सही दशहरा तभी मनेंगा
आता है हर साल दशहरा ,
हम त्योंहार मना लेते है
पुतला बना एक रावण का ,
उसमे आग लगा देते है
यही सोच खुश हो लेते है ,
हमने मार दिया रावण को
लेकिन यह तो मात्र बहाना ,
है बहलाने अपने मन को
क्योंकि अगले बरस दशहरे ,
तक फिर पैदा होगा रावण
परम्परा यह बरसों की है ,
कब तक पालेंगे हम यह भ्र्म
इस जग में इतने रावण है ,
कैसे किस किस को मारोगे
हर रावण के दस दस सर है ,
कब तक इनको संहारोगे
यह भी है एक कटुसत्य कि ,
सब में रावण छुपा कहीं है
कई बुराई वाले मुख है ,
हममे कोई राम नहीं है
तो आओ सबसे पहले हम ,
नाश करें निज दानवता का
काटें हर बुराई का चेहरा ,
रहे एक मुख मानवता का
अपनी सभी बुराइयां तज ,
जब हर मानव राम बनेगा
कोई रावण नहीं जलेगा ,
सही दशहरा तभी मनेगा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
आता है हर साल दशहरा ,
हम त्योंहार मना लेते है
पुतला बना एक रावण का ,
उसमे आग लगा देते है
यही सोच खुश हो लेते है ,
हमने मार दिया रावण को
लेकिन यह तो मात्र बहाना ,
है बहलाने अपने मन को
क्योंकि अगले बरस दशहरे ,
तक फिर पैदा होगा रावण
परम्परा यह बरसों की है ,
कब तक पालेंगे हम यह भ्र्म
इस जग में इतने रावण है ,
कैसे किस किस को मारोगे
हर रावण के दस दस सर है ,
कब तक इनको संहारोगे
यह भी है एक कटुसत्य कि ,
सब में रावण छुपा कहीं है
कई बुराई वाले मुख है ,
हममे कोई राम नहीं है
तो आओ सबसे पहले हम ,
नाश करें निज दानवता का
काटें हर बुराई का चेहरा ,
रहे एक मुख मानवता का
अपनी सभी बुराइयां तज ,
जब हर मानव राम बनेगा
कोई रावण नहीं जलेगा ,
सही दशहरा तभी मनेगा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '