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मंगलवार, 28 मई 2013

दान की महिमा

  

दान की महिमा बड़ी महान 
रतन जवाहर उगले धरती ,खोदो अगर खदान 
और  खेत का सीना चीरो, तो उपजे  धन धान 
सच्चे मन से प्रभु को सुमरो ,मिलता है वरदान 
जीवन सारा है साँसों का बस  आदान  ,प्रदान 
मेरे सास ससुर ने मुझको ,दे निज कन्या दान 
बिन घर, बना दिया घरवाला ,किया बहुत अहसान 
पांच   साल में नेता चुनती  जनता,  कर  मतदान 
जीत चुनाव,करे जनता पर ,ढेरों टेक्स  लदान 
बेईमानी,लूटमार का ,है क्या कोई  निदान 
बड़े गर्व  से पर हम कहते ,मेरा देश   महान 

मदन मोहन  बाहेती 'घोटू'

अपच

       

गेंहू ,चना ,चावल या और भी कोई अन्न,
ऐसे ही नहीं खाया जाता ,
पहले उसको दला ,पीसा,
भूना या उबाला जाता है 
तब कहीं खाने के योग्य,
और सुपाच्य बनता है  
हमारे समझदार नेता ,
खाने पीने वाले   होते है ,
और अन्न  ,भोलीभाली जनता है 
वो पहले जनता को दुखों से दलते है,
परेशानियों से पीसते है,
मंहगाई  से भूनते है  
गुस्से से उबालते है 
और उसकी मेहनत का करोड़ों रुपिया ,
बड़े प्रेम से डकारते है  
कुछ जो ज्यादा जल्दी में होते है ,
कभी कभी कच्चा अन्न ही खा जाते है 
और उनकी समझ में ये बात नहीं आती है 
कि  ज्यादा और जल्दी जल्दी खाने से,
अपच  हो जाती है 

मदन मोहन बाहेती' घोटू'

क्यों?

             
              क्यों?
तुम भगवान् को मानते हो,
जो एक अनुपम अगोचर शक्ती है ,
जिसने इस संसार का निर्माण किया है 
तुम साधू,संत और गुरुओं को पूजते हो,
क्योंकि उन्होंने तुम्हे ज्ञान का प्रकाश दिया है   
तुम  अपनी पत्नी के गुण गाते हो,
क्योंकि उसने तुम्हारी जिन्दगी को,
प्यार के रंगों से सजाया है 
तो फिर तुम अपने उन माँ बाप का,
तिरस्कार क्यों करते हो ,
जिन्होने तुम्हारा निर्माण किया,
तुम्हे ज्ञान दिया,और तुम पर,
जी भर भर के प्यार लुटाया  है?

मदन मोहन  बाहेती'घोटू'


सोमवार, 27 मई 2013

मन की खिड़कियाँ

    

जरा देखो,खोल मन की खिड़कियाँ ,
                 ठंडी और ताज़ी हवाएं आयेगी 
जायेंगे अवसाद सारे दूर हट,
                 और मन की घुटन सब घट जायेगी 
आयेगी बौछार खुशियों की मधुर,
                   और सुख से जिन्दगी सरसायेगी 
निकल कर तो देखो अपने कूप से,
                    जगत की जगमग नज़र आ जायेगी 
दिन में सूरज राह रोशन करेगा ,
                     रात में भी चांदनी  छिटकायेगी 
मार कर बैठे रहोगे कुण्डली ,
                      मोह माया  उम्र भर  तडफायेगी
और जब जाओगे दुनिया छोड़ कर ,
                       धन और दौलत ,काम ना कुछ आयेगी 
  आज का पूरा मज़ा लो आज तुम,
                       कल की चिंता ,कल ही देखी  जायेगी  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुढापा -सबको आता

   

राम और कृष्ण का अवतार लेकर ,
  आये भगवान थे
पर मानव शरीर लिए हुए ,
वो भी तो  इंसान थे 
उनने भी मानव शरीर के ,
सारे दुःख उठाये होंगे  
बुढापे की तकलीफ़ भी पाये  होंगे 
रामजी ने चौदह बरस वनवास काटा,
सीताजी का हरण हुआ ,
लंका पर चढ़ाई कर ,
रावण का संहार किया  
अयोध्या आये पर धोबी के कहने पर,
गर्भवती सीता को ,घर से निकाल दिया 
बिना पत्नी के ,उनके जीवन में,
अन्धकार छा गया 
पर अपनी उस गलती के पश्चाताप में ,
बुढ़ापे में,उन्हें भी डिप्रेशन आ गया 
बड़े परेशान और डिस्टर्ब थे रहते 
और इसी घुटन में,
उन्होंने सरयू में डूब कर
 आत्महत्या की,ऐसा लोग है कहते 
कृष्ण जी ने भी किया था ,द्वारका पर शासन 
पर बुढापे में नहीं चला ,उनका अनुशासन 
उनके सब यदुवंशी ,
आपस में ही लड़ने लग गये  
तो शांति की तलाश में,
वो द्वारका छोड़ कर,
दूर प्रभाष क्षेत्र की तरफ चले गये  
अकेले,तनहा,एक वृक्ष के नीचे ,
शांति से कर रहे थे   विश्राम 
और वहीँ पर लगा उन्हें बाण 
और वो कर गए महाप्रयाण 
अंतिम समय में ,उनके परिवार का,
कोई भी सदस्य ,नहीं आया काम 
तो भगवान भी ,जब इंसान का रूप लेते है, 
बढती उम्र में ,उनके साथ भी  ऐसा होता है
 सब साथ छोड़ते , कोई साथ नहीं होता है 
ओ अगर तुझे ,तेरे अपनों ने छोड़ दिया है ,
और बुढापे में  परेशानी होती है,
तो काहे को रोता है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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