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मंगलवार, 30 जुलाई 2019



हाय  राम  मै इंटरव्यू में फ़ैल हो गया

बहुत दिनों के बाद सास की आस मिली थी
या यूं समझो मुर्दा दिल को सांस मिली थी
क्या सोचा था मैंने पर क्या हाय  हो गया
सपनो का बेलून हवा में  फ्लाय हो गया
महल बना था ,अरमानो का ,ढेर हो गया
हाय राम मैं इंटरव्यू में फ़ैल हो गया

मन में जिसका डर था उसको फेक्ट कर दिया
लड़की की अम्मा ने मुझे रिजेक्ट कर दिया
शादी माँ को तो ना बेटी को करनी थी
लेकिन दुःख की लुटिया तो मुझको भरनी थी
दालभात में मूसरचंद का मे हो गया
हाय राम मैं इंटरव्यू में फ़ैल हो गया

माना मोटे होठ नाक मेरी चौड़ी है
लेकिन मेरी सूरत क्या इतनी भोंडी है
यूं ही नर्वस था मैं बोला हौले हौले
जैसे ही सर मुंडा पड़  गए सर पर ओले
जीते जी दुनिया में रहना जेल हो गया
हाय राम मैं इंटरव्यू में फ़ैल हो गया

घोटू 
बारिश है पर  दूर सजन है

बारिश है पर दूर सजन है
चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है ,सिगड़ी बिगड़ी ,नहीं अगन है
बारिश है पर दूर सजन है

 है स्टोव बिसूरता उसमे पर मिट्टी का तेल नहीं है
ओ  पीहर की प्यारी  प्रियतम मेरा घर भी जेल नहीं है
आज केटली खाली खाली ,भाग गयी है चाय निगोड़ी
ठंडा मौसम,भूख लगी पर ,कौन खिलाये  मुझे पकोड़ी
तेल पड़ा मीठा तिल्ली का  ,मगर पास  में  ना बेसन है
बारिश है पर दूर सजन है

नहीं आग सुलगा सकता हूँ ,क्योंकि सील गयी है माचिस
भुट्टा छिलकों बीच दबा है ,कैसे  पाऊं भुट्टे का किस
बाहर रिमझिम है गीलापन ,लेकिन मेरा उर सूखा है
ओ दिलवाली ,ये दीवाना ,तेरे दरशन का भूखा है
पी घर से तो मन उकताता ,पर पीहर से लगी लगन है
बारिश है पर दूर सजन है

घोटू 
शादी का विज्ञापन

मैं अब तक बैठा कंवारा हूँ
अब  शादी  करने वाला हूँ

बहुत दिनों तक सहन किया ,लेकिन अब सहा नहीं जाता
मम्मी सुनती ही नहीं कभी ,डैडी  से कहा नहीं जाता
शादी की मीठी बातों से ही पेट न मेरा भरता भरता है
मुझ सामाजिक प्राणी को सूनापन बहुत अखरता है
दिल मेरा खाली पड़ा हुआ ,कोई ना जिससे  प्यार करूं
मेरी अब तक शादी न हुई ,बोलो कब तक इन्तजार करूं
शादी का नाम कभी सुनता ,मुंह में पानी भर आता है
लक्ष्मी घर में आ जायेगी ,फिर फादर का क्या जाता है
मम्मी डैडी ना सुनते है तो खुद पर है अधिकार मुझे
आखिर कभी बसाना ही तो है अपना संसार मुझे
नहीं कंवारा रह कर अब मैं  काट सकूंगा निज जीवन
होकर निर्लज्ज कर रहा हूँ मैं निज शादी का वज्ञापन
ऐसी बीबी की चाह मुझे ,पाकर जिसको ,मुझको सुख हो
थोड़ी काली भी चल सकती पर पढ़ीलिखी हो ,नाजुक हो
ज्यादा फेशनवाली न बने जो हरदम सजधज कर निकले
एम ए ,बी ए की चाह नहीं ,बस चिट्ठीपत्री पढ़ लिख ले
परदे से हो परदा  जिसको ,लेकिन फिर भी शरमीली हो
नाक कान कट अच्छा हो ,आँखें जिसकी चटकीली हो
जो चूल्हा भी फूंक सके हो पाकशास्त्र का ज्ञान जिसे
घर और बच्चों कीउलझन में भी रहे पति का ध्यान जिसे
गाना आता तो अच्छा है ,मीठी बातें करना  जाने
देवर ननदों से प्यार करे ,सासूजी का कहना माने
छरहरा बदन ,दुबली पतली लेकिन ना फुदके तितली सी
आँखे चमकीली तो होंगी ,लेकिन ना चमके बिजली सी
सुन्दर  हो पर निज  सुंदरता पर ज्यादा ना इतराये वो
खुद नाच न जाने चल सकता पर मुझको नहीं नचाये वो
ध्यान रहे कि अधिक दिनों तक रह न सकेगी पीहर में
संतुष्ट  उसे रहना होगा ,मेरे छोटे ,अपने घर में
यदि गुस्से में कुछ कह दूँ तो वो मेरा बुरा न मानेगी
देवी सी पूजूंगा उसको यदि वो पति को परमेश्वर जानेगी
दिल नहीं टूट जाए उसका  यह ख्याल रखूंगा मैं हर क्षण
पर मुझको गरजू ना समझे ,शादी की देकर विज्ञापन
मेरा दिल भी आखिर दिल है ,बचपन की सीढ़ी पार करी
मैं बहुत दिनों से कंवारा हूँ ,अब मेरी राखो लाज हरी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

