ये दिल मांगे मोर -तीन छक्के
१
इच्छाओं का अंत ना ,नहीं और का छोर
जाने फिर क्यों बावरा ,ये दिल मांगे मोर
ये दिल मांगे मोर ,अंत ना है लालच का
करना पड़ता किन्तु सामना ,सबको सच का
कह घोटू कवि ,दिन मुश्किल के आने वाले
छोड़ मोर का चक्कर ,जो है ,उसे संभाले
२
हमें चाहिये और की ,दे हम छोड़ तलाश
बेहतर रखें संभाल कर ,जो है अपने पास
जो है अपने पास ,बड़ा ही कठिन दौर है
कोरोना का संकट फैला सभी ओर है
घोटू करे सचेत ,सभी को यह पुकार कर
खड़े हुए हम ,तृतीय विश्वयुद्ध की कगार पर
३
बिगड़ा है वातावरण ,मन है बहुत उदास
अब तो मुश्किल हो रहा लेना ढंग से सांस
लेना ढंग से सांस ,हवा में जहर भरा है
हरेक आदमी ,अंदर से कुछ डरा डरा है
दिया प्रेम का ,दीवाली पर ,रखें जगा कर
घोटू आतिशबाजी रक्खे, दूर भगाकर
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
१
इच्छाओं का अंत ना ,नहीं और का छोर
जाने फिर क्यों बावरा ,ये दिल मांगे मोर
ये दिल मांगे मोर ,अंत ना है लालच का
करना पड़ता किन्तु सामना ,सबको सच का
कह घोटू कवि ,दिन मुश्किल के आने वाले
छोड़ मोर का चक्कर ,जो है ,उसे संभाले
२
हमें चाहिये और की ,दे हम छोड़ तलाश
बेहतर रखें संभाल कर ,जो है अपने पास
जो है अपने पास ,बड़ा ही कठिन दौर है
कोरोना का संकट फैला सभी ओर है
घोटू करे सचेत ,सभी को यह पुकार कर
खड़े हुए हम ,तृतीय विश्वयुद्ध की कगार पर
३
बिगड़ा है वातावरण ,मन है बहुत उदास
अब तो मुश्किल हो रहा लेना ढंग से सांस
लेना ढंग से सांस ,हवा में जहर भरा है
हरेक आदमी ,अंदर से कुछ डरा डरा है
दिया प्रेम का ,दीवाली पर ,रखें जगा कर
घोटू आतिशबाजी रक्खे, दूर भगाकर
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '