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शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

सब मौसम अच्छे

        सब मौसम अच्छे

जब तुम अच्छे,जब हम अच्छे
गुजरेंगे  सब  मौसम   अच्छे
प्यार भरी ठंडक  गरमी  में,
और सर्दी में बंधन   अच्छे
 तुम भी सीधे,हम भी भोले,
नहीं बनावट के कुछ लच्छे
गाँठ पड़े ना और ना टूटे  ,
प्रेम सूत  के धागे   कच्चे
हमें भुला कर रम जाएंगे,
अपने अपने घर सब बच्चे
बस हम और तुमसाथ रहेंगे ,
तुम संग गुजरें,सब दिन अच्छे 
साथ निभाना ,तुम जीवन भर,
बन कर मेरे हमदम  सच्चे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मैं हूँ झाड़ू

                     मैं  हूँ  झाड़ू

सेक रहे है अपनी अपनी रोटी , नेता , सभी  जुगाड़ू
राजनीति  का शस्त्र बनी मैं ,किसे सुधारूं किसे बिगाड़ूँ
                                                मैं  हूँ झाड़ू
सुबह सुबह गृहणी हाथों में आती,घर का गंद बुहरता
स्वच्छ साफ़ हर कोना होता,और सारा घरबार चमकता
सड़कों पर और गलियों में जो बिखरा रहता सारा कचरा
मैं ही उसे साफ़ करती हूँ, गाँव,शहर  रहता है  निखरा
फिर भी घर के एक कोने में पडी उपेक्षित मैं रहती हूँ
कोई मेरे दिल से पूछे ,मैं कितनी  पीड़ा  सहती हूँ
घर भर तो मैं साफ़ करूं पर,कैसे मन की पीर बुहारूं
                                               मैं हूँ झाड़ू
 कहते है बारह वर्षों मे ,घूरे के भी दिन फिर जाते
लेकिन बरस सैकड़ों बीते,मेरे अच्छे दिन को आते
'आप'पार्टी ,लड़ी इलेक्शन ,और चुनाव का चिन्ह बनाया
मोदी जी ने मुझे उठाया और स्वच्छ अभियान  चलाया
तब से  बड़े  बड़े नेताओं, के हाथों   की शान बनी मैं
जगह जगह 'बैनर्स 'पर दिखती,एक नयी पहचान बनी मैं
चाहूँ स्वच्छ प्रशासन कर दूँ और व्यवस्था सभी सुधारूं
                                                 मैं  हूँ झाड़ू
एक सींक जब रहे अकेली ,तो खुद ही कचरा कहलाती
कई सींक मिलती ,झाड़ू बन ,घर का कचरा दूर हटाती
यही एकता की महिमा है ,यही संगठन की शक्ति है
कचरा सभी साफ़ हो जाता ,जहाँ जहाँ झाड़ू फिरती है
मोदी जी ने ,अच्छे दिन के सब को सपने दिखलाये है
और किसी के ,आये न आये ,मेरे अच्छे दिन   आये है
मेरी शान बढ़ गयी कितनी,खुशियां इतनी ,कहाँ सम्भालू
                                                  मै  हूँ  झाड़ू

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015

आम्ही तुम्हाला शांतीची इच्छा

हॅलो त्वरित संदेश

आम्ही तुम्हाला शांतीची इच्छा

आपली गोपनीयता मध्ये माझ्या शिरण्याचा क्षमा, माझे नाव सौ rokia सध्या अस्तित्वात नसलेला एक न उडणारा पक्षी मलेशियन्स आहे पण अबिजान, आयव्हरी कोस्ट राजधानी राहू,

मी माझ्या संपत्ती एक भाग दान करण्याचा निर्णय घेतला आहे जो संपणारा विधवा आहे
हे पैसे वापरणार कोण विश्वसनीय व्यक्ती, तो आयव्हरी कोस्ट येथे एका बँकेत जमा की $ 2.8 दशलक्ष डॉलर्स. मी जगू शकत नाही तेव्हा अधिक पैसे मिळण्यासाठी मुले नाही कारण आपण आपल्या प्रयत्न या निधी 20% घ्या आणि मुले अनाथ इतर सामायिक होईल, अनाथ आणि मानवी हक्कांच्या काम समाजात कमी भाग्यवान आहेत ज्यांनी मदत आपण माझ्या ऑफर स्वीकारण्यास तयार असाल आणि या निधीचा उपयोग तर, कमी भाग्यवान आणि विधवा आहेत ज्यांनी मला मिळवा सांगतो नक्की म्हणून

आपला डेटा ताबडतोब मला परत करा.

एक ग्रीटिंग,

सौ rokia सध्या अस्तित्वात नसलेला एक न उडणारा पक्षी

शनिवार, 31 जनवरी 2015

रंग-ए-जिंदगानी: कविता- आज़ादी अभी अधूरी है

रंग-ए-जिंदगानी: कविता- आज़ादी अभी अधूरी है: गड़तंत्र दिवस हर साल मनाने मज़बूरी हैं। रात अभी अँधेरी है, आज़ादी अभी अधूरी है। सवाल दो वक़्त की रोटी का जबाव जलेबी है। दिन-रा...

शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

शादी-चार चित्र

              शादी-चार चित्र
                        १
एक खाली होता हुआ घोसला ,
एक चुसा हुआ आम
एक मधु विहीन छत्ता
फिर भी मुस्कान ओढ़े हुए ,
एक निरीह इंसान
दुल्हन का बाप
                   २
वर का पिता
गर्व की हवा से भरा गुब्बारा
रस्मो के नाम पर ,अधिकारिक रूप से,
 भीख मांगता हुआ ,दंभ का मारा
एक ऐसा प्राणी ,
जिसका पेट बहुत भर चुका है पर
फिर  भी कुछ और खाने को मिल जाए,
इसी जुगाड़ में तत्पर
सपनो में डूबा हुआ इंसान
मन में दादा बनने का लिए अरमान
                       ३
बेंड बाजे के साथ ,
मस्ती में नाचते हुए ,उन्मादी
व्यंजनों से भरी प्लेटों को ,
कचरे में फेंकते हुए बाराती
                      ४
दहेज़ के नाम  पर,
अपने बेटे का सौदा कर
अच्छी खासी लूट खसोट के बाद
खुश था  दूल्हे का बाप
लड़कीवालों ने अपने दामाद को ,
दहेज़ में दी है एक बड़ी कार
और बहू के नाम ,एक अच्छा फ्लेट दिया है ,
शायद वो अनजान थे कि उन्होंने ने,
इनके परिवार में,
विभाजन का बीज बो दिया है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

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