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सोमवार, 10 जून 2024

तुमसे सीखा बाबूजी 


 कैसे सादा जीवन जीना ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

कैसे मन का गुस्सा पीना ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

कैसे सबका साथ निभाना,

 तुमसे सीखा बाबूजी 

हरदम हंसना और मुस्काना,

तुमसे सीखा बाबूजी 

सीमित साधन में खुश रहना ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

खुद का दर्द अकेले सहना,

तुमसे सीखा बाबूजी 

गुस्सा हो पर नहीं डांटना 

तुमसे सीखा बाबूजी 

सब में अपना प्यार बांटना ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

दृढ़ रह कर विपदा से लड़ना,

तुमसे सीखा बाबूजी 

सोच समझ कर आगे बढ़ना,

तुमसे सीखा बाबूजी 

संस्कार शुभ ,सब में बांटो, 

तुमसे सीखा बाबूजी 

हंसते-हंसते जीवन काटो 

तुमसे सीखा बाबूजी 

कम खाओ,और गम खाओ तुम

तुमसे सीखा बाबूजी 

कलह रुकेगा ,तुम नम जाओ 

तुमसे सीखा बाबूजी 

पैसा पा अभिमान न करना 

तुमसे सीखा बाबूजी 

कोई का अपमान न करना ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

सदा नम्रता को अपनाओ 

तुमसे सीखा बाबूजी 

पूजा करो ,प्रभु गुण गाओ,

तुमसे सीखा बाबूजी 

तुम्हारी ही शिक्षाओं का फल है कि परिवार सभी 

है समृद्ध ,मिलजुल रहते हैं 

बांट रहे हैं प्यार सभी 


मदन मोहन बाहेती घोटू

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रविवार, 9 जून 2024

वरिष्ठ साथियों से एक निवेदन 


भूल जाओ कि तुम जन्मे थे 

किसी रईसी आंगन में 

बड़ी शान और नाज़ नखरों से 

मौज मनाई बचपन में 

भूल जाओ आसीन रहे तुम 

ऊंचे ऊंचे ओहदों पर 

इतना खौफ हुआ करता था 

कांपा करता था दफ्तर 

भूल जाओ तुम्हारा फेवर

 पाने को आगे पीछे 

भीड़ लगी रहती लोगों की 

घेरे रहते थे चमचे 

सरकारी गाड़ी ,शोफर था

 एक बड़ा सा था बंगला 

फौज नौकरों की थी घर पर 

रौब तुम्हारा था तगड़ा 

लेकिन जब तुम हुए रिटायर 

राजपाट सब छूट गया 

चमचे भी हो गए पराये 

हृदय तुम्हारा टूट गया 

दिल्ली की एक सोसाइटी में 

एक छोटा सा फ्लैट लिया 

बच्चे बसे विदेश ,संग अब 

रहते बीवी और मियां 

तुम्हारे जैसे कितने ही,

बुझे बुझे से अंगारे 

ऐसी ही कुछ परिस्थिति में 

बसे यहां पर है सारे 

सबका भूतकाल स्वर्णिम था 

थे ऑफिसर डायरेक्टर 

लेकिन समय काटने को सब

 एक दूजे पर अब निर्भर 

साथ घूमते खाते पीते 

गप्प मारते गार्डन में 

बीती हुई अफसरी का पर

 भूत जागता जब मन में 

छोटी छोटी बातों मे भी 

ईगो जागृत हो जाता 

बच्चों जैसे लड़ने लगते 

प्रेम भाव सब खो जाता 

तो मेरे हमसफर साथियों 

मुझको बस यह कहना है 

बाकी बची उम्र है जितनी 

हमें संग ही रहना है 

भूल जाओ तुम बीती बातें 

ऐसे थे तुम वैसे थे 

कोई फर्क किसी को भी 

ना पड़ता है तुम कैसे थे 

गीत रईसी के मत गाओ 

भूलो ऊंची पोजीशन 

भूल जाओ सब ठाठ बाट और

 जियो आम आदमी बन 

भूलो मत कटु सत्य जी रहे 

हम तुम सब हैं बोनस में 

कब तक जीना,कब मरना है 

नहीं हमारे कुछ बस में 

इसीलिए जितना जीवन है 

मिलजुल रहो दोस्ती में 

हंसी खुशी से नाचो गाओ 

वक्त गुजारो मस्ती में 

भूल जाओ तुम कि कल क्या थे

 सिर्फ आज की याद रखो 

जी भर प्यार लुटाओ सब पर 

जीवन को आबाद रखो


मदन मोहन बाहेती घोटू

जीवनसाथी के प्रति 


मेरे मन मंदिर की रानी 

तेरी संगत सदा सुहानी 

जीवन में खुशियां ही खुशियां 

तू मेरे जब तलक साथ है 

मेरे जीवन में आने का ,

तुझको कोटिश धन्यवाद है 


जब तू जीवन में आई थी 

मेरा जीवन बदल गया था 

नया प्यार था ,नव बहार थी 

सब कुछ लगता नया-नया था 


तूने करी प्यार की बारिश 

और आकंठ डुबाया मुझको 

फूल खिला जीवन बगिया में 

खुशबू से महकाया मुझको 


तुझसे ही घर में रौनक है 

चहल पहल है और चहक है 

घर के हर कोने में हरदम 

फैला रहता आल्हाद है 

मेरे जीवन में आने का 

तुझको कोटिश धन्यवाद है 


तेरी आंखों में ममता है 

सच्ची सेवा और समर्पण 

रोम रोम में तेरे बसता,

आत्मीयता और अपनापन 


मेरी हर पसंद चाहत का 

तूने हरदम रखा ख्याल है 

बड़े प्रेम और तत्परता से 

करती मेरी देखभाल है 


अपनी सब तकलीफ भुला कर 

सबसे मिलती है मुस्का कर 

तेरे बिना जिंदगी मेरी ,

फीकी है और बेस्वाद है 

मेरे जीवन में आने का 

तुझको कोटिश धन्यवाद है 


तूने मुझपे,जितना तुझसे ,

हो सकता था सुख बरसाया 

हर विपरीत परिस्थिति में भी

रही सदा बन मेरा साया 


बनकर सच्ची जीवन साथी 

रही सदा तू साथ निभाती 

हृदय दीप की बाती बनकर 

रही उजाला तू फैलाती 

तेरा तुझ पर प्यार लुटाना 

तेरी चाहत निर्विवाद है 

मेरे जीवन में आने का ,

तुझको कोटिश धन्यवाद है 


मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 8 जून 2024

चासनी


 मैं फीका बेस्वाद था 

पाया तेरा साथ 

तेरे प्यार की चाशनी 

मुझ में लाई मिठास 

हटाई सब कटुताई 

बनाया मुझे मिठाई 


तू है बूंदी सुहानी 

प्यार भरा भरपूर 

बंध कर तेरे प्यार में 

बना मैं मोतीचूर 

भले ही बिखरा बिखरा 

साथ तेरा पा निखरा 


तरल दूध था मैं तपा 

प्यार आंच में यार 

खुद को खोया  हो गया

 खोवा बना तैयार 

स्वाद कुछ ऐसा पाया

 सभी के मन को भाया 


मैदा बना खमीर मै 

तला गया ,बन धार 

बना जलेबी चाशनी 

में डूबा हर बार 

भले ही टेड़ा मेड़ा 

स्वाद मेरा अलबेला


मदन मोहन बाहेती घोटू

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