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रविवार, 30 नवंबर 2014

किस्मत अपनी अपनी

       किस्मत अपनी अपनी

हम को कब मालूम होता ,किसी की बेटी कोई,
   पल रही है किसी के घर बन के उसकी लाड़ली
एक दिन बन जाएगी तुम्हारी जीवनसंगिनी ,
        और तुम्हारे वास्ते वो घर में कोई के पली
हर एक घर पे ये लिखा है,कौन इसमें रहेगा ,
        हर एक फल पर ये लिखा है कौन इसको खायेगा
कौनसा फल पेड़ से गिर जाएगा तूफ़ान में,
        मुरब्बा किसका बनेगा,कौन सा सड़  जाएगा
लिख दिया है विधाता  ने,सभी कुछ तक़दीर में ,
          बुरा,अच्छा,सुख और दुःख जो भोगना इंसान ने
इसलिए हम कर्म बस ,अपना सदा करते रहें,
         फल हमें क्या मिलेगा ,सब लिख रखा भगवान ने

घोटू  

अक्स

          अक्स

 कुछ दिनों अक्सों से अपने ,मैंने की थी  दोस्ती ,
       बांटता अपने ग़मों को ,आईने से लिपट कर
देख मुझको गमजदा ,ग़मगीन होते अक्स थे  ,
       अक्स भी आंसू बहाते ,मुझको रोता देख कर
अक्स मेरे चिर परिचित ,दोस्त  लगने लगे थे ,
मेरे ही मन के मुताबिक़ ,रहता उनका रूप था,
कोइ से भी आईने को देख कर लगता था ये ,
         अक्स  हँसते और रोते ,थे मेरा  रुख  देख कर 
कल भरे तालाब में ,मैं था किसी को ढूढ़ता ,
टकटकी मुझ पर लगाए ,मेरा ही चेहरा दिखा ,
पर न जाने ,अँधेरे में ,गुम किधर वो हो गया ,
         मुश्किलों में अक्स जाते है अकेला छोड़ कर
जैसे कि साया भी भरता दोस्ती का दम सदा,
साथ आता रोशनी के और जाता है चला ,
अच्छे दिन में साथ देते ,अक्स भरमाते हमें ,
             छोड़ते हमको अकेला,अँधेरे में,रात भर 
कांच के घर में खड़ा था,हर तरफ था आइना ,
अक्स देखे ,लगा लगने ,मेरे कितने दोस्त है,
वक़्त की एक कंकरी से ,टूटे सारे  आईने ,
       अकेले ही करना पड़ता ,सबको जीवन का सफर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जीभ और दांत

           जीभ और दांत

जीभ ,दांतों की हमेशा सबसे अच्छी दोस्त है ,
            दांत रखते है दबा कर ,फिर भी हंसती ,बोलती
चबाते है दांत सबको ,पर बचाते जीभ को,
           घिरी रहती दांतों  से है ,हर तरफ  पर डोलती      
दांत होते सख्त है और जीभ होती है नरम,
           मगर इनकी दोस्ती का निराला   अंदाज  है
जो भी मिलता खाने को,उसको चबाते दांत है,
           और अपनी दोस्त  जिव्हा को वो देतें स्वाद है
दांत में क्या फंस गया है ,दांत भी ना जानते ,
           सच्ची हमदम जीभ होती ,उस को लग जाता पता
धीरे धीरे घूमफिर कर ,ढूंढ लेती है  उसे,
            लेती है दम  ,वो किसी भी तरह  से उसको हटा    

घोटू

मतलब के यार

        मतलब के यार

सर्दियों में दोस्ती की ,गर्मियों में छोड़ दी ,
समझ हमको रखा है,कम्बल, रजाई की तरह
जब तलक मतलब रहा तुम काम मे लेते रहे ,
फेंक हमको दिया टूटी चारपाई  की तरह
इससे अच्छा ,छतरी होते,काम आते साल भर,
लोग हमको रखा करते सदा अपने साथ  में
दोस्ती उनसे निभाते ,हाथ उनका थामकर ,
धूप गर्मी से बचाते, पानी से  बरसात में

घोटू

सूट और बनियान

           सूट और बनियान

बड़ा गर्वित ,हज़ारों का सूट था कपबोर्ड में ,
               हेंगर मे लटकता ,मन में बड़ा अभिमान था
और नीचे, अलमारी के एक कोने में पड़ा,
               साफ़सुथरा और धुला सा ,सूती एक बनियान था  
सूट ने भोंहे  सिकोड़ी ,देख कर बनियान को ,
                  सामने मेरे खड़े ,क्या तुम्हारी औकात   है 
हंस कहा बनियान ने तुम काम आते चंद दिन ,
                  और मालिक संग मेरा ,रात दिन का साथ है

घोटू

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