शिकायत -पत्नी की
छोटा सा सौदा लेने में,कितना मोलभाव करते हो
एक पेंट भी लेनी हो तो ,तुम दस पेंट ट्राय करते हो
कभी डिजाइन पसन्द न आती ,कभी फिटिंगमे होता संशय
बना कोई ना कोई बहाना,टाल दिया करते तुम निर्णय
तो शादी के पहले जिस दिन,मुझे देखने तुम आये थे
कुछ मिनिटों में ,कैसे शादी का निर्णय तुम ले पाए थे
जब तुमने मुझको देखा था ,क्या देखा बस चेहरा ,मोहरा
केवल नाकनक्श देखे थे,या देखा था बदन छरहरा
या फिर मेरे बाल जाल में, अपनी नज़रें उलझाई थी
या फिर मेरी मीठी बातें ,तुम्हारे मन को भायी थी
देख आवरण ही बस मेरा क्या तुम मुझको आंक सके थे
सच बतलाना रत्ती भर भी ,मेरे दिल में झाँक सके थे
जबकि तुम्हे मालूम था तुमको ,जीवन भर है साथ निभाना
बहुत मायना रखती उस दिन ,तुम्हारी छोटी हाँ या ना
कुछ मिनिटों में कितना मुश्किल,होता है ये निर्णय करना
अपना जीवन साथी चुनना,जिस के संग है जीना ,मरना
आपस में कितनी मिलती है ,सोच हमारी और तुम्हारी
एक गलत निर्णय जीवन भर,दोनों पर पड़ सकता भारी
तो फिर उस दिन क्या अंदर से,तुम्हारा दिल कुछ बोला था
या फिर शायद मुझे देख कर ,तुम्हारा भी दिल डोला था
टालमटोल नहीं कर पाए ,तुमने बस ,हामी भर दी थी
ये तुम्हारा निर्णय था या ,फिर ये ईश्वर की मरजी थी
कहते है कि सभी जोड़ियां ,है ऊपर से बन कर आती
यह नियति का निर्णय होता,किसका ,कौन बनेगा साथी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'