पत्तल उठाते रह गये
सपन मन में मिलन के सब कुलबुलाते रह गये
साथ आनेवाले थे वो ,आते आते रह गये
हमारी मख्खन डली को ,एक कौवा ले गया ,
और हम अफ़सोस में ,दिल को जलाते रह गये
कोई मंदिर में घुसा ,परशाद सारा ले गया ,
और हम भक्ति भरे ,घंटी बजाते रह गये
पेंच डाला कोई ने और हमारी काटी पतंग ,
बचाने को मांजा हम ,गिररी घुमाते रह गये
हमने रखवाली करी थी फसल की जी जान से
काट ली कोई ने ,हम भूसा उठाते रह गये
मेहमां बन,लोग आये ,जीम कर सब,घर गये,
और भूखे पेट हम ,पत्तल उठाते रह गये
घोटू
सपन मन में मिलन के सब कुलबुलाते रह गये
साथ आनेवाले थे वो ,आते आते रह गये
हमारी मख्खन डली को ,एक कौवा ले गया ,
और हम अफ़सोस में ,दिल को जलाते रह गये
कोई मंदिर में घुसा ,परशाद सारा ले गया ,
और हम भक्ति भरे ,घंटी बजाते रह गये
पेंच डाला कोई ने और हमारी काटी पतंग ,
बचाने को मांजा हम ,गिररी घुमाते रह गये
हमने रखवाली करी थी फसल की जी जान से
काट ली कोई ने ,हम भूसा उठाते रह गये
मेहमां बन,लोग आये ,जीम कर सब,घर गये,
और भूखे पेट हम ,पत्तल उठाते रह गये
घोटू