एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

वो माँ है

          वो माँ है

इस दुनिया में ,सबसे ज्यादा उच्चारित जो नाम -वो माँ है
वो देवी जिसके चरणो में  बसे  हुए  सब  धाम  - वो माँ है
वातसल्य  से भरी हुई जो अनुपमा है
जो स्नेह की बहती गंगा और यमुना है
ममता का जिन आँखों से झरता झरना है
दिन में  सूरज और रात में    चन्दरमा है
जिसका अपना तेज और अपनी गरिमा है
अपरम्पार हुआ करती जिसकी महिमा है
संतानो पर प्यार लुटाया  करती जो  अविराम -वो माँ है
इस दुनिया में,सबसे ज्यादा ,उच्चारित जो  नाम - वो माँ है 
वो ही लक्ष्मी ,सरस्वती है ,वही उमा है
वो ही विष्णु है ,शंकर है और ब्रह्मा  है 
मंगलदायिनी,शक्तिरूपिणी और क्षमा है
सदभावों  की पूजनीय जीवित  प्रतिमा  है
अनुपम और अलौकिक है जो मनोरमा है 
भ्रमण तीर्थ का जिसकी पावन परिक्रमा है
जननी हमारी ,हमपर ,जीवन भर करती  अहसान -वो माँ है
इस दुनिया में सबसे ज्यादा उच्चारित जो नाम  -वो माँ है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

आज का देहली का मौसम

          आज का देहली का मौसम

थका थका सा दुखी लग रहा सूरज पीला,
  अलसाई  अलसाई सी नज़रों से देखे
छुपा हुआ है ओढ़ घने कोहरे की चादर ,
ऐसा लगता 'धूप ' गई है अपने  मैके
शायद रूठ गई मौसम की बेरहमी से ,
या फिर शीत  हवाएँ उसकी सौत बन गई
देखें,कब तक ,कौन जीत पायेगा,किसको,
ऐसी ही जिद ,इन दोनों के बीच ठन  गयी
लेकिन रिमझिम बरसी फिर बारिश की बूँदें ,
जैसे  हो सन्देश सुलह  का ,लेकर  आई
कोहरा छंटा ,मिट गया झगड़ा उन दोनों का,
सूरज चमका ,धूप सुनहरी ,फिर मुस्काई

घोटू

बुधवार, 6 जनवरी 2016

एक प्रश्न

        एक प्रश्न

हे राम,
रावण ने छद्म रूप धर,
तुम्हारी पत्नी  को चुराया
अपने पुष्पक विमान में बिठा ,
लंका ले आया
पर उसे अपने राजमहल में नहीं
रखा दूर ,अशोकवाटिका में कहीं
उसको धमकाया ,ललचाया ,
पर उसे छुआ तक नहीं
वह लंकापति ,जब उसको हर सकता था
उसके साथ जबरजस्ती भी कर सकता था
पर वो भले ही दानव था
उसमे थी मानवता
पर तुमने उसे दंड दिया
उसका  संहार किया
और आज ,मानव का रूप लिए ,
कोई दानव  ,बलात्कारी
सड़क से लड़की को अगवा कर ,
पार कर जाए ,नृशंसता की हदें सारी
और वो लड़की ,आखरी दम  तक लड़े
वो बलात्कारी पकड़ा जाए
और उस पर मुकदमा चले
सालों बाद ये निर्णय आये
कि क्योंकि वह दरिंदा ,
बालिग़ नहीं था
इसलिए उसे सजा नहीं दे सकती ,
देश की क़ानून व्यवस्था
उसे सुधारगृह भेजा जाए
तो क्या उस वहशी दरिंदे को,
 सुधारने की जरूरत है  या ,
देश के क़ानून को सुधरने की जरूरत है
क्या रामराज्य के सपने दिखनेवाली ,
सरकार को ,कुछ सोचने की जरूरत है
हे राम,सच बतलाना ,
ऐसा होता तो तुम क्या निर्णय लेते ?
रावण नाबालिग होता ,
तो क्या तुम उसे छोड़ देते ?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'


सर्दी -गर्मी

         सर्दी -गर्मी

सर्दी क्या आई ,गर्मजोशी आपकी गयी ,
होता है मुश्किलों से ही दीदार मयस्सर
ऐसा छुपा के रखते हो तुम अपने आप को,
स्वेटर है,स्वेट शर्ट है ,और अंदर है इनर
बिस्तर पे भी पड़ता  है हमें ,तुमको ढूंढना ,
ऐसी  रजाई छाई रहती जिस्मो जिगर पर
छूना तुम्हारा जिस्म भी मुश्किल अब हो गया,
अब तो बर्फ की सिल्ली से तुम हो गए डियर
आती है याद गर्मीयो की  रातें वो प्यारी ,
खुल्ला खुल्ला सा रूप था वो ख़ास तुम्हारा
पंखे की तरह घूमता था बावरा सा  मैं ,
होता था सांस सांस में  अहसास  तुम्हारा
खुशबू से भरे तन पे रहता नाम मात्र को ,
वो हल्का,प्यारा ,मलमली  ,लिबास तुम्हारा
ऐ.सी. की ठंडक में भी बड़ी लगती  हॉट थी ,
आता है याद रह रह वो रोमांस तुम्हारा 

घोटू

समर्पित कार्यकर्ता

    समर्पित कार्यकर्ता 

समर्पित कार्यकर्ता ,जनसेवक महान
सीधा सादा व्यक्तित्व,यही उनकी पहचान
यदि मोहल्लेवाले किसी ने भी,
कोई आयोजन किया है
तो उनका प्राकट्य ,
एक सहज प्रक्रिया है
यहाँ उनकी जनसेवा की भावना ,
प्रशंसनीय होती है
कुर्सी ,जाजम बिछाने से लेकर ,
जलपान की व्यवस्था के समापन तक ,
उनकी व्यस्तता ,दर्शनीय होती है
कैसे भी आगे की कुर्सी हथियाना,
कोई भी फोटो के अपनी गर्दन घुसाना ,
जलपान में दिए जानेवाले ,
खाद्यपदार्थों के स्वाद की उत्कृष्टता का,
पूर्व परीक्षण कर ,ये देते सर्टिफिकेट है
और समापन के बाद ,
बची हुई खाद्यसामग्री को सलटाने की ,
समुचित व्यवस्था ,
उनके सामाजिक कर्तव्यों में एक है
वो हर समारोह में ,मंडराते पाये जाते है
हर फोटो में नज़र आते है
और अपनी सेवामयी ,कार्यकुशलताके कारण,
मोहल्ले में अच्छी तरह पहचाने जाते है
वो एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्त्ता है
उनके बिना हर कार्यक्रम ,अधूरा  लगता है
वो स्वयं सेवक बन ,स्वयं की सेवा का भी ,
रखते बड़ा ध्यान है
ऐसे समर्पित कार्यकर्ता पर ,
हमारे पूरे मोहल्ले को अभिमान है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-