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शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

ससुर का सन्मान करना  चाहिए 

मांग में जिसका सिन्दूरी रंग है  
सदा सुख दुःख में जो रहता संग है 
प्यार करता ,तुम्हारा  मनमीत है 
जिंदगी का जो मधुर  संगीत  है 
लहलहाई जिसने जीवन की लता 
लाया है जो जिंदगी में पूर्णता 
जो हृदय से तुम्हे करता स्नेह है  
खुश रहो तुम यही जिसका ध्येय है 
रात दिन खटता  है जो परिवार हित 
करती करवा चौथ तुम जिस प्यार हित 
दिया जिसने सुख तुम्हे मातृत्व का 
लुटाता जो खजाना ,अपनत्व  का 
सुख सदा बरसाता जिसका साथ है 
जिसके कारण सुहागन हर रात है 
जिसके संग ही जिंदगी में है ख़ुशी 
जिसके कारण होठों पर थिरके हंसी 
संवरना सजना सभी जिसके लिए 
मुस्करा तुम संग में जिसके  जिये 
मुश्किलों में साथ जो हरदम खड़ा 
जिसकी बाहों का सहारा है बड़ा 
जो है हमदम ,दोस्त है और हमसफ़र 
जिसके संग बंधन बंधा सारी उमर 
जिसके कारण खनकती है चूड़ियां 
धन्य वो जिनने दिया ऐसा  पिया 
सर्वाधिक अनमोल निधि संसार की 
जो है बहती हुई गंगा प्यार  की 
गंगा से गंगोत्री अति पूज्य है 
पिता माता,पति के, अति पूज्य है 
सास का गुणगान करना चाहिए 
ससुर का सन्मान करना चाहिए 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

Re:

thanks dhall saheb

2018-07-19 18:37 GMT+05:30 Ram Dhall <dhall.ram@gmail.com>:
Kyaa baat hai,  Baheti ji.

Bechare nimboo ki vyatha, ati sunder shabdon mein likhi hai.

On Thu, 19 Jul 2018, 18:14 madan mohan Baheti, <baheti.mm@gmail.com> wrote:
बेचारे नीबू 

भले हमारी स्वर्णिम आभा ,भले हमारी मनहर खुशबू 
फिर भी बलि पर हम चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 
सारे लोग स्वाद के मारे ,हमें काटते और निचोड़ते 
बूँद बूँद सब रस  ले लेते ,हमें कहीं का नहीं छोड़ते 
सब्जी,दाल,सलाद  सभीका ,स्वाद बढ़ाने हम कटते है
सभी तरह की चाट बनालो ,स्वाद चटपटा हम करते है 
हमें निचोड़ शिकंजी बनती , गरमी में ठंडक  पाने को 
हमको काट अचार बनाते ,पूरे साल ,लोग खाने को 
बुरी नज़र से बचने को भी ,हमें काम में लाया जाता 
दरवाजों पर मिरची के संग ,हमको है लटकाया जाता 
टोने और टोटके में भी ,बढ़ चढ़ होता  काम हमारा 
नयी कार की पूजा में भी ,होता है  बलिदान हमारा 
कर्मकांड में बलि हमारी ,नज़रें झाड़ दिया करती है 
ढेरों दूध ,हमारे रस की ,बूंदे   फाड़ दिया करती  है 
चूरण और पचन पाचन में ,कई रोग की हम भेषज है 
छोटे है पर अति उपयोगी ,हम मोसम्बी के वंशज है 
हम भरपूर विटामिन सी से ,हर जिव्हा पर करते जादू 
फिर भी हम बलि पर चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

