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बुधवार, 13 फ़रवरी 2019
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Fax Message ID: 7574 645 3334,
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USPS Package Delivery Attempt Fail Notification
Hi,Package delivery attempt fail notification on February 6th, 2019 , 09:27 AM.The delivery failed due to the fact that no one was present at the delivery address, so this notice was sent automatically. You may rearrange delivery by visiting your nearest United States Postal Service location with the printed shipping invoice provided down below. In case the parcel is NOT scheduled for redelivery within 72 hrs, it is going to be returned to the shipper.To learn more about Shipping and delivery, please visit the Delivery Guidelines .
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हलचल अन्य ब्लोगों से 1-
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2025 में विभिन्न लग्न और राशियों के लिए विवाह का योग - 2025 में विभिन्न लग्न और राशियों के लिए विवाह का योग vivah shubh muhurat 2025 पिछले पोस्ट में मैंने जानकारी दी थी, गत्यात्मक ज्योतिष की मान्यता है कि युव...10 घंटे पहले
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अपने में - अपने में क्या है जिसे मानव खोज रहा है धरती क्या कम थी अब ख़ाक छानने लगा है अन्य ग्रहों की भीबस्तियाँ तक बसाने की सोच रहा है क्या पाएगा सागर की अतल गहराई ...12 घंटे पहले
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शिक्षा की राजनीति : जब कुर्सी और मेज आमने-सामने हुए - *शिक्षा की राजनीति : जब कुर्सी और मेज आमने-सामने हुए* एक दिन स्कूल की एक क्लासरूम में कुर्सी और मेज के बीच बहस छिड़ गई। यह बहस साधारण नहीं थी, बल्कि उन ब...13 घंटे पहले
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अधिकार हूं....... - फैशन नहींविचार हूंजन मन का स्वीकार हूं।बहुजन कागौरव हूंअन्याय काप्रतिकार हूं।मैं अंबेडकर हूं...संविधान हूं....समता काअधिकार हूं।✓यशवन्त माथुर©20 दिसंबर 202...1 दिन पहले
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नर कंकालों से भरी रूपकुंड झील का रहस्य - नर कंकालों की झील रूप कुण्ड एक कढ़ाई के आकार वाली , 5029 m समुद्रतल से ऊंचाई पर लगभग 2 - 3 मीटर गहरी एवं लगभग ढाई एकड़ क्षेत्रफल वाली नरकंकालों से भरी ह...4 दिन पहले
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तुम्हारी पलकों की कोर पर ..... स्मृति आदित्य पाण्डेय ''फाल्गुनी'' - कुछ मत कहना तुम मैं जानती हूँ मेरे जाने के बाद वह जो तुम्हारी पलकों की कोर पर रुका हुआ है चमकीला मोती टूटकर बिखर जाएगा गालों पर और तुम घंटों अपनी खिड़की ...4 दिन पहले
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783. पैरहन (5 क्षणिका) - पैरहन *** 1. लकीर *** हथेली में सिर्फ़ सुख की लकीरें थीं कब किसने दुःख की लकीरें उकेर दीं जो ज़िन्दगी की लकीर से भी लम्बी हो गई अब उम्मीद की वह पतली डोर भ...1 हफ़्ते पहले
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1442-अनुभूतियाँ - * रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’* *1* *1* *कोई मिलता भी कैसे**, चाहा नहीं किसी को।* *सिर्फ चाहा जब तुम्हें ही**, समय पाखी बन उड़ा..।* *2* *जाऊँगा कहाँ ...1 हफ़्ते पहले
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मध्य में क्या - जिंदगी की स्लेट पर जन्म या मृत्यु लिखना आरम्भ और अंत है। क्या इतना ही जीवन है? नहीं...मध्य वृहद उपन्यास है। जन्म तो संयोग है मृत्यु एक वियोग है क्...1 हफ़्ते पहले
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सपना - *गांव भरा था लोगों से। * *लहलहा रहे थे खेत। * *हर आंगन में गाय बंधी थी। * *बैल बंधे थे धवल सफेद। * *कुछ घरों में मुर्रा भैंसें। * *खड़ी हुई थी खाती घ...2 हफ़्ते पहले
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अकेली हो? - पति के गुजर जाने के बाद दिन पहाड़ से लगते हैं रातें हो जाती है लंबी से भी लंबी दूर तक नजर नहीं आती सूरज की कोई किरण मशीन बन जाता है शरीर खाने, पीने की ...2 हफ़्ते पहले
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किताब मिली - शुक्रिया - 22 - दुखों से दाँत -काटी दोस्ती जब से हुई मेरी ख़ुशी आए न आए जिंदगी खुशियां मनाती है * किसी की ऊंचे उठने में कई पाबंदियां हैं किसी के नीचे गिरने की कोई भी हद ...2 हफ़्ते पहले