(उपरोक्त कविता साथ वर्ष पूर्व लिखी गयी थी )

सोमवार, 29 जुलाई 2019

 तुझको  नींद नहीं  आये

मेरी नींद चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये
तुम खर्राटे भरो और मैं जागूँ ,यह ना हो पाय

रोज लिपट कर सोते थे हम ,रात बिताते मतवाली
तुमने तकिये रखे बीच में ,और दीवार बना डाली
बिन तेरे तन की खुशबू के मुझको नींद नहीं आती
तुम बिन मैं तड़फा करता हूँ ,रात नहीं काटी जाती
पास प्रिया पर छू ना पायें ,कैसे दिल को समझायें
मेरी नींद चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये

राम करे कि भूत चुड़ैलों के सपने तुमको आये
घबराहट से सो न सके तू ,डरे  ,पसीने आ जाये
या जंगल में गुम होवे तू  ,शेर बबर तुझ  पर झपटे
इतनी ज्यादा तू डर जाये ,झट से मुझसे आ लिपटे
मैं तुझको बाहों में बाँधूँ ,ढाढ़स दूँ ,हम सो जाये
मेरी नींद  चुराने वाले ,तुझको नींद नहीं आये  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
कबूतरों से

हे प्रेम के प्रतीक परिंदों !
अपनी चमकती गर्दन को मटका कर ,
तुम्हारे प्रेमप्रदर्शन का अंदाज
सचमुच है लाजबाब
तुम्हे अपनी प्रेमिका के साथ
गुटरगूँ करते हुए देख कर ,
कितने ही नवप्रेमी ,भावुक हो जाते है
प्रेमशास्त्र का पहला  अध्याय सीख कर ,
एक दूसरे में खो जाते है

हे पंख फड़फड़ाते हुए आशिकों !
तुम तो हो मोहब्बत के फ़रिश्ते
हर तीसरे चौथे दिन किसी नई कबूतरनी संग ,
जोड़ लिया करते हो रिश्ते
और घर की मुंडेरों पर हो नज़र आते
उनके संग इश्क़ लड़ाते
खुले आम ,सामने सारे जहाँ के
हमें भी बता दो
लड़की पटाने का ये हुनर ,
तुमने सीखा है कहाँ से

हे मुकद्दर के सिकंदरों !
तुमने मेहरुन्निसा के हाथो से उड़ ,
उसका मुकद्दर चमका दिया
और एक दिन  उसे नूरजहां बना दिया
वैसी ही तक़दीर हमारी भी चमका दो
किसी बड़ी हस्ती का ,
लख्तेजिगर बनवादो

हे चापलूस चुहलबाजों !
तुम अक्सर
आते हो नज़र
'हाँ 'कहनेवाली मुद्रा में ,
गर्दन हिलाते हुए ,
ऊपर से नीचे ,नीचे से ऊपर
दाएं बाए गरदन हिलाकर ,
कभी भी नहीं करते हो नाहीं
क्या इसी तरह हर बात मान कर ,
 लड़की जाती है पटाई

हे गगन बिहारी प्रेमियों !
तुम्हारा दिशाज्ञान
सचमुच है महान
तुम्हे कितना ही छोड़ दो खुला
पर जैसे ही दिन ढला
तुम आज्ञाकारी पतियों की तरह ,
लौट कर ,सीधे आ जाते हो घर
और बन जाते हो लोटन कबूतर

हे प्रेमसन्देश के वाहकों !
एक जमाने में  प्रेमिकाएं ,
अपने पहले प्यार की पहली चिट्ठी
तुम्हारे माध्यम से भिजवाती थी
और कबूतर जा जा गाना जाती थी
लेकिन तुम खुद तो ,
कभी प्रेम संदेशा भिजवाने की ,
नौबत ही नहीं आने देते हो
गुटरगूँ करते हुए ,गरदन मटका कर ही
कबूतरनी को पटा  लेते हो

हे शांति के दूतों !
तुम्हारे श्वेतवर्णी भाइयों को ,
शांति का प्रतीक मान कर लोग है उड़ाते
पर तुम शांति से बैठे हुए ,
कभी भी हो नज़र नहीं आते
हमेशा देखा है तुम्हे व्यस्त ,
किसी न किसे कबूतरनी के साथ ,
टांका बिठाते

हे कुलबुलाते हुए कपोतों !
तुम भी आजकल के कपूतों की तरह ,
उड़ना सीख लेने पर
चले जाते हो अपने माँ बाप को छोड़कर
अपना अलग घर बसा लेते हो
उनके प्यार और त्याग का ,
यही सिला देता हो

हे कलाबाज कबूतरों !
तुम दिखने में इतने सीधे सादे हो
पर क्या सचमुच ही वैसे हो जैसे दिखते हो
मुझे तो तुम आवारा प्रेमी लगते हो
कभी भी  एक जगह नहीं टिकते हो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '


   

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