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सोमवार, 29 जून 2020

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हाथ की बात

अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है

पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा  ,खतम  पैसे  तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन

तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा  करते हुए देखा

हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते

हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है  

फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले  जाता ,बस खाली हाथ होते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
  
हम विपक्ष है

सत्तारूढ़ कोई भी दल हो
यही चाहते ,सदा विफल हो
तोड़फोड़ कर कोशिश करते ,
जैसे  तैसे  वो  निर्बल हो

हरदम रहते इस तलाश में
कोई मुद्दा  लगे हाथ में
नहीं चैन से बैठ सकें हम ,
उलझे रहते खुराफात में

जब भी थोड़ा मौका पाते
सत्ता सर सवार हो जाते
बुला प्रेस टीवी वालों को ,
हाय  तोबा बहुत मचाते

मौसम का रुख देखा करते
तब ही पासे  फेंका करते
कैसे भी माहौल गरम कर ,
अपनी रोटी  सेंका  करते  

आरोपों  प्रत्यारोपों में ,
हम प्रवीण है ,बड़े दक्ष है
              हम विपक्ष है  
हमने भी भोगी है सत्ता
किन्तु कट गया जबसे पत्ता
नहीं पूछता अब कोई भी ,
हालत खस्ता है, अलबत्ता

इसीलिये है हम चिल्लाते
टी वी ,पेपर में दिखलाते
ताकि बने रहे चर्चा में ,
लोग यूं ही ना हमें भुलादे

सत्तादल से लेते पंगा
बात बात में अड़ा अड़ंगा
खोल हमारी करतूतों को ,
वो  जब हमको करते नंगा

ऐसे दिन आये है ग़म के
सूखे श्रोत सभी इनकम के
चलती जब सत्ता की खुजली ,
हम रहते है दमके दमके

कैसे फिर हथियायें सत्ता ,
अपना तो बस यही लक्ष है
                 हम विपक्ष है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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रविवार, 28 जून 2020

कितने दल दल

कोरोना से छाये है दहशत के बादल
बारिश में घिरआये बादल के दल के दल
सीमा पर जमा हुए ,फौजों के दल के दल
दुनिया पर मंडराते ,विश्वयुद्ध के बादल
बार बार भूकम्पों से  धरती रही दहल
ऊपर से खेतों में आ बैठा टिड्डी दल
चंद राजनैतिक दल ,दाल रहे अपनी दल
फैलाते आरोपों का कीचड और दल दल
एक साथ इतने सब ,संकट का ये दल दल
दिल में डर.नहीं बदल सकता पर भाग्य प्रबल

मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;   

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