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बचपन के रंग - - बहुत पुरानी , घोर बचपन की बातें याद आ रही है. मुझसे पाँच वर्ष छोटे भाई का जन्म तब तक नहीं हुआ था. पिताजी का ट्रांस्फ़र होता रहता था - उन दिनों हमलोग तब ...3 हफ़्ते पहले
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क्या अमेरिकन समाज स्त्रीविरोधी है? : (डॉ.) कविता वाचक्नवी - क्या अमेरिकन समाज स्त्रीविरोधी है? : (डॉ.) कविता वाचक्नवी अमेरिका के चुनाव परिणाम की मेरी भविष्यवाणी पुनः सत्य हुई। लोग मुझे पूछते और बहुधा हँसते भी हैं क...1 माह पहले
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अवनीश चौहान को मिलेगा कादम्बरी सम्मान - ------------------------------ *पुरस्कृत कृति : *'एक अकेला पहिया' (नवगीत-संग्रह), कवि : अवनीश सिंह चौहान, प्रकाशक: प्रकाश बुक डिपो, बरेली, उ.प्र. (फोन: 0...1 माह पहले
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प्लैजर मैरिज- मुस्लिम समुदाय - विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही म...2 माह पहले
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लीज एंड लाइसेंस से सुरक्षित रहेगा घर - आज तक मकान मालिक घर किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाते आ रहे हैं जिसमें घर को किराएदारी पर देने का 11 महीने का अनुबन्ध रहता है. घर के कब्ज...2 माह पहले
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शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२६) - * बेशक कोई रिश्ता हमें जन्म से मिलता है परंतु उस रिश्ते से जुड़ाव हमारे मनोभाव पर निर्भर करता है । जन्म मर...2 माह पहले
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A visit to Frankfurt - *अभी मैं तुम्हारे शहर से गई नहीं हूँ * *अभी तो मैं बाक़ी हूँ उन अहसासों में * *अभी तो सुनाई देती है मुझे गोयथे यूनिवर्सिटेट और तुम्हारे घर के बीच की सड़क ...2 माह पहले
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अनजान हमसफर - इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। गैस खिड़कियाँ ...2 माह पहले
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अब चक्र सुदर्शन उठाओ ना। - बहुत सुना दी मुरली धुन मीठी , अब चक्र सुदर्शन उठाओ ना। मोहित-मोहक रूप दिखा कर, मोह चुके मनमोहन मन को, अधर्म मिटाने इस धरती से , धर्म सनातन की रक्षा हित, ...3 माह पहले
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पुरानी तस्वीर... - कल से लगातार बारिश की झड़ी लगी है। कभी सावन के गाने याद आ रहे तो कभी बचपन की बरसात का एहसास हो रहा है। तब सावन - भादो ऐसे ही भीगा और मन खिला रहता था। ...3 माह पहले
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बीज - मंत्र . - शब्द बीज हैं! बिखर जाते हैं, जिस माटी में , उगा देते हैं कुछ न कुछ. संवेदित, ऊष्मोर्जित रस पगा बीज कुलबुलाता फूट पड़ता , रचता नई सृष्टि के अंकन...3 माह पहले
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गुमशुदा ज़िन्दगी - ज़िन्दगी कुछ तो बता अपना पता ..... एक ही तो मंज़िल है सारे जीवों की और वो हो जाती है प्राप्त जब वरण कर लेते हैं मृत्यु को , क्यों कि असल मंज़िल म...7 माह पहले
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रामलला का करते वंदन - कौशल्या दशरथ के नंदन आये अपने घर आँगन, हर्षित है मन पुलकित है तन रामलला का करते वंदन. सौगंध राम की खाई थी उसको पूरा होना था, बच्चा बच्चा थ...10 माह पहले
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क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ - ग़ज़ल मंज़िल से अब दूर नहीं हूँ थोड़ा भी मग़रूर नहीं हूँ गिर जाऊँ समझौते कर लूँ इतना भी मजबूर नहीं हूँ दूर हुआ तू मुझसे फिर भी तेरे ग़म से चू...1 वर्ष पहले
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ज़िन्दगी पुरशबाब होती है - क्या कहूँ क्या जनाब होती है जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो वो मगर लाजवाब होती है उम्र की बात करने वालों सुनो ज़िन्दगी पुरशबाब ह...2 वर्ष पहले
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अब पंजाबी में - सिन्धी में कविता के अनुवाद के बाद अब पंजाबी में "प्रतिमान पत्रिका" में मेरी कविता " हाँ ......बुरी औरत हूँ मैं " का अनुवादप्रकाशित हुआ है सूचना तो अमरज...2 वर्ष पहले
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Bayes Theorem and its actual effect on our lives - मित्रों आज बेज़ थियरम पर बात करुँगी। बहुत ही महत्वपूर्ण बात है - गणित के शब्द से परेशान न हों - पूरा पढ़े, गुनें, और समझें। हम सभी ने बचपन में प्रोबेबिलिटी ...4 वर्ष पहले
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कविता : खेल - शहर के बीच मैदान जहाँ खेलते थे बच्चे और उनके धर्म घरों में खूँटी पर टँगे रहते थे जबसे एक पत्थर लाल हुआ तो दूसरे ने ओढ़ी हरी चादर तबसे बच्चे घरों में कैद...4 वर्ष पहले
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दोहे "रंगों की बौछार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') - *होली का त्यौहार* *-0-0-0-0-0-* *फागुन में अच्छी लगें, रंगों की बौछार।* *सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्यौहार।।* *--* *शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार।*...4 वर्ष पहले
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कांच के टुकड़े - सुनो मेरे पास कुछ कांच के टुकड़े हैं पर उनमें प्रतिबिंब नहीं दिखता पर कभी फीका महसूस हो तो उन्हें धूप में रंग देती हूं चमक तीक्ष्ण हो जाते तो दुबारा ...4 वर्ष पहले
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बचपन की यादें - कल अपने भाई के मुख से कुछ पुरानी बातों कुछ पुरानी यादों को सुनकर मुझे बचपन की गालियाँ याद आ गयीं। जिनमें मेरे बचपन का लगभग हर इतवार बीता करता था। कितनी...4 वर्ष पहले
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मॉर्निंग वॉक- एक सुरक्षित भविष्य - जीवन में चलते चलते कभी कुछ दिखाई दे जाता है, जो अचानक दिमाग में एक बल्ब जला देता है , एक विचार कौंधता है, जो मन में कुनमुनाता रहता है, जब तक उसे अभिव्यक...4 वर्ष पहले
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2019 का वार्षिक अवलोकन (सत्ताईसवां) - डॉ. मोनिका शर्मा का ब्लॉग Search Results Web results परिसंवाद *आपसी रंजिशों से उपजी अमानवीयता चिंतनीय* अमानवीय सोच और क्रूरता की कोई हद नहीं बची ह...4 वर्ष पहले
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जियो सेट टॉप बॉक्स - महा बकवास - जियो फ़ाइबर सेवा धुंआधार है, और जब से इसे लगवाया है, लाइफ़ है झिंगालाला. आज तक कभी ब्रेकडाउन नहीं हुआ, बंद नहीं हुआ और स्पीड भी चकाचक. ऊपर से लंबे समय से...4 वर्ष पहले
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परमेश्वर - प्रार्थना के दौरान वह मुझसे मिला उसे मुझसे प्रेम हुआ उसकी मैली कमीज के दो बटन टूटे थे टिका दिया उसने अपना सर मेरे कंधे पर वह युद्ध में हारा सैनिक था शायद!...4 वर्ष पहले
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Aakhir kab ? आखिर कब ? - * आखिर कब ? आखिर क्यों आखिर कबतक यूँ बेआबरू होती रहेंगी बेटीयाँ आखिर कबतक हवाला देंगे हम उनके पहनावे का उनकी आजादी का उनकी नासमझी और समझदारी का क्यों ...5 वर्ष पहले
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तुम्हारा स्वागत है - 1 तुम कहती हो " जीना है मुझे " मैं कहती हूँ ………… क्यों ? आखिर क्यों आना चाहती हो दुनिया में ? क्या मिलेगा तुम्हे जीकर ? बचपन से ही बेटी होने के दंश ...5 वर्ष पहले
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ना काहू से दोस्ती .... - *पुलिस और वकील एक ही परिवार के दो सदस्य से होते हैं, दोनों के लक्ष समाज को क़ानून सम्मत नियंत्रित करने के होते हैं, पर दिल्ली में जो हुआ या हो रहा है उस...5 वर्ष पहले
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Kritidev to Unicode Converter - [image: Real Time Font Converter] DL-Manel-bold. (ã t,a udfk,a fnda,aâ) Unicode (යුනිකෝඩ්) ------------------------------ © 2011 Language Technology R...5 वर्ष पहले
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जल्दी आना ओ चाँद गगन के ..... - *करवा चौथ* *मैं यह व्रत करती हूँ* * अपनी ख़ुशी से बिना किसी पूर्वाग्रह के करती हूँ अपनी इच्छा से अन्न जल त्याग क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता .... इनसे भी ज़...5 वर्ष पहले
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इंतज़ार और दूध -जलेबी... - वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि ब...5 वर्ष पहले
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राजू उठ ... चल दौड़ लगाने चल - राजू उठ भोर हुई चल दौड़ लगाने चल पानी गरम कर दिया है दूध गरम हो रहा है राजू उठ भोर हुई चल दौड़ लगाने चल दूर नहीं अब मंजिल पास खड़े हैं सपने इक दौड़ लगा कर जीत...5 वर्ष पहले
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काया - काया महकाई सतत, लेकिन हृदय मलीन। चहकाई वाणी विकट, प्राणी बुद्धिविहीन। प्राणी बुद्धिविहीन, भरी है हीन भावना। खिसकी जाय जमीन, न करता किन्तु सामना। पाकर उच्चस्...5 वर्ष पहले
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कविता और कुछ नहीं... - कविताएं और कुछ नहीं आँसू हैं लिखे हुए.... खुशी की आँच कि दुखों के ताप के अतिरेक से पोषित लयबद्ध हुए... #कविताक्याहै5 वर्ष पहले
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cara mengobati herpes atau dompo - *cara mengobati herpes atau dompo* - Kita harus mengetahui apa Gejala Penyakit Herpes Dan Pengobatannya, agar ketika kita terjangkiti penyakit herpes, kit...5 वर्ष पहले
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तुमसे मिलने के बाद.......अज्ञात - तुम्हे जाने तो नही देना चाहती थी .. तुमसे मिलने के बाद पर समय को किसने थामा है आज तक हर कदम तुम्हारे साथ ही रखा था ,ज़मीं पर बहुत दूर चलने के लिए पर रस्ते ...5 वर्ष पहले
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अरे अरे अरे - आ गईं तुम आना ही था तुम्हे देहरी पर कटोरी उलटी रख कर माँ ने कहा था, आती ही होगी वह देखना पहुँच जायेगी। वह भीगी हुई चने की दाल और हरी मिर्च जो तोते के लिये...5 वर्ष पहले
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यह विदाई है या स्वागत...? - एक और नया साल...उफ़्फ़ ! इस कमबख़्त वक्त को भी जाने कैसी तो जल्दी मची रहती है | अभी-अभी तो यहीं था खड़ा ये दो हज़ार अठारह अपने पूरे विराट स्वरूप में...यहीं पह...5 वर्ष पहले
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मन के अंदर चल रहा निरंतर संघर्ष कठिन यह मानव के ... - इच्छाओं के चक्रवात से निरंतर जूझ रहा यह मानव मन उड़ जाता है अशक्त आत्मबलरहित तिनके के माफिक। इधर उधर बेचैन कहीं भी, बिना छोर और बिना ठिकाना दरबदर भटकता व्...6 वर्ष पहले
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BIJASAN DEVI - विंध्याचल पर्वत पर विराजी हैं यह देवी, सबके लिए करती हैं न्याय - [image: Navratri 2018: विंध्याचल पर्वत पर विराजी हैं यह देवी, सबके लिए करती हैं न्याय] *मध्यप्रदेश बिजासन देवी धाम को आज कौन नहीं जानता। कई लोगों की कुलदेव...6 वर्ष पहले
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पापा तुम क्यों चले गए ? - पापा ……………………………….. तुम्हारी साँसों में धडकन सी थी मैं , जीवन की गहराई में बचपन सी थी मैं । तुम्हारे हर शब्द का अर्थ मैं , तुम्हारे बिना व्यर्थ मैं , ...6 वर्ष पहले
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कविता- " इक लड़की" 8 मार्च- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर - *इक लड़की* *मुस्कराहट, * *उसकी आँखों से उतर;* *ओठों को दस्तक देती;* *कानों तक फ़ैल गई थी.* *जो* *उसकी सच्चाई की जीत थी. * *और * *उसकी उपलब्धि से आई थी.* *वो ...6 वर्ष पहले
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मेरी कविता - जीवन - *जीवन* *चित्र - google.com* *जीवन* * तुम हो एक अबूझ पहेली, न जाने फिर भी क्यों लगता है तुम्हे बूझ ही लूंगी. पर जितना तुम्हे हल करने की कोशिश कर...7 वर्ष पहले
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“ रे मन ” - *रूह की मृगतृष्णा में* *सन्यासी सा महकता है मन* *देह की आतुरता में* *बिना वजह भटकता है मन* *प्रेम के दो सोपानों में* *युग के सांस लेता है मन* *जीवन के ...7 वर्ष पहले
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मन का टुकड़ा मनका बनाकर - मन का टुकड़ा मनका बनाकर मनबसिया का ध्यान करूं | प्रेम की राह बहुत ही जटिल है ; चल- चल कर आसान करूं | (१५ जुलाई २०१७, रात्रि )7 वर्ष पहले
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ये कैसा संस्कार जो प्यार से तार-तार हो जाता है? - जात-पात न धर्म देखा, बस देखा इंसान औ कर बैठी प्यारछुप के आँहे भर न सकी, खुले आम कर लिया स्वीकारहाय! कितना जघन्य अपराध! माँ-बाप पर हुआ वज्रपातनाम डुबो दिया,...7 वर्ष पहले
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हिन्दी ब्लॉगिंग : आह और वाह!!!...3 - गत अंक से आगे.....हिन्दी ब्लॉगिंग का प्रारम्भिक दौर बहुत ही रचनात्मक था. इस दौर में जो भी ब्लॉगर ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय थे, वह इस माध्यम के प्रति ...7 वर्ष पहले