गंगा और गंगोत्री 

मांग में जिसका सिन्दूरी रंग है  
सदा सुख दुःख में जो रहता संग है 
प्यार करता ,तुम्हारा  मनमीत है 
जिंदगी का जो मधुर  संगीत  है 
लहलहाई जिसने जीवन की लता 
लाया है जो जिंदगी में पूर्णता 
जो हृदय से तुम्हे करता स्नेह है 
खुश रहो तुम यही जिसका ध्येय है 
रात दिन खटता  है जो परिवार हित 
करती करवा चौथ तुम जिस प्यार हित 
दिया जिसने सुख तुम्हे मातृत्व का 
लुटाता जो खजाना ,अपनत्व  का 
सुख सदा बरसाता जिसका साथ है 
जिसके कारण सुहागन हर रात है 
जिसके संग ही जिंदगी में है ख़ुशी 
जिसके कारण होठों पर थिरके हंसी 
संवरना सजना सभी जिसके लिए 
मुस्करा तुम संग में जिसके  जिये 
मुश्किलों में साथ जो हरदम खड़ा 
जिसकी बाहों का सहारा है बड़ा 
जो है हमदम ,दोस्त है और हमसफ़र 
जिसके संग बंधन बंधा सारी उमर 
जिसके कारण खनकती है चूड़ियां 
ऐसा प्यारा पिया है जिसने दिया 
ख्याल रखता जो तुम्हारा सर्वदा 
प्यार की गंगा बहाता जो सदा 
गंगा से गंगोत्री अति पूज्य है 
पिता माता पति के अति पूज्य है 
सास का गुणगान करना चाहिए 
ससुर का सन्मान करना चाहिए 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

Re:

Kyaa baat hai,  Baheti ji.

Bechare nimboo ki vyatha, ati sunder shabdon mein likhi hai.

On Thu, 19 Jul 2018, 18:14 madan mohan Baheti, <baheti.mm@gmail.com> wrote:
बेचारे नीबू 

भले हमारी स्वर्णिम आभा ,भले हमारी मनहर खुशबू 
फिर भी बलि पर हम चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 
सारे लोग स्वाद के मारे ,हमें काटते और निचोड़ते 
बूँद बूँद सब रस  ले लेते ,हमें कहीं का नहीं छोड़ते 
सब्जी,दाल,सलाद  सभीका ,स्वाद बढ़ाने हम कटते है
सभी तरह की चाट बनालो ,स्वाद चटपटा हम करते है 
हमें निचोड़ शिकंजी बनती , गरमी में ठंडक  पाने को 
हमको काट अचार बनाते ,पूरे साल ,लोग खाने को 
बुरी नज़र से बचने को भी ,हमें काम में लाया जाता 
दरवाजों पर मिरची के संग ,हमको है लटकाया जाता 
टोने और टोटके में भी ,बढ़ चढ़ होता  काम हमारा 
नयी कार की पूजा में भी ,होता है  बलिदान हमारा 
कर्मकांड में बलि हमारी ,नज़रें झाड़ दिया करती है 
ढेरों दूध ,हमारे रस की ,बूंदे   फाड़ दिया करती  है 
चूरण और पचन पाचन में ,कई रोग की हम भेषज है 
छोटे है पर अति उपयोगी ,हम मोसम्बी के वंशज है 
हम भरपूर विटामिन सी से ,हर जिव्हा पर करते जादू 
फिर भी हम बलि पर चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '
बेचारे नीबू 

भले हमारी स्वर्णिम आभा ,भले हमारी मनहर खुशबू 
फिर भी बलि पर हम चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 
सारे लोग स्वाद के मारे ,हमें काटते और निचोड़ते 
बूँद बूँद सब रस  ले लेते ,हमें कहीं का नहीं छोड़ते 
सब्जी,दाल,सलाद  सभीका ,स्वाद बढ़ाने हम कटते है
सभी तरह की चाट बनालो ,स्वाद चटपटा हम करते है 
हमें निचोड़ शिकंजी बनती , गरमी में ठंडक  पाने को 
हमको काट अचार बनाते ,पूरे साल ,लोग खाने को 
बुरी नज़र से बचने को भी ,हमें काम में लाया जाता 
दरवाजों पर मिरची के संग ,हमको है लटकाया जाता 
टोने और टोटके में भी ,बढ़ चढ़ होता  काम हमारा 
नयी कार की पूजा में भी ,होता है  बलिदान हमारा 
कर्मकांड में बलि हमारी ,नज़रें झाड़ दिया करती है 
ढेरों दूध ,हमारे रस की ,बूंदे   फाड़ दिया करती  है 
चूरण और पचन पाचन में ,कई रोग की हम भेषज है 
छोटे है पर अति उपयोगी ,हम मोसम्बी के वंशज है 
हम भरपूर विटामिन सी से ,हर जिव्हा पर करते जादू 
फिर भी हम बलि पर चढ़ते है ,हम तो है बेचारे नीबू 

मदनमोहन बाहेती 'घोटू '

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