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मंगलवार, 20 सितंबर 2022

आग लगी है 

कोई नहीं चैन से बैठा, 
ऐसी भागम भाग लगी है,
 महंगाई से सभी त्रस्त है,
 हर एक चीज में आग लगी है 
 
घी और तेल, गेंहू और चावल 
दिन दिन महंगे होते जाते 
दाम दूध के और दही के ,
आसमान को छूते जाते 
सब्जी महंगी, फल भी महंगे ,
महंगे कपड़े ,जूते चप्पल 
यातायात हो गया महंगा, 
मंहगे पेट्रोल और डीजल 
कैसे कोई करे गुजारा ,
सभी तरफ बढ़ रही ठगी है 
महंगाई से सभी त्रस्त है, 
हर एक चीज में आग लगी है

पांच रुपए था, कभी समोसा,
अब है बीस रूपए में आता 
महंगा हुआ चाय का प्याला ,
मुंह से गले उतर ना पाता 
दाल और रोटी खाने वाले,
के अब कम हो गए निवाले
अब गरीब और मध्यमवर्गी
कैसे घर का खर्च संभाले 
पेट नहीं भरता भाषण से ,
जबकि पेट में भूख जगी है 
महंगाई से सभी त्रस्त है,
 हर एक चीज में आग लगी है 
 
 आग लगी है जनसंख्या में,
 बढ़ती ही जाती आबादी
 सीमा पर कर रहे उपद्रव,
 कुछ आतंकी और उन्मादी  
 आग लगी है बेकारी की,
  सभी तरफ है मारामारी 
  अर्थव्यवस्था डूब रही है ,
  आवश्यक है जाए संभाली
  मगर देश को कैसे लूटें,
  नेताओं में होड़ लगी है 
  महंगाई से सभी त्रस्त हैं,
  हर एक चीज में आग लगी है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

प्रभु कृपा

मैंने बहुत शान शौकत से ,
अभी तलक जीवन दिया है
 मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
 पर तूने भरपूर दिया है 
 
तू तो सबका परमपिता है ,
सब बच्चों का तुझे ख्याल है 
तेरे लिए बराबर सब है 
और सभी से तुझे प्यार है 

तरसे सदा लालची लोभी
माला माल मगर संतोषी 

जिसने जो प्रवर्ती अपनाली,
उसने वह व्यवहार किया है 
मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
पर तूने भरपूर दिया है

आज भोगते हैं हम ,फल है,
 किए कर्म का पूर्व जनम में 
 इसीलिए सौभाग्य ,दरिद्री ,
 का अंतर होता है हम में

 जैसे कर्म किए हैं संचित
  सुखी कोई है कोई वंचित 
  
  सत्कर्मों से झोली भर लो ,
  प्रभु ने मौका तुम्हे दिया है 
  मैंने तुझसे कुछ ना मांगा,
  पर तूने भरपूर दिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 11 सितंबर 2022

पुनर्वालोकन 

जाने अनजाने मुझसे कुछ 
गलती कहीं हुई ही होगी ,
वरना कृपा सिंधु परमेश्वर 
मुझ को कष्ट न देता इतने 
वह सब खुशियों का दाता है 
परमपिता है भाग्य विधाता
 प्यार लुटाता संतानों पर,
 है उपकार लुटाता कितने
 
 बचपन में हम जब शैतानी
  करते, पिता पिटाई करते 
  दोषी कभी,कभी निर्दोषी 
  आपस में बस यूं ही झगड़ते 
  इन भोले भाले  झगड़ों में 
  लेकिन राग द्वेष ना होता 
  किंतु बाद में इर्षा से जब,
   कोई अपना धीरज होता 
   उससे पाप कर्म हो जाता
    तो वह गलती निंदनीय है 
    हमें भोगना ही पड़ता है 
    उसका फल इस ही जीवन में 
    जाने अनजाने मुझसे कुछ 
    गलती कही हुई ही होगी ,
    वरना कृपासिंधु परमेश्वर 
    मुझको कष्ट देता है इतने 
    