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प्रेम करती हूँ तुमसे - यमुना किनारे उस रात मेरे हाँथ की लकीरों में एक स्वप्न दबाया था ना उस क्षण की मधुस्मृतियाँ तन को गुदगुदाती है उस मनभावन रुत में धडकनों का मृदंग बज उ...7 वर्ष पहले
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गाँधी जी...... - गाँधी जी...... --------- चौराहॆ पर खड़ी,गाँधी जी की प्रतिमा सॆ,हमनें प्रश्न किया, बापू जी दॆश कॊ आज़ादी दिला कर, आपनॆं क्या पा लिया, बापू आपके सारॆ कॆ सारॆ सि...7 वर्ष पहले
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Demonetization and Mobile Banking - *स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...* प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...8 वर्ष पहले
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आप अदालत हैं - अपना मानते हैं जिन्हें वही नहीं देते अपनत्व। पक्षपात करते हैं सदैव वे पुत्री के आँसुओं का स्वर सुन। नहीं जाना उन्होंने मेरी कटुता को न ही मेरी दृष्टि में बन...8 वर्ष पहले
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फिर अंधेरों से क्यों डरें! - प्रदीप है नित कर्म पथ पर फिर अंधेरों से क्यों डरें! हम हैं जिसने अंधेरे का काफिला रोका सदा, राह चलते आपदा का जलजला रोका सदा, जब जुगत करते रहे हम दीप-बा...8 वर्ष पहले
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चलो नया एक रंग लगाएँ - लाल गुलाबी नीले पीले, रंगों से तो खेल चुके हैं, इस होली नव पुष्प खिलाएँ, चलो नया एक रंग लगाएँ । मानवता की छाप हो जिसमे, स्नेह सरस से सना हो जो, ऐसी होली खू...8 वर्ष पहले
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स्वागतम् - मित्रों, सभी को अभिवादन !! बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ | इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई ब्लॉग के लि...8 वर्ष पहले
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विचार शून्यता। - विचार , कई बार बहते है हवा से, छलकते है पानियों से, झरते है पत्तियों से और कई बार उठते है गुबार से घुटते है, उमड़ते है, लीन हो जाते है शून्य में फिर यह...8 वर्ष पहले
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बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...9 वर्ष पहले
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एक रामलीला यह भी - एक रामलीला यह भी यूं तो होता है रामलीला का मंचन वर्ष में एक बार पर मेरे शरीर के अंग अंग करते हैं राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के पात्र जीवन्त. देह की सक...9 वर्ष पहले
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मन गुरु में ऐसा रमा, हरि की रही न चाह - ॐ श्री गुरुवे नमः *ॐ ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।* * द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥ एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् । ...9 वर्ष पहले
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गुरु पूर्णिमा - आज गुरु पूर्णिमा है ! अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करने का दिवस ,गुरु शब्द का अर्थ होता है अँधेरे से प्रकाश की और ले जाने वाला ,अज्ञान ज्ञान की और ले...9 वर्ष पहले
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हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...9 वर्ष पहले
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क्रिकेट विश्व कप 2015 विजय गीत - धोनी की सेना निकली दोहराने फिर इतिहास अब तो अपनी पूरी होगी विश्व विजय की आस | शास्त्री की रणनीति भी है और विराट का शौर्य , धोनी की तो धूम मची है विश्व ...9 वर्ष पहले
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'मेरा मन उचट गया है त्यौहारों से' - मेरा मन उचट गया है त्यौहारों से… मेरे कान फ़ट चुके हैं सवेरे से लाउड वाहियत गाने सुनकर और फ़ुर्र हो चुका है गर्व। ये कौनसा रंग है मेरे देश का? बिल्कुल ऐसा ...9 वर्ष पहले
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कथा सुनो शबाब की - *कथा सुनो शबाब की* *सवाल की जवाब की* *कली खिली गुलाब **की* *बड़े हसीन ख़ाब की* * नया नया विहान था* * घ...9 वर्ष पहले
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कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...10 वर्ष पहले
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जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...10 वर्ष पहले
