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रविवार, 16 फ़रवरी 2014

इश्क़ का इजहार करलें

         इश्क़ का इजहार करलें

झगड़ते तो रोज ही रहते है हम तुम,
                   आज वेलेंटाइन दिन है,प्यार करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
                   हम भी अपने इश्क़ का इजहार करले
 एक दूजे की कमी हरदम निकाली ,
                     छोटी छोटी बातों पर लड़ते रहे  हम
एक दूजे की कभी तारीफ़ ना की ,
                       एक दूजे से हमेशा  रही   अनबन
     आज आओ एक दूजे को सराहे
     एक दूजे संग चलें हम मिला बाहें 
 प्यार से हम एक दूजे को निहारें,
                        संग  मिल कर सुहाना संसार करले
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर ,
                          हम भी अपने इश्क़ का इजहार कर लें  
जिंदगी के झंझटों में व्यस्त रह कर ,
                              दुनियादारी में फंसे दिन रात रहते
चितायें  और परेशानी में उलझ कर ,
                               मिल न पाये,भले ही हम साथ रहते
       आओ हम तुम आज सारे गम भुलादे
        मिलें खुल कर  ,प्यार की  गंगा बहा दे
कुछ बहक कर,कुछ चहक कर,कुछ महक कर ,
                           सूखते इस चमन को गुलजार  करलें
नयी पीढ़ी की तरह गुलाब देकर,
                              हम भी अपने इश्क़ का इजहार करलें

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

दिल्ली का दंगल

       दिल्ली का दंगल

कांग्रेस ,बीजेपी ,इक दूजे के दुश्मन
वेलेंटाइन डे पर दोनों मित्र गए बन
इक दूजे का साथ दिया और हाथ मिलाया
और 'आप 'की गवर्नमेंट का किया सफाया
करे तीसरा राज,सोच ये बोझ हो गयी
एक दूजे की मिलीभगत ,एक्सपोज हो गयी
जिसने जब सत्ता पायी  ,वो खुल कर खेले
गिरेबान   दोनों के   ही है      अंदर  मैले
अब चुनाव का ऊँट ,कौन करवट बैठेगा
दोनों की ही लुटिया कहीं डूबा ना देगा
हुयी सियासी कुश्ती ,दिल्ली के दंगल में
फंसी हुई है जनता ,बेचारी  दलदल में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

वेलेंटाइन डे के हालत-दिल्ली में बरसात

     वेलेंटाइन डे के हालत-दिल्ली में बरसात

 सोचा था देखेंगे पिक्चर नयी 'गुंडे',उनके संग ,
                गुंडों से डरती  है वो,उनने मना पर कर दिया
सोचा फिर  कि साथ उनके,घूमेंगे हम पार्क में ,
                  किन्तु बारिश ने बरस कर ,ये भी ना होने दिया
रेस्तरां में पंहुचे तो पाया गज़ब की भीड़ थी ,
                   माल में पंहुचें वहाँ भी  भीड़ थी, धमाल   था
बिठा कर बाइक पर उनको ,इधर उधर भटकते ,
                    भीग कर सर्दी के मारे ,बहुत बिगड़ा हाल था
उनका मेक अप ,धुल गया और नाक भी बहने लगी ,
                     लहलहाते केश उनके चिपक  गालों पर गये
ऐसे वेलेंटाइन डे ,हमने मनाया आज का,
                      दिल के सब अरमां संजोये,आँसुवों में बह गये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

बुढ़ापा-अहसास उम्र का

        बुढ़ापा-अहसास उम्र का

अबकी कड़कड़ाती ,ठिठुरन  भरी सर्दी के बाद ,
मुझे हुआ अहसास
कि बुढ़ापा आ गया है पास
सर्दी में केप और मफलर में ,
रहते थे ढके
सर के सब बाल सफ़ेद होकर थे  पके
और जब  सर्दी गयी और टोपी हटी ,
तो मन में आया खेद
क्योंकि मेरे सर के बाल ,
सारे के सारे हो गये थे  थे सफ़ेद
 और सर की सफेदी ,याने बुढ़ापे का अहसास
मुझे कर गया निराश
और मैंने झटपट अपने बालों पर लगा कर खिजाब
कर लिया काला
सच इस  कालिख का भी ,अंदाज है निराला
आँखों  में जब काजल बन लग जाती है
आँखों को सजाती है  
कलम से जब कागज़ पर उतरती है
तो शब्दों में बंध  कर,महाकाव्य रचती है
श्वेत बालों पर  जब लगाई जाती है
जवानी का अहसास कराती है
बच्चो के चेहरे पर काला टीका लगाते है
 और बुरी नज़र से बचाते है
मगर ये ही कालिख ,जब मुंह पर पुत  जाती है
बदनाम कर जाती है
तो हमारे सफ़ेद बालों पर जब लगा खिजाब
उनमे आ गयी  नयी जान  ,
 और हम  अपने आपको समझने लगे जवान
पर हम सचमुच में है कितने  नादान 
क्योंकि ,बुढ़ापा या जवानी ,
इसमें कोई अंतर नहीं खास है
ये तो सिर्फ ,मन का एक अहसास है
अगर सोच जवान है ,तो आप जवान है
और सर पर के काले बाल
ला देतें है आपको जवान होने का ख्याल
तो अपने सोच में जवानी का रंग आने दो
और जीवन में उमंग आने दो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

हम नेता हैं

         हम नेता हैं

हम नेता है,हम न किसी के सगे हुए है
जोड़ तोड़ कर ,बस कुर्सी से टंगे  हुए है
जनता के सेवक खुद को तो  कहते है पर,
खुद अपनी ही सेवा में हम लगे हुए है
मीठी मीठी बातें कर सबको बहलाते,
क्योंकि चाशनी में असत्य की पगे हुए है
आश्वासन की लोरी सुन ,सोती है जनता ,
और हम उसको ,थपकी देते ,जगे हुए है
हम भी तो है,इस जंगल के रहनेवाले ,
है तो वो ही सियार ,मगर हम रंगे  हुए है
लाख कोशिशें करते जनता को ठगने की,
पर सच ये है,हम  अपनों से ठगे  हुए है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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