इसीलिए ये ही अच्छा है
 गलती की है , तुरंत सुधारो 
 मन में चुभन ना हो कोई के 
 क्षमा मांग कर , बैर विसारो
 अंतःकरण शुद्ध कर अपना 
 सारा जीवन जियो प्यार से 
 जीवन में शांति मिलती है 
 सब के प्रति अच्छे विचार से 
 गलती से, गलती हो जाए,
 धो दो बहा क्षमा की गंगा,
 वरना पापों की झोली फिर,
 देती कष्ट लगे जब भरने
 जाने अनजाने मुझसे कुछ
  गलती कहीं हुई ही होगी 
  वरना कृपा सिंधु परमेश्वर 
  मुझको कष्ट न देता है इतने 
  
तन के रोग मानसिक चिंता 
उन्हीं पाप कर्मों का फल है 
जो संचित हो करके सारे ,
करते रहते तुम्हें विकल है 
तुम जो चिंता मुक्त रहोगे 
तो दुख पास नहीं फटकेंगे
 तुम जिनके दुख दूर करोगे 
 वे सब तुम्हें दुआएं देंगे 
 शांतिपूर्ण जीवन जीने का,
  यही तरीका सर्वोत्तम है 
  तुम उतने सुख के भागी हो 
  पाप कर्म  कम होते जितने
  जाने अंजाने मुझसे कुछ,
  गलती कहीं हुई ही होगी,
  वर्ना कृपासिंधु परमेश्वर,
  कष्ट न देता मुझको इतने

मदन मोहन बाहेती घोटू 
हार या जीत

 मैंने विगत कई वर्षों से 
 करी दोस्ती संघर्षों से 
 अपने हक के लिए लड़ा मैं 
 और लक्ष्य की और बढ़ा मैं
 कभी लड़खड़ा गिरा, उठा मै
  लेकर दूना जोश ,जुटा मैं 
  लड़ा किसी से, हाथ मिलाया 
  मैंने धीरज नहीं गमाया 
  बढ़ा सदा उम्मीदें लेके
  कभी न अपने घुटने टेके 
  जीत मिली तो ना गर्वाया
  हार मिली तो ना शरमाया 
  नहीं किसी के देखा देखी 
  मैंने कभी बघारी  शेखी
  मन में कभी क्षोभ ना पाला 
  किसी चीज का लोभ न पाला
  बस ऐसे ही जीवन बीता 
  पता नहीं हारा या जीता


मदन मोहन बाहेती घोटू
मूषक चिंतन 

जब मिष्ठान का प्रेमी मूषक ,
चोरी चोरी कुतर कुतर कर खाने की,
अपनी आदत को छोड़ ,
अपने स्वामी के चरणों पर चढ़ाए गए,
 मोदक के थाल की सुरक्षा में तत्पर होकर, अनुशासन में बंध जाता है
 तो गणेश जी के वाहन 
 बनने का हकदार हो जाता है 
 
अपने व्यक्तिगत लाभ
 या लालसा को पूरी करने की उत्कंठा
 जब कर्तव्य परायणता में बदल जाती है 
 तो वह तुम्हें अपनी पीठ पर,
  गणेश जी को बैठाने की योग्यता दिलवाती है 
  
तो ए मेरे देश के नेताओं,
तुम भी मूषक सा बन जाओ 
अपने देश की व्यवस्थाओं को कुतर कुतर कर, खोखला मत करो बल्कि 
लोभ और लालच को त्याग,
अपने देश और देशवासियों की,
सुरक्षा के लिए तत्पर हो जाओ 
और देश के गणराज्य में ,
गणपति का वाहन कहलाने का सम्मान पाओ

अपने व्यक्तित्व में इतना निखार लाओ
  सबके इतने विश्वास पात्र बन जाओ 
 कि लोग अपने मन की बात 
 तुम्हारे कानों में विश्वास से कह कर
 गणपति तक पहुंचा सके 
 
 तुम भी गणेश जी का विश्वास पा लोगे 
 अगर अपने आचरण में 
 मूषक तत्व जगा लोगे 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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