मैंने जीना सीख लिया है
यह बीमारी वह बीमारी
रोज-रोज की मारामारी
यह मत खाओ, वह मत खाओ
मुंह पर अपने मास्क लगाओ
गोली ,कैप्सूल ,इंजेक्शन
खाओ दवाएं, फीका भोजन
हर एक चीज पर थी पाबंदी
पाचन शक्ति पड़ गई मंदी
मेरी हालत बुरी हो गई
चेहरे की मुस्कान खो गई
मुझे प्यार से समझा तुमने,
मेरे मन को ठीक किया है
मैंने जीना सीख लिया है
तुमने बोला ,सोच सुधारो
यू मत अपने मन को मारो
मनमाफिक, सब खाओ पियो
लेकिन घुट घुट कर मत जियो
तन अनुसार ,ढाल लो तुम मन
आवश्यक पर कुछ अनुशासन
मज़ा सभी चीजों का लो पर
रखो नियंत्रण तुम अपने पर
मौज मस्तियां खूब मनाओ
मित्रों के संग नाचो गाओ
नई फुर्ती और नए जोश ने ,
कर मुझ को निर्भीक दिया है
मैंने जीना सीख लिया है
जिस दिन से यह शिक्षा पाई
नव जीवन शैली अपनाई
बीमारी सारी गायब है
चेहरे पर आई रौनक है
फुर्तीला हो गया चुस्त हूं
लगता है मैं तंदुरुस्त हूं
मेरी सोच सकारात्मक है
और जीने की बढ़ी ललक है
बाकी जितनी बची उमर है
अब जीना सुख से ,हंसकर है
मेरे मन के वाद्य यंत्र ने ,
सीख गया संगीत लिया है
मैंने जीना सीख लिया है
मदन मोहन बाहेती घोटू