखना 
इस तरह दाने बिखरा कर ,
ये लोग  सोचते है कि वो पुण्य कमा  रहे है 
पर दर असल वो हमारी कौम को ,
आलसी और निकम्मा बना रहे है  
 सुन कर के उनका वार्तालाप 
पड़ोस के घोसले में 'लिविंग इन रिलेशनशिप 'में
रहनेवाला एक जवान कबूतर का जोड़ा गया जाग  
 कबूतरनी ने ली अंगड़ाई 
'गुडमॉर्निंग किस' के लिए ,
कबूतर की चोंच से चोंच मिलाई 
वो मुस्कराई और बोली डार्लिंग आपका क्या प्रोग्राम है 
कहाँ गुजारनी आज की शाम है 
कबूतर बोला आज मैंने छुट्टी लेली है 
दिन  भर करना अठखेली है 
पहले हम स्वीमिंगपूल के किनारे जायेगे 
पूल में तैरती सुंदरियों के दीदार का मज़ा उठाएंगे 
बीच बीच में हम भी थोड़ी जलक्रीड़ा करेंगे 
चोंचे मिला कर ,रासलीला करेंगे 
और फिर उस चौथी मंजिल वाली बालकनी को 
अपनी इश्कगाह बनाएंगे 
गुटरगूँ कर पंख फैलाएंगे 
हंसी ख़ुशी दिन गुजारेंगे और फिर 
अपने घोंसले में लौट आएंगे 
पता नहीं क्यों लोग इतने संगदिल होते जारहे है 
जो हमारी इश्कगाहों याने अपनी बालकनियों पर ,
जाली लगवा रहे है 
वो लोग कभी जिनके प्रेमसन्देशे हम लेकर जाते थे 
कबूतर जा जा के गाने गाते थे 
आजकल वो ही गए है बन 
हमारे प्यार के दुश्मन 
बड़ी मुश्किल से कहीं कहीं मिलता है ठिकाना 
वरना तड़फता ही रहता ये दिल दीवाना 
कबूतरनी बोली छोडोजी ,
जब तक जवानी है ,मौज मना लें 
थोड़ा सा हंस लें ,थोड़ा मुस्करालें 
वरना फिर तो वो ही दूसरे कबूतरों की तरह ,
रोज रोज दाना चुगने ,दूर दूर जाना पड़ेगा 
गृहस्थी  की गाडी चलना पड़ेगा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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