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...10 वर्ष पहले
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आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...10 वर्ष पहले
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झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...10 वर्ष पहले
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हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...10 वर्ष पहले
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गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
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रंग रंगीली होली आई. - [image: Friends18.com Orkut Scraps] रंग रंगीली होली आई.. रंग - रंगीली होली आई मस्तानों के दिल में छाई जब माह फागुन का आता हर घर में खुशियाली...10 वर्ष पहले
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भ्रष्ट आचार - स्वतंत्र भारत की नीव में उस समय के नेताओं ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के रख दिये थे भ्रष्ट आचार फिर देश से कैसे खत्म हो भ्रष्टाचार ?11 वर्ष पहले
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अन्त्याक्षरी - कभी सोचा नहीं था कि इसके बारे में कुछ लिखूँगी: बचपन में सबसे आमतौर पर खेला जाने वाला खेल जब लोग बहुत हों और उत्पात मचाना गैर मुनासिब। शायद यही वजह है कि इ...11 वर्ष पहले
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संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...11 वर्ष पहले
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प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...11 वर्ष पहले
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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7 ........दिनकर - 'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ? कवच और कुण्डल-भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ? धँस जाये वह देश अतल में, गुण की जहाँ नहीं पहचान? जाति-गोत्...11 वर्ष पहले
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आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
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OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...12 वर्ष पहले
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इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...12 वर्ष पहले
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यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...12 वर्ष पहले
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आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...12 वर्ष पहले
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Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar - Pujya Tapaswi Sri Jagjivanjee Maharaj Chakchu Chikitsalaya, Petarbar is a Charitable Eye Hospital which today sets an example of a selfless service to the...12 वर्ष पहले
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क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
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कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
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HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
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"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...13 वर्ष पहले
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अब बक्श दे मैं मर मुकी - चरागों से जली शाम ऐ , मुझे न जला तू और भी, मेरा घर जला जला सा है,मेरा तन बदन न जला अभी, मैंने संजो रखे हैं बहुत से राख के ढेर दिल मैं कहीं, सुलग सुलग के आय...13 वर्ष पहले
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अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...13 वर्ष पहले
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दरिन्दे - बारूद की गन्ध फैली है, माहौल है धुआँ-धुआँ कपड़ों के चीथड़े, माँस के लोथड़े फैले हैं यहाँ-वहाँ। ये छोटा चप्पल किसी मासूम का पड़ा है यहाँ ढूँढो शयद वह ज़िन...14 वर्ष पहले
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