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मंगलवार, 17 जनवरी 2012

वो एक ख्वाब था

वो एक ख्वाब था ।
पर जो भी था, लाजवाब था ।

चंद लम्हों को आया था,
मुस्कुराहट भी लाया था ।
अंधेरे में एक किरण बनकर,
मृत शरीर में जीवन बनकर ।
जीवन के अगणित सवालों के बीच,
कई फलसफों का वो जवाब था,
वो एक ख्वाब था ।

अश्रु को मोती में बदलता,
तमस को ज्योति में बदलता ।
अपनेपन का पाठ पढ़ाता,
जीवन के हर गुर सीखाता ।
सुखे हुए सुमनों के बीच,
खिलता हुआ वो गुलाब था ।
वो एक ख्वाब था ।

वो एक ख्वाब था ।
दो पल का ही सही, वो एक रुबाब था ।
वो एक ख्वाब था ।

रविवार, 15 जनवरी 2012

जब जब दिल में दर्द हुआ है

जब जब दिल में दर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
जब भी कोई आपके अपने,
             जिनको आप प्यार करते है
मुंह पर मीठी मीठी बातें,
            पीछे पीठ वार   करते है
जब जब भी बेगानों जैसा,
अपना ही हमदर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
रिश्तों के इस नीलाम्बर में,
               कई बार छातें है बादल                                      
होती है कुछ बूंदा बांदी,
               पर फिर प्यार बरसता निश्छल
शिकवे गिले सभी धुल जाते,
मौसम खुल बेगर्द  हुआ है
जब जब दिल में दर्द हुआ है
गलतफहमियों का कोहरा जब,
                आसमान में छा जाता है
देता कुछ भी नहीं दिखाई ,
                रास्ता नज़र नहीं आता है
दूर क्षितिज में अपनेपन का,
सूरज जब भी जर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
शीत ग्रीष्म के ऋतू चक्र के,
                         बीच बसंत ऋतू आती है  
नफरत के पत्ते झड़ते है ,
                        प्रीत कोपलें मुस्काती है
कलियों और भ्रमरों का रिश्ता,
जब खुल कर बेपर्द  हुआ  है
तब तब दिल में दर्द हुआ है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 14 जनवरी 2012

JAGO HINDU JAGO: मकरसक्राँति और लोहरी के पवित्र त्यौहार पर आप सबको ...

JAGO HINDU JAGO: मकरसक्राँति और लोहरी के पवित्र त्यौहार पर आप सबको ...
जिंदगी यूँ ही गुजर रही है ,
और अँधेरा थम नहीं रहा,
दूरियों  को मिटाना आसान था कभी ,
अब दूर तलक शमशान है ...
खामोश थे हम बेवजह कभी,
अब वो खामोश हो गए |
वजह कुछ  खास थी उनकी .....
बताना बहुत कुछ था
जुबान भी सही सलामत थी मेरी |
पर उनके कान निर्जीव पड़े थे ........
दबे पावों लौट आया एक अनकही कहानी बनकर ...
अब अलविदा भी कहना बेईमानी लगता है |




कवि परिचय:
विकास कुमार
केमिकल इंजिनियर
गुजरात 

मुझे जन्म दो


(यह कविता मेरे द्वारा लिखी हुई नहीं है, पर एक डॉक्टर के क्लिनिक में मैंने इसे देखा तो सोचा की सबके साथ साझा करना चाहिए और मैंने इसे लिख लिया | कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सबको जागरूक करने हेतु इस रचना का प्रयोग किया जाता है |


हुमक हुमक गाने दो मुझको,
यूँ मत मर जाने दो मुझको,
जीवन भर आभार करुँगी,
माँ मैं तुमसे प्यार करुँगी,
मैं तेरी ही बेटी हूँ माँ,
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |

मैं भी तो हूँ अंश तुम्हारा,
मैं भी तो हूँ वंश तुम्हारा,
पापा को समझाकर देखो,
सारी बात बताकर देखो,
बिगड़ा है अनुपात बताओ,
क्या होंगे हालात बताओ,
फिर भी अगर न माने पापा,
रोउंगी मनुहार करुँगी,
जीवन भर आभार करुँगी,

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |


लक्ष्मी बाई, मदर टेरेसा,
क्या कोई बन पाया वैसा,
मत कहना एक धाय है पन्ना,
ममता का अध्याय है पन्ना,
ये बातें बतलाओ अम्मा,
दादी को समझाओ अम्मा,
सब गुण अंगीकार करुँगी,
जीवन भा आभार करुँगी,

मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |

अन्तरिक्ष में जाकर के माँ,
रोशन तेरा नाम करुँगी,
जो-जो बेटे कर सकते हैं,
हर वो अच्छा काम करुँगी,
नाम से तेरी जानी जाऊं,
ये मैं बारम्बार करुँगी |
माँ मैं तुमसे प्यार करुँगी,
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो |

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