एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 4 मई 2014

बदलाव की हवा

           बदलाव  की हवा

दो जगह में अब भी कायम ,वो कि वो ही दूरियां,
                मील के पत्थर सभी अपनी जगह तैनात है
पहुँचने का ,मंजिलों तक,समय लेकिन  घट गया,
               इस तरह से बढ़ गया ,रफ़्तार का उन्माद है
एक ज़माना था कभी हम,धीमी धीमी चाल से,
              चलते थे,विश्राम करते ,बरगदों की छाँव में
उन दिनों पथ भी नहीं थे आज जैसे रेशमी,
            पथरीली सारी सड़क थी ,चुभते पत्थर पाँव में
कभी पथ पर आम मिलते,कभी जामुन ,करोंदे,
             कितना उनमे स्वाद मिलता  ,तोड़ कर खाते हुए
पहुँचने का मंजिलों तक, मज़ा ही कुछ और था,
              हौले हौले कटता रस्ता  ,हँसते और गाते हुए
अब तो बैठो गाड़ी में और फुर्र से मंजिल मिले ,
               आज कल के सफर में ,अब ना रही वो बात है
दो जगह में अब भी कायम,वो की वो ही दूरियां,
               मील के पत्थरसभी,अपनी जगह ,तैनात है                  
पाट चौड़ा और निर्मल नीर से पूरित नदी,
                मस्तियों से कलकलाती ,बहा करती थी कभी
उसका शोषण इस कदर से किया है इंसान ने,
                 एक गंदा नाला  बन कर ,रह गयी वो बस अभी 
लहलहाते वन कटे ,शीतल हवाएँ रुक गयी,
                 पंछियों का थमा कलरव ,वाहनो का शोर है
चंद गमलों में सिमट कर ,रह गयी है हरितिमा ,
                  उग रहे कांक्रीट के जंगल , यहाँ  सब ओर है
 जल प्रदूषित ,वायु प्रदूषित ,प्रदूषित इंसान भी ,
                 ,प्रगति पथ पर,इस कदर से ,बिगड़ते हालात है
दो जगह में अब भी कायम ,वो की वो ही दूरियां,
              मील के पत्थर सभी अपनी जगह तैनात है
आदमी ये सोचता है ,पा लिया मैंने बहुत ,
                  किन्तु खो क्या क्या दिया ,इसका नहीं अहसास है
इस तरह ,भौतिक हमारी ,हो गयी है ,जिंदगी ,
                   प्रकृति का  सौंदर्य निरखें,समय किसके पास है
प्रातः उगते सूर्य की वो लालिमा,सुन्दर छटा,
                     रात अम्बर में सितारों की सजावट,चांदनी,
देखने की ये नज़ारे ,नहीं  फुर्सत किसीको ,
                     इस  कदर से मशीनी  अब हो गया है आदमी
भाईचारे में दरारें  ,टूटने  रिश्ते लगे,
                       डालरों के मोल बिकती ,भावना दिन रात है
दो जगह में अब भी कायम,वो की वो ही दूरियां,
                    मील के पत्थर सभी ,अपनी जगह तैनात है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

गुरुवार, 1 मई 2014

हम भी तो है

        हम भी तो है

अगर बसाना है जो कोई निगाहों में ,
                              हम भी तो है
साथ चाहिए,यदि जीवन की राहों में,
                             हम भी तो है
अगर जगह खाली तुम्हारी चाहों में,
                            हम भी तो है
क्या रख्खा है,यूं ही ठंडी आहों में ,
                            हम भी तो है
तकिये को तुमक्यों भरती  हो बाहों में ,
                             हम भी तो है
पलक बिछा कर बैठे तेरी राहों में,
                             हम भी तो है
जो दर्दे दिल करती दूर ,दवाओं में ,
                             हम भी तो है
भरने रंगत ,मौसम और फिजाओं में ,
                             हम भी तो है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हाल-बुढ़ापे का

        हाल-बुढ़ापे का

याद  है  वो  जवानी  के  वक़्त  थे
हम बड़े ही कड़क थे और सख्त थे
ताजगी थी  , भरा हममें  जोश था
बुलंदी पर थे , हमें कब  होश   था
रौब था और बड़ी तीखी धार थी
थी नहीं परवाह कुछ संसार की
जवां था तन,जेब में भी माल था
इस तरह से  बन्दा ये खुशहाल था
हुए बूढ़े अब हम ढीले पड़  गए
वृक्ष के सब पात पीले पड़  गए
ना रहा वो जोश ,ना सख्ती रही
अब तो केवल भजन और भक्ति रही
मारा  करते फाख्ता थे जब मियां   
गए वो दिन, बुढ़ापे  के  दरमियाँ
हो गया   ऐसा हमारा हाल  है
मन मचलता ,मगर तन कंगाल है

मदन मोहन बहती'घोटू'

मेरा नंबर कब आएगा

           मेरा नंबर कब आएगा

खुदा ने खुल्ले हाथों बख्शी तुझको हुस्न की दौलत ,
     बड़ा तक़दीर वाला ही, तुम्हारा  प्यार पायेगा
बड़ी लम्बी लगी लाइन तेरे आशिकों की है ,
      लगाए आस बैठा मै ,मेरा नंबर कब आएगा
घोटू

अफवाह

         अफवाह

गजब की खूबसूरत हो
समझदारी की मूरत हो
सुने हर बात और माने
पति को देवता   जाने
कभी भी जो खफा ना हो
कभी भी बेवफा ना हो
करे सब काम जो घर का
नहीं हो शौक ,जेवर  का
न हो फैशन की दीवानी
बने ना घर की महारानी
सास की बात माने जो
बनाये ना ,बहाने जो
जिसे 'ना'कहना ना आये
हमेशा खुश हो मुस्काये
काम करने की आदी हो
बड़ी  ही सीधीसादी  हो
मिले ऐसी अगर बीबी,तो सब वाह वाह कहते है
कहा घोटू ने मुस्का कर
दिवा ये स्वप्न है सुन्दर
भरे गुण इतने ,जिसमे सब
खुदा की फैक्टरी में अब
नहीं ये माल बनता है ,इसे अफवाह  कहते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-