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बुधवार, 6 मई 2015

साडू भाई

              साडू  भाई

एक ही कुए से,बाल्टी भर भर के ,
     प्यास को जिन्होंने ,अपनी बुझाया है
एक ही चूल्हे से,लेकर के अंगारा,
    सिगड़ियां अपनी को,जिनने  जलाया है
एक ही चक्की का,पिसा हुआ आटा और ,
      एक  हलवाई की ही,  खाते मिठाई    है         
एक ही दूकान पर,ठगे गए दो ग्राहक,
       आपस में   कहलाते, वो साडू भाई    है

घोटू

मंगलवार, 5 मई 2015

औरतों के मज़े

            औरतों के मज़े

औरतें ,महिला होने का , मज़ा लेती हमेशा है ,
        वो 'लेडीज फस्ट 'कह कर के,सदा 'प्रिफरेंस 'पाती है
आदमी पिसता है दिन भर,कमाई कर के लाता है ,
        मज़े से घर में बैठी ये ,मौज मस्ती  मनाती    है
रिज़र्व सीटें इलेक्शन में,बसों में भी अलग सीटें,
              रेलवे में अलग डिब्बा ,मर्द जिसमे न घुस पाता
मर्द के साथ हर डब्बे में वो कर सकती है ट्रेवल ,
          काम कोई हो ,लेडीज़ को,दिया प्रिफरेंस है  जाता
शान से वस्त्र मर्दों के ,पहन कर  वो है  इतराती ,
           आदमी वस्त्र औरत के,पहन लेकिन नहीं पाता
 हमेशा औरतें ही तो ,कहांती घर की है रानी ,
           उम्र भर आदमी पिसता ,मगर नौकर ही कहलाता
आदमी वर्षों मेहनत कर,पढाई कर ,बने  डाक्टर ,
           औरतें ब्याह डाक्टर को,कहाया करती डाक्टरनी
अगर है वो जो फूहड़ तो ,बड़ा ही अव्यवस्थित घर,
            मगर घर स्वर्ग बन जाता ,सुशीला गर जो हो घरनी
औरतें कितनी भी काली,है 'फेयर सेक्स'कहलाती ,
             सुदर्शन गोरे पुरुषों संग ,नहीं इन्साफ होता है
वो हमको घूर कर देखें,ज़माना कुछ नहीं कहता ,
             नज़र भर देख भी लें हम,तो कहते पाप होता है
खुदा  ने मर्दों को दाढ़ी दी,शेविंग की मुसीबत दी ,
              और औरत के गालों को,बड़ा चिकना बनाया है
किधर से भी पकड़ लो तुम ,हमेशा वार करता है ,
            उनके हथियार बेलन ने ,सितम मर्दों पे  ढाया है
पुरुष को कोई बिरला ही ,देवता कहने वाला है,
             औरते तो हमेशा  ही ,कहाया करती है देवी
विष्णुजी और ब्रह्मा के ,बहुत कम लोग पूजक है,
           लक्ष्मी,सरस्वतीजी की ,मगर दुनिया सभी सेवी
  न  जाने कौन सा हुनर ,दिया है भर विधाता ने ,
           औरतों के इशारों पर, आदमी नाच  करता  है
भले ही शेर बन के डांटता है सबको दफ्तर में ,   
           मगर घर पर ,बना बिल्ली,सदा बीबी से डरता है
पड़ गयी जो भी पल्ले है ,निभानी पड़ती है सबको ,
                  भले सीधी  या टेढ़ी हो,भले गोरी हो या काली
हज़ारों रूप है उसके ,कभी माँ है ,कभी बहना ,
               कभी घरवाली है या फिर ,लुभाती बन के वो साली

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अमोघ अस्त्र

             अमोघ अस्त्र

शांतिकाल में'किचन अस्त्र'यह ,पेट भरा करता है सबका
इसमें कोई धार नहीं है,लेकिन है हथियार गजब का
दोनो तरफ ,किधर से भी तुम ,पकड़ो इसे ,वार करता है
है अमोघ यह शस्त्र निराला,हर बन्दा इससे  डरता है
जिसको धारण करके नारी ,कभी अन्नपूर्णा बन जाती
और कोप में, हाथों  में ले, झांसी  की  रानी  कहलाती
वैसे लकड़ी का टुकड़ा है ,लेकिन इतना पावरफुल है
लोग इसे 'बेलन'कहते है, करता सबकी बत्ती गुल है

घोटू   

शनिवार, 2 मई 2015

नज़ाकत या आफत

        नज़ाकत या आफत

कहा हमने तुम्हारे हाथ,कोमल और नाजुक है ,
        करोगे काम घर का तो,नज़ाकत  भाग जायेगी
उन्हें मेंहदी लगाकर के,सजाकर के ही तुम रखना,
        नहीं तो कमल जैसी पंखुड़ियां ,कुम्हला न जाएगी
कहा उनने ,नजाकत ना ,इन हाथों में बड़ा दम है,
                 ज़रा छू के तो देखो तुम,पसीने छूट जाएंगे ,
पड़ेंगे गाल पर तो मुंह तुम्हारा लाल कर देंगे,
              उँगलियाँ पाँचों की पांचो ,उभर गालों पे आएंगी

घोटू

फ्लर्टिंग

             फ्लर्टिंग
                   १
मज़ा लैला और मजनू सी,मोहब्बत में नहीं आता
मज़ा मियां और बीबी की ,सोहबत में नहीं  आता
चुगे या ना चुगे चिड़िया ,रहो तुम डालते दाना ,
मज़ा जो आता फ्लर्टिंग में ,कहीं पर भी नहीं आता
                           २
तुम्हारी हरकतों से वो,अगर जो थोड़ा हंसती है
कर रहे फ्लर्ट तुम उससे ,भली भांति समझती है
हंसी तो फंस गयी है वो,ग़लतफ़हमी में मत रहना ,
मज़ा उसको भी आता है ,वो टाइम पास करती है
                             ३
देख कर हुस्न मतवाला ,तुम्हारी बांछें जाती खिल
लिया जो देख बीबी ने ,बड़ी हो जाएगी   मुश्किल
जवानी देखते उसकी ,बुढ़ापा  अपना भी देखो ,
कहेगी जब तुम्हे अंकल,जलेगा फिर तुम्हारा दिल
                           ४
ये तुम्हारा दीवानापन ,ज़माना ताकता  होगा
फलूदा होगी इज्जत जो,गये पकड़े,पता होगा
बड़ा छुप छुप के मस्ती में ,इधर तुम मौज लेते हो,
उधर घर में तुम्हारे भी ,पड़ोसी झांकता होगा 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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