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शनिवार, 16 जनवरी 2016

साकार-निरंकार

     साकार-निरंकार

मैं कार हूँ
आविष्कार हूँ
चलायमान हूँ,
चमत्कार हूँ
      मैं कार हूँ
      विकार हूँ
      चाटुकार हूँ
      बलात्कार हूँ  
मैं कार हूँ
अहंकार हूँ
हुंकार  हूँ
हाहाकार हूँ
       मैं कार हूँ
       ओंकार हूँ
       जगती का कारक ,
       निरंकार हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 9 जनवरी 2016

हमसफर न हुए

चंद कदम भर साथ तुम रहे,
संग चल कर हमसफर न हुए,

पग पग वादा करते ही रहे,
होकर भी एक डगर न हुए ।

तेरी बातें सुन हँसती हैं आँखें,
खुशबू से तेरी महकती सांसे,

दो होकर भी एक राह चले थे,
संग चल कर हमसफर न हुए,

एक ही गम पर झेल ये रहे,
होकर भी एक हशर न हुए ।

फिर से तेरी याद है आई,
पास में जब है इक तन्हाई,

भ्रम में थे कि हम एक हो रहे,
संग चल कर हमसफर न हुए,

अच्छा हुआ जो भरम ये टूटा,
होकर भी एक नजर न हुए ।

दिल में दर्द और नैन में पानी,
अश्क कहते तेरी मेरी कहानी,

यादें बन गये वो चंद लम्हें,
संग चल कर हमसफर न हुए,

धरा रहा हर आस दिलों का,
होकर भी एक सफर न हुए ।

-प्रदीप कुमार साहनी

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

तमाशा सब देखेंगे

          तमाशा सब देखेंगे
ऐसा क्या था ,जिसके कारण ,थे इतने मजबूर
आग लगा दिल की बाती  में,भाग गए तुम दूर ,
       पटाखा  जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे 
मन की सारी दबी भावना ,राह हुई अवरुद्ध
इतना ज्यादा भरा हुआ है ,तन मन में बारूद
एक हल्की चिंगारी भी ,विस्फोट करे भरपूर
        पटाखा जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे
इतने घाव दे दिए तुमने ,अंग अंग में है पीर
लिखी विधाता ने ये कैसी ,विरहन की तक़दीर
मलहम नहीं लगा तो ये बन जाएंगे नासूर
           बहे पीड़ा की लावा  ,तमाशा सब देखेंगे
तुमने  झूंठी प्रीत दिखा कर,करा दिया मदपान
भरे  गुलाबी  डोर आँख में  ,होंठ  बने  रसखान
जब भी पान रचेगा ला कर ,इन होठों पर नूर ,
           बदन सारा महकेगा ,तमाशा सब देखेंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

वो माँ है

          वो माँ है

इस दुनिया में ,सबसे ज्यादा उच्चारित जो नाम -वो माँ है
वो देवी जिसके चरणो में  बसे  हुए  सब  धाम  - वो माँ है
वातसल्य  से भरी हुई जो अनुपमा है
जो स्नेह की बहती गंगा और यमुना है
ममता का जिन आँखों से झरता झरना है
दिन में  सूरज और रात में    चन्दरमा है
जिसका अपना तेज और अपनी गरिमा है
अपरम्पार हुआ करती जिसकी महिमा है
संतानो पर प्यार लुटाया  करती जो  अविराम -वो माँ है
इस दुनिया में,सबसे ज्यादा ,उच्चारित जो  नाम - वो माँ है 
वो ही लक्ष्मी ,सरस्वती है ,वही उमा है
वो ही विष्णु है ,शंकर है और ब्रह्मा  है 
मंगलदायिनी,शक्तिरूपिणी और क्षमा है
सदभावों  की पूजनीय जीवित  प्रतिमा  है
अनुपम और अलौकिक है जो मनोरमा है 
भ्रमण तीर्थ का जिसकी पावन परिक्रमा है
जननी हमारी ,हमपर ,जीवन भर करती  अहसान -वो माँ है
इस दुनिया में सबसे ज्यादा उच्चारित जो नाम  -वो माँ है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

आज का देहली का मौसम

          आज का देहली का मौसम

थका थका सा दुखी लग रहा सूरज पीला,
  अलसाई  अलसाई सी नज़रों से देखे
छुपा हुआ है ओढ़ घने कोहरे की चादर ,
ऐसा लगता 'धूप ' गई है अपने  मैके
शायद रूठ गई मौसम की बेरहमी से ,
या फिर शीत  हवाएँ उसकी सौत बन गई
देखें,कब तक ,कौन जीत पायेगा,किसको,
ऐसी ही जिद ,इन दोनों के बीच ठन  गयी
लेकिन रिमझिम बरसी फिर बारिश की बूँदें ,
जैसे  हो सन्देश सुलह  का ,लेकर  आई
कोहरा छंटा ,मिट गया झगड़ा उन दोनों का,
सूरज चमका ,धूप सुनहरी ,फिर मुस्काई

घोटू

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