प्रार्थना
जीर्णशीर्ण तन हुआ दिनोंदिन, बढी उम्र के साथ
कई व्याधियों ने आ घेरा ,मचा रही उत्पात
बहुत ही बिगड़ रहे हालात
ठीक तुम कर दो दीनानाथ
हरा-भरा मैं एक वृक्ष था, घना ,मनोहर, प्यारा
कई टहनियां, कोमल पत्ते, लदा फलों से सारा
नीड़ बनाकर पंछी रहते, चहका करते दिनभर और गर्मी की तेज धूप में ,छाया देता शीतल लेकिन ऐसा पतझड़ आया ,पीले पड़ गए पात बहुत ही बिगड़ रहे हालात
ठीक तुम कर दो दीनानाथ
तने तने से सुंदर तन से ,गायब हुई लुनाई
चिकने चिकने से गालों पर आज झुर्रियां छाई ढीले ढाले अंग पड़ गए ,रही नहीं तंदुरुस्ती
यौवन वाला जोश ढल गया, ना फुर्ती ना चुस्ती
कमर झुक गई थोड़ी-थोड़ी थके पांव और हाथ
बहुत ही बिगड़ रहे हालात
ठीक तुम कर दो दीनानाथ
डॉक्टर कहते शुगर बढ़ गई ,किडनी करे न काम
खानपान में मेरे लग गई ,पाबंदियां तमाम
बढ़ा हुआ रहता ब्लडप्रेशर दिल का फंक्शन ढीला
लीवर में भी कुछ गड़बड़ है, चेहरा पड़ गया पीला
आंखों से धुंधला दिखता है ,पीड़ा देते दांत
बहुत ही बिगड़ रहे हालात
ठीक तुम कर दो दीनानाथ
मोह माया में फंसा हुआ मन, चाहे लंबा जीना मौज और मस्ती खूब उड़ाना ,अच्छा खाना-पीना
सच्चे दिल से करूं प्रार्थना तुमसे मैं भगवान
ऐसी संजीवनी पिला दो ,फिर से बनूं जवान सवामनी परशाद चढ़ाऊं ,मैं श्रद्धा के साथ
बहुत ही बदल रहे हालात
ठीक तुम कर दो दीनानाथ
मदन मोहन बाहेती घोटू