लॉक डाउन में
कबतक वक़्त गुजारें हम,उनकी जुल्फों की छाँव में
बैठे बैठे ,कूल्हे दुखते ,सूजन आई पाँव में
कोरोना ने ऐसा हमको ,तन्हा करके बिठा दिया ,
कैद हो गए ,चारदीवारी में अपने ही ठाँव में
पहले दिनभर काम किया करते थे ,थक कर सो जाते ,
अब सो सो कर थक जाते है ,फंसे हुए उलझाव में
मुश्किल से हो रही मयस्सर आटा दाल,चाय,चीनी ,
फल सब्जी भी मिल जाते है ,लेकिन दूने भाव में
भूल गए होटल का खाना ,आलू टिक्की और बर्गर ,
खुश है खाकर ,घर की रोटी ,खिचड़ी ,मटर पुलाव में
कामवालियां नहीं आरही ,सब मिल घर का काम करे ,
झाड़ू पोंछा,हाथ घिस रहे ,बर्तन संग घिसाव में
एक वाइरस ने जीवन का सारा रस है छीन लिया ,
मुश्किल के दिन कब बीतेंगे ,रहते इसी तनाव में
फिर भी धैर्य धरे घर बैठे ,लड़ने महा बिमारी से ,
आज देश का मान, प्रतिष्ठा ,लगे हुए सब दाव में
दीप जला ज्योतिर्मय करते देश बजा ताली,थाली ,
'अप 'हो रहे ,'लॉकडाउन 'में ,देशभक्ति के भाव में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
कबतक वक़्त गुजारें हम,उनकी जुल्फों की छाँव में
बैठे बैठे ,कूल्हे दुखते ,सूजन आई पाँव में
कोरोना ने ऐसा हमको ,तन्हा करके बिठा दिया ,
कैद हो गए ,चारदीवारी में अपने ही ठाँव में
पहले दिनभर काम किया करते थे ,थक कर सो जाते ,
अब सो सो कर थक जाते है ,फंसे हुए उलझाव में
मुश्किल से हो रही मयस्सर आटा दाल,चाय,चीनी ,
फल सब्जी भी मिल जाते है ,लेकिन दूने भाव में
भूल गए होटल का खाना ,आलू टिक्की और बर्गर ,
खुश है खाकर ,घर की रोटी ,खिचड़ी ,मटर पुलाव में
कामवालियां नहीं आरही ,सब मिल घर का काम करे ,
झाड़ू पोंछा,हाथ घिस रहे ,बर्तन संग घिसाव में
एक वाइरस ने जीवन का सारा रस है छीन लिया ,
मुश्किल के दिन कब बीतेंगे ,रहते इसी तनाव में
फिर भी धैर्य धरे घर बैठे ,लड़ने महा बिमारी से ,
आज देश का मान, प्रतिष्ठा ,लगे हुए सब दाव में
दीप जला ज्योतिर्मय करते देश बजा ताली,थाली ,
'अप 'हो रहे ,'लॉकडाउन 'में ,देशभक्ति के भाव में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '