It was a beautiful place
I seen lu lu mall
It was a very big place
it was a big mall!!I seen lu lu mall
It was a very big place
it was a big mall!!हां,हम दिल्ली में रहते हैं
जुलूस, रैलियां और धरनों की,
पीड़ाएं निश दिन सहते हैं
हां,हम दिल्ली में रहते हैं
बड़ी अभागन है यह दिल्ली,
परेशान रहती बेचारी
इसका मालिक कौन
हो रही राज्य केंद्र में मारामारी
कहे केजरी ये मेरी है,
राज्यपाल अपनी बतलाता
इन दोनों की खींचतान में ,
दम दिल्ली का निकला जाता
हम पिसते रहते मुश्किल में
नहीं किसी से कुछ कहते हैं
हां , हम दिल्ली में रहते हैं
मुफ्त रेवड़ी बांट बांट कर
मुख्यमंत्री बना जुगाड़ू
ऐसा चिन्ह चुनाव बनाया
दिल्ली पर लगवा दी झाड़ू
कर ढपोर शंखों से वादे
करता बातें ऊंची ऊंची
काम एक भी ना कर पाया
रही प्रदूषित दिल्ली समूची
अब भी कचरे के पहाड़ से ,
बदबू के झोंके बहते हैं
हां ,हम दिल्ली में रहते हैं
हवा भरी है धूल ,धुंवे से,
मुश्किल श्वास, घुट रहा दम है
खांसी और खराश गले में,
आंखों में हो रही जलन है
वृद्ध घूमने अब ना जाते,
बच्चे बाहर खेल न पाते
वातावरण और शासन का
पॉल्यूशन हम झेल न पाते
झाग भरी जमुना मैया की
आंखों से आंसू बहते है
हां, हम दिल्ली में रहते हैं
घर से हुआ निकालना मुश्किल,
बाहर जाते, मन घबराता
दिन में सूरज, दिखे चांद सा,
और चांद तो नज़र न आता
परतें काले अंधियारे की,
छाई मन के अन्दर, बाहर
क्या ऐसे ही जीना होगा,
हमको जीवन भर, घुट घुट कर
छट दिवाली मना न पाते,
सूने सब उत्सव रहते हैं
हां, हम दिल्ली में रहते हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
दीपावली पर भेंटआई
एक सदाबहार मिठाई ?
बड़े प्रेम से और हर्ष से दीपावली मनाई जाती
इष्ट मित्र रिश्तेदारों से,बहुत मिठाई है आ जाती
रसगुल्ला ,मिठाई छेने की, दो दिन में निपटा देते हम
क्योंकि अगर जो हुई पुरानी ,उन में आ जाता खट्टापन
भले जलेबी हो या इमरती ,अच्छी लगती गरम-गरम है
गाजर हलवा गरम सुहाता ,जब होता ठंडा मौसम है
काजू कतली थोड़े दिन में, चिपचिप करती नहीं सुहाती
और सभी रस भरी मिठाई ,कुछ दिन में
सूखी पड़ जाती
सब मिठाईयां होती बासी ,कुछ दिन में ढल जाए जवानी
केवल एक मिठाई ऐसी, जिसका नहीं कोई भी सानी
वह चिरयुवा ,स्वाद और सुंदर ,मुंह में रखो पिघल जाती है
पीतवर्ण,मनभावन ,प्यारी , सोहनपपड़ी कहलाती है
उसका लंबा टिकने वाला , यौवन ही उसका दुश्मन है
इस दिवाली भेंट मिली तो अगली तक निपटाते हम हैं
सबसे सुंदर स्वाद स्वदेशी ,यह मिष्ठान बड़ा प्यारा है
कभी प्रेम से खा कर देखो इसका स्वाद बड़ा न्यारा है
चॉकलेट से ज्यादा प्यारी ,पर लोगों नाम धर दिया
इसके स्वस्थ दीर्घ जीवन ने,है इसको बदनाम कर दिया
सोहनपपड़ी भेंट मिले तो, सुनो दोस्तों डब्बा खोलो
उसका प्यारा स्वाद चखो तुम ,अपने मुंह में अमृत घोलो
मदन मोहन बाहेती घोटू
एक शेर : हो गया ढेर
हां मैं कभी शेर था
सब पर सवा सेर था
रौबीला ,जोशीला ,जवानी से भरपूर था अपनी ताकत के नशे में चूर था
गर्व से दहाड़ा करता था
हर कोई मुझसे डरता था
फिर एक दिन में एक चंचल हिरणिया
के चक्कर में पड़ गया
उसके प्यार का भूत मेरे सर पर चढ़ गया मैं उसकी प्यारी आंखों का हो गया दीवाना वह बन गई मेरी जाने जाना
मुझे उस हो गया उससे प्यार
उसकी अदाओं ने ,कर लिया मेरा शिकार
मेरा सारा शेरत्व हो गया गुम
मैं उसके आगे हिलाने लगा दुम
और फिर जब पड़ा गृहस्थी का बोझ
मैं नौकरी पर जाने लगा रोज
पर वहां मेरा बॉस था एक गधा
मुझ पर रौब डालता था था सदा
कई बार गुस्सा तो इतना आता था कि झपट्टा मार कर उसे खा जाऊं
पर मैं उसका मातहत था ,
उसके आगे करता था म्याऊं म्याऊं
हालत में मुझे कहां से कहां ला दिया था एक शेर को बिल्ली बना दिया था
फिर मेरे घर जन्मे दो प्यारे बच्चे
कोमल मुलायम खरगोश की तरह अच्छेे
वे मेरे मन को बहुत भाते थे
मेरे साथ खेलते थे ,
कभी गोदी में कभी सर पर चढ़ जाते थे
मैं उनको पीठ पर बिठा कर घुमाता था अपने प्यारे प्यारे खरगोशों के लिए
मैं घोड़ा बन जाता था
फिर एक दिन में हो गया रिटायर
और धीरे धीरे बन गया एकदम कायर
मेरे अंदर का बचा कुछ शेर
धीरे-धीरे हो गया ढेर
हर शहर का शायद यही होता हैअंत
कि बुढ़ापे में वह बन जाता है संत
मदन मोहन बाहेती घोटू