शमा और परवाने
शमा जब जब भी जलती है,चले आते है परवाने ,
खुदा ने ये मोहब्बत की ,रसम भी क्या,बनाई है
इधर परवाने जलते है ,उधर शायर ग़ज़ल कहते ,
किसी की जान जाती है,किसी की वाह वाही है
किसी को क्या पडी किसकी साधते अपना मतलब सब,
उन्हें करना था घर रोशन ,शमा जिनने जलाई है
अगर ये ही रहा आलम, कौम का हश्र होगा,
फना परवाने सब होंगे , तबाही ही तबाही है
सभा ने परवानो की कल,मुकदमा कर दिया दायर ,
उसे फांसी पे लटका दो , शमा जिसने बनाई है
सयाने ने सलाह दी हर चमन पे चिपके एक नोटिस ,
'यहाँ मधुमख्खियों का दाखिला करना मनाही है'
न बैठेंगी गुलों पर वो ,न छत्ता और न मोम होगा ,
शमाएँ बन न पाएंगी ,तो रुक सकती तबाही है
तभी परवाना एक बोला ,शमा है तब तलक हम है ,
शमा की ही बदौलत तो ,हमने पहचान पायी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शमा जब जब भी जलती है,चले आते है परवाने ,
खुदा ने ये मोहब्बत की ,रसम भी क्या,बनाई है
इधर परवाने जलते है ,उधर शायर ग़ज़ल कहते ,
किसी की जान जाती है,किसी की वाह वाही है
किसी को क्या पडी किसकी साधते अपना मतलब सब,
उन्हें करना था घर रोशन ,शमा जिनने जलाई है
अगर ये ही रहा आलम, कौम का हश्र होगा,
फना परवाने सब होंगे , तबाही ही तबाही है
सभा ने परवानो की कल,मुकदमा कर दिया दायर ,
उसे फांसी पे लटका दो , शमा जिसने बनाई है
सयाने ने सलाह दी हर चमन पे चिपके एक नोटिस ,
'यहाँ मधुमख्खियों का दाखिला करना मनाही है'
न बैठेंगी गुलों पर वो ,न छत्ता और न मोम होगा ,
शमाएँ बन न पाएंगी ,तो रुक सकती तबाही है
तभी परवाना एक बोला ,शमा है तब तलक हम है ,
शमा की ही बदौलत तो ,हमने पहचान पायी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'